जीत को हार में बदलना भी कला, कांग्रेस पर हमलावर क्यूं है शिवसेना UBT गुट

सियासत में टाइमिंग की अहम भूमिका है। हरियाणा में जब कांग्रेस की जीत नजर आ रही थी तब शिवसेना UBT ने कुछ नहीं बोला। लेकिन टैली में फिसलते ही सुर बदल गए।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-09 08:03 GMT

Haryana Election Results 2024: आठ अक्टूबर को नतीजे दो राज्यों हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के आए। लेकिन चर्चा हरियाणा की अधिक हो रही है। दरअसल हरियाणा में जब तक रुझान में कांग्रेस 60 के पार नजर आ रही थी उसके सहयोगी दल कुछ भी नहीं बोले। लेकिन आंकड़ा 40 के नीचे आते ही शिवसेना यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने चुभने वाली बात कहीं। उन्होंने कहा कि ऐसा क्या होता है कि बीजेपी से सीधी फाइट में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रही है। सवाल तो अब सवाल लिहाजा कई तरह की बातें सियासी गलियारे में चल पड़ी कि महाराष्ट्र में शीट शेयरिंग को दिमाग में रखकर इस तरह की बात कही गई है। प्रियंका चतुर्वेदी के बयान से असहज कांग्रेस ने सिर्फ इतना कहा कि गठबंधन धर्म की कुछ मर्यादा होती है अच्छा रहा होता कि वो इस बात को देखतीं। लेकिन वो कुछ भी नहीं कहेंगे।

अब सामना ने साधा निशाना
यह तो चुनावी नतीजे वाले दिन की बात है। अब सामना के संपादकीय में लिखा गया कि जीत को हार में बदलना भी कला है। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए चौंकाने वाले हैं। हरियाणा में कांग्रेस की हार का कारण अति आत्मविश्वास माना जा रहा है। कोई भी यह साफ तौर पर यह मान रहा था कि भाजपा हरियाणा में सत्ता में वापस आएगी। कुल मिलाकर माहौल से लग रहा था कि कांग्रेस निर्णायक जीत हासिल करेगी।  लेकिन जीत को हार में कैसे बदला जाए, यह कला कांग्रेस से सीखी जा सकती है। सामना ने कहा कि हरियाणा में भाजपा विरोधी माहौल था। संपादकीय में आगे कहा गया, हालात ऐसे थे कि भाजपा के मंत्रियों और उम्मीदवारों को हरियाणा के गांवों में घुसने नहीं दिया जा रहा था, फिर भी हरियाणा में नतीजे कांग्रेस के खिलाफ गए। हरियाणा में अनुकूल स्थिति होने के बावजूद कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा सकी। कांग्रेस के साथ ऐसा हमेशा होता है।

तो नतीजे कुछ और होते

संपादकीय में भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी शैलजा के बीच मतभेद को भी कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन का कारण बताया गया है। इसमें कहा गया कि हुड्डा और उनके लोगों ने सार्वजनिक रूप से शैलजा को अपमानित किया और दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान इसे रोक नहीं सका। भाजपा हरियाणा में इसलिए जीत पाई क्योंकि कांग्रेस का संगठन कमजोर था।शिवसेना नेता संजय राउत ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी  गठबंधन इसलिए नहीं जीत सका क्योंकि कांग्रेस को लगा कि वे अपने दम पर जीत जाएंगे और उन्हें सत्ता में किसी अन्य साथी की जरूरत नहीं है। कांग्रेस नेता हुड्डा जी को लगा कि हम जीत जाएंगे। अगर कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी, आप या अन्य छोटे दलों के साथ सीटें साझा की होतीं, तो नतीजे अलग होते। लेकिन सवाल यह है कि जब कांग्रेस के नेता इस बात को खुद कह रहे हैं नतीजे अप्रत्याशित हैं और वो चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कराएंगे तो शिवसेना के हमलावर होने की वजह क्या है। 

लेकिन हमलावर होने की असली वजह कुछ और
इस सवाल को समझाते हुए सियासी पंडित कहते हैं कि यह सिर्फ महाराष्ट्र चुनाव को ध्यान में रखकर दबाव बनाने की कोशिश है। दरअसल महाविकास अघाड़ी में शिवसेना गुट कमजोर है, हालांकि 2019 के विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया था। लेकिन आम चुनाव में इस गठबंधन में कांग्रेस आगे सही। शिवसेना का उद्धव गुट यह चाहता था कि सीएम उम्मीदवार के नाम का ऐलान चुनाव से पहले हो जाए। लेकिन प्रदेश कांग्रेस के नेता सहमत नहीं हुए। अब उद्धव वाला गुट ऐसा क्योें चाहता था तो उसके पीछे वजह यह थी कि वो चाहते थे कि अगर शिवसेना की तरफ से सीएम चेहरे का ऐलान होगा तो जमीनी स्तर पर उनके कार्यकर्ताओं में जोश बना रहेगा। लेकिन उनकी उम्मीद पर शरद पवार ने भी पानी फेर दिया। अब जब हरियाणा में कांग्रेस की हार हुई तो उद्धव गुट को लगता है कि कांग्रेस से बारगेन करने का यह बेहत मौका है। 

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