NEP 2020 पर बवाल: डिजिटल एजेंडा के बहाने केंद्र-राज्य में टकराव तेज़

NEP 2020 के डिजिटल ढांचे पर केंद्र का ज़ोर बढ़ा, लेकिन सिक्किम, मिजोरम, झारखंड जैसे राज्यों ने कनेक्टिविटी, फंडिंग और स्वायत्तता पर सवाल उठाए।

Update: 2025-10-30 04:54 GMT

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के लागू होने की प्रक्रिया में अब यह साफ होता जा रहा है कि इसे ऊपर से नीचे तक एक केंद्रीकृत ढांचे में लागू किया जा रहा है — पहले केंद्र सरकार की समीक्षा बैठकों के ज़रिए, फिर केंद्र द्वारा वित्तपोषित संस्थानों को राज्यों की विश्वविद्यालयों का मेंटर बनाकर। द फेडरल की श्रृंखला की तीसरी कड़ी में अब ध्यान इस नीति के डिजिटल ढांचे, फंडिंग और कनेक्टिविटी से जुड़े सवालों पर केंद्रित है।

आरटीआई से मिले दस्तावेज़ बताते हैं कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (MoE) देशभर में SAMARTH, SWAYAM और Academic Bank of Credits (ABC) को अपनाने पर ज़ोर दे रहा है।SWAYAM एक सरकारी ई-लर्निंग प्लेटफ़ॉर्म है जो स्कूलों और विश्वविद्यालयों के लिए मुफ़्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध कराता है।

SAMARTH एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है जो विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रशासनिक, अकादमिक और परीक्षा प्रक्रियाओं को स्वचालित करता है।ABC छात्रों के अकादमिक क्रेडिट्स का डिजिटल भंडार है, जिनका ट्रांसफर भी किया जा सकता है।

राज्यों पर केंद्र का दबाव

आरटीआई से मिले दस्तावेज़ों के अनुसार, मंत्रालय सभी राज्यों और उच्च शिक्षण संस्थानों (HEIs) से इन तीनों कार्यक्रमों को अपनाने के लिए लगातार आग्रह कर रहा है।24 मार्च 2023 को पूर्वी और मध्य जोन के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ हुई समीक्षा बैठक में गौरव खरे, नेशनल कोऑर्डिनेटर (डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन) ने कहा  “सभी राज्यों से अनुरोध है कि प्रवेश पत्रों, परीक्षा फार्म और एडमिशन फॉर्म में ABC IDs को अनिवार्य किया जाए।”9 जून 2023 की एक अन्य बैठक में संजय सिंह, संयुक्त निदेशक (SAMARTH) ने बताया कि“करीब 1,500 उच्च शिक्षण संस्थानों को SAMARTH में जोड़ा जाएगा, जिससे हर कैंपस एक डिजिटल कैंपस में बदल जाएगा।”

राज्यों की आपत्तियाँ

हालांकि सिक्किम, मिजोरम और झारखंड जैसे राज्यों ने इन कार्यक्रमों पर गंभीर आपत्तियाँ दर्ज कराईं।11 मई 2023 को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ हुई समीक्षा बैठक में मंत्रालय ने “प्रमुख स्तंभों” की प्रगति की समीक्षा की — जैसे शिक्षार्थी केंद्रित शिक्षा (ABC, मल्टीडिसिप्लिनरी सिस्टम, मल्टीपल एंट्री-एग्ज़िट), डिजिटल एडॉप्शन (SAMARTH/SWAYAM), और इंडियन नॉलेज सिस्टम।बैठक के मिनट्स के अनुसार, सिक्किम के प्रतिनिधि उज्जवल राय ने कहा  “हमारे 40% कोर्स SWAYAM से लिए जा रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी की बड़ी समस्या है।”

मिजोरम की प्रतिनिधि एटेल ने तीन बड़ी चुनौतियाँ बताईं। ढाँचागत कमी और मल्टीडिसिप्लिनरी शिक्षा देने वाले संस्थानों की सीमित संख्या,सूक्ष्म उद्योगों की कमी के कारण इंडस्ट्री-इंस्टीट्यूट सहयोग में कठिनाई,रिसर्च आउटपुट बहुत कम, क्योंकि केवल तीन HEIs ही मास्टर डिग्री प्रदान करते हैं। वहीं झारखंड के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा सचिव राहुल पुरवार ने कहा  “डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर सीमित है, साथ ही स्थानीय भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों और अध्ययन सामग्री की भारी कमी है।”

