बीएसपी के वोट बैंक पर सपा की नजर, अखिलेश यादव की क्या है रणनीति
आकाश आनंद को बीएसपी नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटाए जाने के बाद यूपी की राजनीति दिलचस्प हो चली है. अखिलेश यादव ने बाकायदा दलित समाज से वोट देने की अपील की है.
Mayawati Vs Akhilesh Yadav Politics: देश के सबसे बड़े सूबों में से एक यूपी में चार चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है. इन सबके बीच सियासी दल अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. चार फेज के चुनाव में बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को ना सिर्फ नेशनल कोआर्डिनेटर के पद से बल्कि उत्तराधिकार का हक भी छीन लिया तो उसे कुछ अलग तरह से देखा गया,. उनके फैसले पर अलग अलग तरह की प्रतिक्रिया भी आई. मायावती ने परिपक्वता की कमी का हवाला दिया तो विपक्षी बीजेपी का डर बता रहे हैं कुछ का कहना है कि आकाश की बढ़ती लोकप्रियता से खुद मायावती डर गईं है. कुछ का कहना है कि आकाश आनंद ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल प्रचार के दौरान किया था उससे मायावती असहज थीं. लेकिन इन सबके बीच सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि अच्छा होगा कि दलित समाज सपा को वोट दे.
अब अखिलेश यादव और मायावती के सवाल और जवाब से समझ रहे होंगे कि आने वाले चार चरणों की दशा और दिशा किस तरफ जा रही है.यहां बता दें कि अगर अखिलेश यादव दलित समाज के लोगों से अपील कर रहे हैं तो उसके पीछे कुछ आंकड़े भी हैं.
वजह नंबर 1
सपा ने 14 दलित, 28 ओबीसी और चार मुस्लिम को टिकट दिया है.
वजह नंबर 2
यूपी की 47 सीटें ऐसी हैं जहां अगर मुस्लिम दलित यादव किसी एक दल को समर्थन करें तो बीजेपी के लिए हो सकती है मुश्किल
वजह नंबर 3
यूपी में मुस्लिम मतदाता करीब 15 फीसद, यादव मतदाता करीब 12 फीसद और दलित मतदाता करीब 18 फीसद हैं. अगर तीनों मत किसी खास दल को मिल तो उसका मत प्रतिशत 35 फीसद के करीब हो जाता है और यह किसी का खेल बना और बिगाड़ सकता है.
क्या कहते हैं सियासी पंडित
सियासत के जानकार कहते हैं कि अखिलेश यादव को पता है कि वो गैर यादव पिछड़ी जातियों में सपा के पक्ष में हवा नहीं बना पा रहे हैं और अब बीएसपी के संगठन में जो बदलाव हुए हैं उससे दलित समाज के मतदाता भ्रम के शिकार हो चुके हैं और उसका फायदा उठाया जा सकता है. लेकिन सियासी पंडित यह भी मानते हैं कि बीएसपी को कोर वोटर आज भी बहन जी यानी मायावती के साथ है और उन्हें अलग कर पाना समाजवादी पार्टी के लिए आसान नहीं है.