इस तस्वीर से सियासी संदेश समझिए, हरियाणा चुनाव कांग्रेस के लिए अहम क्यों

हरियाणा में कांग्रेस को उम्मीद है कि इस दफा बदलाव की बयार बह रही है। लेकिन नेताओं में खींचतान छिपी नहीं है। भूपिंदर सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा के बीच मतभेद जगजाहिर है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-01 07:47 GMT

Bhupinder Singh Hooda Kumari Selja News: सियासत में कुछ तस्वीरें सिर्फ तस्वीर नहीं होती बल्कि संदेश भी छिपा होता है। हरियाणा विधानसभा की 90 सीटों के लिए चुनाव होने जा रहा है। यह चुनाव जितना अहम बीजेपी के लिए उतना ही अहम कांग्रेस के लिए भी है। बीजेपी के सामने हैट्रिक लगाने का मौका और चुनौती तो कांग्रेस के सामने 10 साल का सूखा खत्म करने की चुनौती। यही नहीं बड़े पैमाने पर संदेश देने की कोशिश भी। आम चुनाव 2024 में कांग्रेस ने बीजेपी से पांच सीटें छीन ली थीं। ऐसे में कांग्रेस के सामने भी अपने उस प्रदर्शन को दोहराने का मौका है। लेकिन हरियाणा कांग्रेस में क्या सब कुछ सही चल रहा है। हाल ही में कुमारी सैलजा के नाराज होने की खबर आई। लेकिन हरियाणा में एक मंच पर राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी, कुमारी सैलजा और भूपिंदर सिंह हुड्डा भी मंच पर थे। खास बात यह कि पब्लिक को राहुल गांधी यह संदेश देने की कोशिश कर रहे थे कि हुड्डा और सैलजा में किसी तरह का ना तो मतभेद और ना ही मनभेद है। 

मतभेद-मनभेद नई बात नहीं
कुमारी सैलजा और भूपिंदर सिंह के बीच मतभेद नई बात नहीं है। हरियाणा की राजनीति में नजर रखने वाले कहते हैं कि जाट समाज और दलित समाज के वोटों के बीच अधिक फर्क नहीं है। लेकिन इस सूबे में कांग्रेस का मतलब सिर्फ जाट। यह बात कांग्रेस के कई गैर जाट नेताओं को हमेशा से चुभती रही है। कुछ गैर जाट नेताओं ने अपने लिए अलग रास्ता भी चुन लिया। लेकिन कुमारी सैलजा इस उम्मीद के साथ पार्टी में बनी रहीं कि कभी ना कभी तो पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की नजरें इनायत होंगी।

2024 के आम चुनाव में कांग्रेस को जिस तरह से जनता का समर्थन मिला वैसे में एक बात साफ थी कि हरियाणा में हर समाज का एक बड़ा हिस्सा हाथ के साथ चला। ऐसे में कुमारी सैलजा को उम्मीद थी कि टिकट बंटवारे में उन्हें भी बड़ा हिस्सा मिलेगा। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस ने पहली और दूसरी सूची जारी की उसमें उनके हाथ सिर्फ झुनझुना आया।

यहां से शुरू हुई खटपट

कांग्रेस की दूसरी लिस्ट जब जारी हुई तो ऐसा कहा जाता है कि कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला को सांत्वना के तहत कुछ सीटें दे दी गईं। यानी कि पार्टी के अंदर सियासी लड़ाई में सैलजा, हुड्डा से जंग हार चुकी थीं। सितंबर के महीने में 13 तारीख के बाद करीब 6 दिन तक जब वो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय नहीं हुईं तो कयासों को बल लगने लगा कि वो खुद के लिए किसी और ठिकाने की तलाश में हैं। ऐसे में जब हरियाणा बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं ने पार्टी में आने का न्यौता दिया को कांग्रेस आलाकमान हरकत में आया।

कुमारी सैलजा को मनाने की कोशिश हुई। मसला 20 फीसद दलित वोट का ठहरा। इस वोट में चार से पांच फीसद स्विंग का अर्थ यह कि कांग्रेस की गणित गड़बड़ा जाती है। राहुल गांधी जो अडानी,अंबानी, अग्निवीर, किसान के मुद्दे पर मोदी सरकार, सैनी सरकार की घेरेबंदी करते हैं उसका क्या होगा। यानी कि कांग्रेस को लगा कि संविधान और आरक्षण वाली बात जमीन पर तभी सार्थक नजर आएगा जब उसका कुनबा पहले मजबूती से एक मंच पर नजर आए। 

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