लड़ाई कन्नौज में ही नहीं आजमगढ़ में भी, 'हाथी' की चाल पर SP-BJP की नजर
यूपी की राजनीति में इटावा, कन्नौज और मैनपुरी की तरह आजमगढ़ को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. हालांकि 2019 और 2022 के नतीजों ने उस मिथक को तोड़ दिया है.
Azamgarh Lok Sabha News: यूपी की जनता किस पार्टी को अपना समर्थन फैसला देगी उसके बारे में औपचारिक जानकारी 4 जून को मिलेगी. इन सबके बीच हम बात कन्नौज के साथ साथ आजमगढ़ की करेंगे. इत्र नगरी कन्नौज में बीजेपी उम्मीदवार सुब्रत पाठक ताल ठोंक कर कह रहे हैं इस दफा भी जीत हमारी. बता दें कि इस सीट से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद चुनावी मैदान में हैं. हालांकि यहां पर बात राहुल सांस्कृत्यान, अयोध्या सिंह उपाध्याय, कैफी आजमी की धरती आजमगढ़ की करेंगे. यहां पर 2019 में हुए आम चुनाव में अखिलेश यादव को जीत मिली थी उन्होंने भोजपूरी गायक दिनेश लाल यादव निरहुआ को हराया था. लेकिन 2022 में विधायक चुने जाने के बाद अखिलेश यादव ने सांसदी से इस्तीफा दिया और उपचुनाव हुआ. उस उपचुनाव में दिनेश लाल यादव ने धर्मेंद्र यादव(अखिलेश यादव के चचेरे भाई) को शिकस्त दी.
एक बार फिर धर्मेंद्र बनाम निरहुआ
2022 के बाद धर्मेंद्र यादव और दिनेश लाल यादव एक बार फिर आमने सामने हैं. 2022 के नतीजों के बारे में कहा जाता है कि अगर बीएसपी ने शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को मौका नहीं दिया होता तो धर्मेंद्र यादव जीत गए होते. यानी कि बीएसपी ने सपा का खेल खराब कर दिया. वैसे तो गुड्डू जमाली सपा के साथ हो चले हैं. लेकिन बीएसपी वाला पेंच मौजूद हैं. बीएसपी ने एक बार मुस्लिम उम्मीदवार पर ही भरोसा किया है. अगर 2022 के नतीजों को देखें तो अनुमान लगा सकते हैं कि हाथी यानी बीएसपी दहाड़ के साथ आगे बढ़ी तो साइकिल की चाल पर ब्रेक लग गया. आजमगढ़ में कुल 18 लाख से अधिक मतदाता हैं जिनमें 9 लाख 88 हजार पुरुष और 8 लाख 79 हजार महिला. 40 फीसद से अधिक वोटर्स का वास्ता मु्स्लिम और यादव समाज से है. इस लोकसभा में गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, आजमगढ़ और मेहनगर की सीटें आती हैं.
प्रत्याशी पार्टी
- दिनेश लाल यादव बीजेपी
- धर्मेंद्र यादव सपा (इंडी ब्लॉक)
- मशहूद अहमद बीएसपी
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि बीएसपी के कैंडिडेट मशहूद अहमद जितनी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेंगे सपा के सामने मुश्किल आने वाली है. क्योंकि बीएसपी का कोर वोटर्स का उन्हें साथ भी मिलेगा. अगर आप दिनेश लाल यादव और धर्मेंद्र यादव को देखें तो इन दोनों का नाता समाज यादव समाज से है. मौजूदा समय में यह कह पाना मुश्किल है कि 90 फीसद यादव समाज का वोट सपा को मिलेगा.
तमसा किनारे है आजमगढ़
तमसा नदी के तट पर बसा आजमगढ़ अपने खास राजनीतित मिजाज के लिए जाना जाता है. पहले आम चुनाव से लेकर 1977 तक कांग्रेस का कब्जा रहा. लेकिन उसके कांग्रेस नेपथ्य में चली गई. इस सीट पर बीएसपी चार दफा, बीजेपी 2 दफा जीती है. 2009 में रमाकांत यादव ने बीजेपी के टिकट पर जीत हासिल की थी. इस सीट से 14 बार यादव सांसद चुने गए हैं. राम नरेश यादव, यूपी के सीएम और मध्य प्रदेश के राज्यपाल रहे. अखिलेश यादव और मुलायम सिंह सीधे तौर इस जिले के रहने वाले नहीं थे. लेकिन प्रदेश का नेतृत्व किया.