विश्वविद्यालयों की चिंताएँ

विश्वविद्यालय स्तर पर भी इन केंद्रीय कार्यक्रमों को लेकर असंतोष है।महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, केरल के प्रोफेसर एम.एच. इलियास ने बताया

“SAMARTH एक मल्टीपर्पस डिजिटल सिस्टम है, लेकिन इसे सिर्फ केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लागू किया गया। केरल जैसे राज्य में संयुक्त कोर्स की अपार संभावनाएँ थीं, पर संस्थागत स्वायत्तता खोने का डर बना हुआ है।” उन्होंने यह भी कहा कि “SWAYAM जैसे प्लेटफ़ॉर्म से भविष्य में शिक्षकों की बड़े पैमाने पर बेरोज़गारी बढ़ सकती है। कोविड के दौरान कई देशों ने ऐसे प्रयोग किए थे, जिन्हें बाद में नकारात्मक असर देखकर बंद करना पड़ा।”

फंडिंग का धुंधला ढांचा

फंडिंग को लेकर स्थिति अस्पष्ट है। मई 2023 की बैठक के मिनट्स में दर्ज है कि “SAMARTH का सॉफ्टवेयर मुफ्त है, लेकिन क्लाउड इंफ्रा और मानव संसाधन की वजह से इसका ऑपरेशनल कॉस्ट 3–5 लाख रुपये सालाना तक आता है।”मगर यह स्पष्ट नहीं है कि यह खर्च कौन वहन करेगा।

28 फरवरी 2023 की एक बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव ने RUSA फंडिंग से NEP 2020 के लक्ष्य पूरे करने की मांग की थी। इस पर उच्च शिक्षा सचिव ने कहा  “केंद्र पहले से ही ABC को फंड कर रहा है, राज्य को बस अपने HEIs और छात्रों को इसमें जोड़ना है।”

फंडिंग में राजनीति की भूमिका

एन.वी. वर्गीज, पूर्व कुलपति (NIEPA), ने कहा कि फंडिंग की समस्या ही NEP के क्रियान्वयन की सबसे बड़ी चुनौती है।“नीति जुलाई 2020 में आई, लेकिन उसके बाद के बजट (2021) में शिक्षा का आवंटन घटा दिया गया। 2023-24 में थोड़ी वृद्धि हुई, पर वादों के अनुरूप नहीं। यानी मंत्रियों के टीवी बयानों और जमीनी क्रियान्वयन में बड़ा अंतर है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि Higher Education Commission of India (HECI), जो एकल नियामक निकाय बनना था, पांच साल बाद भी अस्तित्व में नहीं आया।“आज भी 16 अलग-अलग नियामक निकाय काम कर रहे हैं।”

गैर-भाजपा राज्यों का आरोप

तमिलनाडु, केरल और झारखंड जैसे राज्यों ने केंद्र पर फंडिंग को “राजनीतिक हथियार” की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जो राज्य NEP को पूरी तरह लागू नहीं कर रहे, उन्हें अन्य शिक्षा योजनाओं की फंडिंग में देरी या रोक का सामना करना पड़ रहा है।हाल ही में केरल सरकार ने PM-SHRI योजना पर हस्ताक्षर किया, लेकिन 29 अक्टूबर को इसे फिर रोक दिया। उसका कहना है कि केंद्र समग्र शिक्षा अभियान (SSA) के तहत फंड रोक रहा है, जिससे शिक्षक वेतन तक प्रभावित हो रहे हैं।

शिक्षाविद् अनीता रामपाल ने कहा  “केरल के पास पिछले डेढ़ साल से शिक्षकों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं। केंद्र इस स्थिति का फायदा उठा रहा है।”

संसदीय समिति की चेतावनी

26 मार्च 2025 की संसदीय स्थायी समिति (PAC) की रिपोर्ट में कहा गया कि केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल को 4,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि देनी बाकी है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया  “SSA के तहत फंड रोकना शिक्षकों के वेतन, RTE रिइम्बर्समेंट और दूरदराज क्षेत्रों में छात्रों के परिवहन पर बुरा असर डाल रहा है।”

आरटीआई दस्तावेज़ों और संसदीय रिपोर्ट को मिलाकर देखें तो तस्वीर साफ है  केंद्र एक केंद्रीकृत शिक्षा मॉडल लागू करने की कोशिश में है, जहाँ आदेश और निगरानी दिल्ली से होती है। लेकिन इसकी सफलता अनिश्चित है, क्योंकि कई राज्य न तो संसाधनों से लैस हैं, न ही पूरी तरह राजनीतिक रूप से सहमत।

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