कांग्रेस की रैली में केजरीवाल को न्योता नहीं, स्वाति मालीवाल वजह तो नहीं ?

दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस आज बड़ी रैली करने वाली है. लेकिन इस रैली में अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाया गया है. कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-18 04:35 GMT

नीति, नीयत और विचार तीनों अलग हों तो गठबंधन बेमेल होता है. एनडीए को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए इंडी ब्लॉक चुनावी मैदान में है. इस धड़े में अलग अलग दल हैं जिनकी विचारधारा कांग्रेस से अलग है. मसलन आम आदमी पार्टी जो कांग्रेस के भ्रष्टाचार को उजागर कर सत्ता में आई वो आधे मन से साथ में है. दरअसल आधा मन इस वजह से क्योंकि दिल्ली में तो गठबंधन है लेकिन पंजाब में एक दूसरे के आमने सामने. इन सबके बीच दिल्ली की सातों सीटों पर कब्जा करने के लिए दोनों दलों के नेता कदमताल तो कर रहे हैं लेकिन बयानों के तीर के जरिए सीधे ना सही छिप छिपाकर निशाना भी साध रहे हैं. ऐसी खबर आ रही है कि दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की बड़ी रैली होने वाली है लेकिन अरविंद केजरीवाल को न्योता नहीं दिया गया है.

कांग्रेस की रैली में आप संस्थापक को न्योता नहीं
कांग्रेस की रैली में अरविंद केजरीवाल को न्योता नहीं दिए जाने पर कांग्रेस ने कहा कि केजरीवाल जी की रैली पहले से कहीं और तय थी. आप के संस्थापक सदस्य को न्योता ना देने का मतलब यह नहीं है कि हमारे बीच कुछ खटपट है. लेकिन सवाल यह है कि क्या बात सिर्फ इतनी सी है. कहीं ऐसा तो नहीं मामला स्वाति मालीवाल से जुड़ा हुआ है. दरअसल पहले यह समझिए कि स्वाति मालीवाल के साथ क्या हुआ था.आप की राज्य सभा सांसद स्वाति मालीवाल, अरविंद केजरीवाल के आवास पर पहुंची. लेकिन वहां उनकी पिटाई हो गई. पहले तो मालीवाल ने एफआईआर नहीं दर्ज करायी थी. लेकिन अब एफआईआर में स्पष्ट तौर पर केजरीवाल के पीए बिभव कुमार का जिक्र किया है. दरअसल हुआ यूं कि केजरीवाल, लखनऊ प्रेस कांफ्रेंस के लिए पहुंचे थे और वहां उनके साथ बिभव कुमार भी मौजूद थे. उस नजारे को देखने के बाद ऐसा माना जाता है कि स्वाति मालीवाल ने एफआईआर कराने का निर्णय लिया. अब इसी विषय पर कांग्रेस की कद्दावर नेता प्रियंका गांधी से सवाल जब किया गया तो उनका जवाब था कि वो किसी भी महिला के साथ जोर जुल्म के खिलाफ हैं, मालीवाल के साथ जो कुछ हुआ है उम्मीद है कि अरविंद केजरीवाल जी कार्रवाई करेंगे. हालांकि बिभव कुमार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

सियासी मजबूरी

सियासी पंडित कहते हैं कि राजनीति में शब्दों के चयन, टाइमिंग और भावभंगिमा का भी महत्व होता है.अगर आप मूल रूप से देखें तो यह कैसे संभव है कि जिस आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की चूलें हिला दी थी. वो आज ही नहीं बल्कि 2014 में भी साथ में थी भले ही कुछ समय के लिए. अगर आज की मौजूदा समय की बात करें तो इसमें कोई दो मत नहीं कि विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती नरेंद्र मोदी हैं. राष्ट्रीय स्तर पर उनकी काट के लिए अकेले विपक्ष में शक्ति नहीं है, लिहाजा वो आपद धर्म की बात कर इकट्ठा तो हो गए है, लेकिन एक सच तो यह भी है राज्यों में भी इन दलों को राजनीति करनी है और वो एक दूसरे की कीमत पर होनी है. मसलन पंजाब से बेहतर उदाहरण और क्या हो सकता है.दिल्ली में तो आप, कांग्रेस के साथ है. लेकिन पंजाब में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को घेरने का काम करती है. 

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