सुहाग नगरी फिरोजाबाद में किसका जोर, मुलायम परिवार की अग्नि परीक्षा

मैनपुरी, बदायूं की तरह फिरोजाबाद सीट को भी मुलायम सिंह परिवार का गढ़ माना जाता रहा है. लेकिन 2019 में यह मिथक टूट गया.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-02 09:47 GMT

Firozabad Loksabha election News: आम चुनाव 2024 में यूपी की फिरोजाबाद सीट पर क्या बीजेपी एक बार फिर कमल खिला पाएगी या समाजवादी पार्टी की साइकिल सरपट दौड़ेगी. दरअसल इस सीट को भी मुलायम सिंह परिवार के दबदबे वाली मानी जाती है. लेकिन मोदी लहर में रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव यहां से चुनाव हार गए. बीजेपी के चंद्रसेन जादौन ने हरा दिया था. 2024 के चुनाव में अक्षय यादव के सामने बीजेपी ने उम्मीदवार बदल कर ठाकुर विश्वदीप सिंह को मौका दिया है. खास बात यह है कि इस दफा बीएसपी ने चौधरी बशीर को मैदान में उतारा है.

फिरोजबाद की गणित समझें

फिरोजाबाद में कुल मतदाताओं की संख्या करीब 18 लाख है जिनमें 10 लाख पुरुष और 8 लाख महिला मतदाता हैं. इस लोकसभा में फिरोजाबाद(बीजेपी), टूंडला(बीजेपी), शिकोहाबाद(सपा), जसराना(सपा) और सिरसागंज(सपा) विधानसभा हैं, इनमें से दो पर बीजेपी और तीन पर सपा का कब्जा है. 2024 के चुनाव में परिसीमन के बाद सिरसागंज में समीकरण बदले हैं और समाजवादी पार्टी के लिए फायदे वाली बात है. सपा को उम्मीद है कि उसे यादवों और मुस्लिम समाज का एकमुश्त वोट मिलेगा. लेकिन क्या सपा का आकलन ठीक है, दरअसल यहां से बीएसपी ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा है. सपा से जुड़े लोग हमेशा टैक्टिक वोटिंग करते हैं, इसका अर्थ यह है कि जो उम्मीदवार बीजेपी को हराने की क्षमता रखेगा मुसलमान उसे वोट करेंगे. लेकिन यह गणित 2019 के चुनाव में क्यों नहीं काम आई.

जब शिवपाल ने बिगाड़े समीकरण

राजनीति के जानकार बताते हैं कि 2019 के चुनाव में अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव अलग हो चुके थे. शिवपाल को लगता था कि उनके लिए सबसे बड़ा कोई कांटा है तो वो रामगोपाल यादव हैं. अब अक्षय यादव, रामगोपाल यादव के बेटे हैं लिहाजा उनको हराने के लिए वो चुनावी मैदान में उतर पड़े. शिवपाल की योजना काम कर गई और अक्षय यादव चुनाव हार गए.

क्या हैं मुद्दे

फिरोजाबाद में प्रमुख मुद्दों में स्मार्ट सिटी का ना बनना जबकि स्मार्ट सिटी में चयन हो रखा है, 6 लेन की सड़क होने के बाद भी जाम की स्थिति, अच्छे अस्पताल की कमी. इन मुद्दों पर जनता खुलकर बात करती है.लेकिन सियासत पर नजर रखने वाले कहते हैं कि मत तो जाति और धर्म पर डाला जाता है. 

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