कांग्रेस की रैली में केजरीवाल को न्योता नहीं, स्वाति मालीवाल वजह तो नहीं ?
दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस आज बड़ी रैली करने वाली है. लेकिन इस रैली में अरविंद केजरीवाल को नहीं बुलाया गया है. कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
नीति, नीयत और विचार तीनों अलग हों तो गठबंधन बेमेल होता है. एनडीए को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए इंडी ब्लॉक चुनावी मैदान में है. इस धड़े में अलग अलग दल हैं जिनकी विचारधारा कांग्रेस से अलग है. मसलन आम आदमी पार्टी जो कांग्रेस के भ्रष्टाचार को उजागर कर सत्ता में आई वो आधे मन से साथ में है. दरअसल आधा मन इस वजह से क्योंकि दिल्ली में तो गठबंधन है लेकिन पंजाब में एक दूसरे के आमने सामने. इन सबके बीच दिल्ली की सातों सीटों पर कब्जा करने के लिए दोनों दलों के नेता कदमताल तो कर रहे हैं लेकिन बयानों के तीर के जरिए सीधे ना सही छिप छिपाकर निशाना भी साध रहे हैं. ऐसी खबर आ रही है कि दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की बड़ी रैली होने वाली है लेकिन अरविंद केजरीवाल को न्योता नहीं दिया गया है.
सियासी मजबूरी
सियासी पंडित कहते हैं कि राजनीति में शब्दों के चयन, टाइमिंग और भावभंगिमा का भी महत्व होता है.अगर आप मूल रूप से देखें तो यह कैसे संभव है कि जिस आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की चूलें हिला दी थी. वो आज ही नहीं बल्कि 2014 में भी साथ में थी भले ही कुछ समय के लिए. अगर आज की मौजूदा समय की बात करें तो इसमें कोई दो मत नहीं कि विपक्ष के लिए बड़ी चुनौती नरेंद्र मोदी हैं. राष्ट्रीय स्तर पर उनकी काट के लिए अकेले विपक्ष में शक्ति नहीं है, लिहाजा वो आपद धर्म की बात कर इकट्ठा तो हो गए है, लेकिन एक सच तो यह भी है राज्यों में भी इन दलों को राजनीति करनी है और वो एक दूसरे की कीमत पर होनी है. मसलन पंजाब से बेहतर उदाहरण और क्या हो सकता है.दिल्ली में तो आप, कांग्रेस के साथ है. लेकिन पंजाब में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को घेरने का काम करती है.