हरियाणा में कांग्रेस की हार, क्या महाराष्ट्र-झारखंड में सहयोगी होंगे हावी

हरियाणा में कांग्रेस की हार का सिर्फ उस राज्य तक सीमित नहीं है। रुझानों के आने तक ही शिवसेना यूबीटी गुट की प्रियंका चतुर्वेदी ने बड़ी बात कही।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-08 11:48 GMT

हरियाणा के चुनावी नतीजों से (रुझान भी शामिल) साफ है कि राहुल गांधी का जलवा नहीं चला। राहुल गांधी जिस जवान, किसान, संविधान और आरक्षण की बात कर रहे थे वो दूर दूर तक कहीं नजर नहीं आया। अब आप सोच रहे होंगे कि इस तरह की बात के पीछे आधार क्या है। दरअसल 2014, 2019 और 2024 के नतीजों को देखें को बीजेपी शानदार प्रदर्शन करती नजर रही है। 2014 के बाद 2024 में बीजेपी का प्रदर्शन शानदार है। कुल 48 सीटें (रुझान-नतीजे समेत) उसकी झोली में जाती नजर आ रही है। इस प्रदर्शन पर सबसे बड़ा बयान शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से आया। राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने जो बयान दिया उसके कई मायने हैं। हरियाणा में कांग्रेस की हार का असर झारखंड और महाराष्ट्र में चुनावी गठबंधन पर कैसे पड़ेगा उसे समझने से पहले प्रियंका चतुर्वेदी ने क्या कहा।

प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सबसे पहले तो बीजेपी को इस जीत के लिए बधाई देना चाहती हैं। 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद एंटी इंकम्बेंसी का ना होना, इस बात की तरफ इशारा कर रहा है कि कहीं ना कहीं वो लोगों के असंतोष को कम करने में कामयाब हुए हैं। वहीं कांग्रेस को यह सोचना होगा कि कमी कहां रह गई। यहां एक सवाल यह भी है कि जहां जहां कांग्रेस की सीधी लड़ाई है वहां कांग्रेस को क्यों हार जा रही है। इस विषय पर सोचना होगा। किस तरह से गठबंधन को और पुख्ता किया जा सकता है। जाहिर सी बात है कि वो किसी दल का नाम नहीं ले रही थीं। लेकिन इशारों इशारों में बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया।

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में चुनाव के बाद अब झारखंड और महाराष्ट्र में चुनाव होना है। महाराष्ट्र में शिवसेना,एनसीपी शरद पवार गुट और कांग्रेस एक साथ हैं जिसे नाम महाविकास अघाड़ी का मिला है। आम चुनाव 2024 के नतीजे जब सामने आए तो कांग्रेस की तुलना में शिवसेना का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा और उसका असर भी समय समय पर दिखाई देता रहा है। खासतौर से शिवसेना के नेता जब चुनाव पूर्व सीएम चेहरे को घोषित किए जाने की मांग उठायी तो सबसे अधिक विरोध कांग्रेस की तरफ से आया। खास बात यह है कि कलह और आगे ना बढ़े इसके लिए शरद पवार को भी बयान देना पड़ा। अब सियासत में नतीजों की भूमिका अहम होती है। लिहाजा संदेशों के जरिए एक दूसरे पर दबाव बनाने की कोशिश होती है। 

सियासत पर नजर रखने वाले कहते हैं कि अगर आप राजनीतिक तौर पर अधिक ताकतवर हैं तो निश्चित तौर पर आप की बात में दम होता है। कांग्रेस जिस तरह से हरियाणा को मोदी सरकार के लिए लिटमस टेस्ट मानती थी अब साफ है कि उसकी कमजोरी सामने आई है। लिहाजा महाराष्ट्र और झारखंड में निश्चित तौर पर सहयोगी दबाव बनाएंगे। इन सबके बीच आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अति आत्मविश्वास सही नहीं होता हम तो सिर्फ ९ सीट ही मांग रहे थे। इसके जरिए आप सियासी संदेश को समझ सकते हैं। 

Tags:    

Similar News