1980 का वो किस्सा, जब इंदिरा गांधी ने घर की छत से दिया भाषण

1980 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी को प्रचार के दौरान यूपी के हमीरपुर में सभा संबोधित करनी थी. लेकिन सभा वाली जगह रोशनी कम होने से अंतिम समय में जगह बदलनी पड़ी.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-04-30 10:23 GMT

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को यूं ही नहीं आयरन लेडी कहा जाता है. इस समय भारत में माहौल चुनावी है. गांव हो, कस्बा हो या शहर हर जगह चुनावी चर्चा. किसकी जीत और किसकी हार के बीच जब बहस शुरू होती है तो उसका कोई ओर छोर नहीं होता. बात देश के राजनीतिक इतिहास पर होने लगती है. कांग्रेस की कामयाबी-नाकामी पर होती है. कांग्रेस के उन चेहरों पर होती है जिन्होंने देश की बागडोर संभाली थी. इसी तरह के चुनावी चकल्लस के बीच हम बात 1980 के एक प्रसंग की करेंगे जिसका नाता इंदिरा गांधी से है.

1980 में हुआ था चुनाव

आप को पता ही होगा कि इमरजेंसी के बाद इंदिरा गांधी के प्रति लोगों में कितना गुस्सा था. उस गुस्से का असर यह हुआ की जनता पार्टी की आंधी में कांग्रेस उड़ गई. यह बात अलग है कि जनता पार्टी के नेता अपने आपको संगठित नहीं रख सके और उसका असर सरकार पर भी पड़ा. तय समय से एक साल पहले यानी 1980 में चुनावों का ऐलान हुआ. इस दफा इंदिरा गांधी पूरे दमखम के साथ चुनावी मैदान में उतरीं और यूपी के हमीरपुर में चुनावी सभा को संबोधित करना था.

हमीरपुर में सभा की

साल 1980 और जगह हमीरपुर, सभा के लिए मंच तैयार था. लेकिन कम रोशनी की वजह से सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अफसरों ने उस जगह को खारिज कर दिया. इंदिरा गांधी के पास दो ही विकल्प था या तो वो रैली करें या ना करें. लेकिन इंदिरा गांधी ने रैली करने का फैसला किया, उस सभा स्थल के करीब गोधन सेठ नाम के एक शख्स का घर था. किसी ने सलाह दिया कि उनके घर की छत से सभा की जा सकती है. फिर क्या था विकल्प मिला और इंदिरा गांधी ने जोरदार भाषण दिया. खास बात यह कि उस सीट को कांग्रेस जीतने में कामयाब भी रही.

घर की छत से सभा

मीडिया में इस संबंध में कई रिपोर्ट भी छपी. उस माहौल को के बारे में गोधन सेठ के बेटे अनिल कुमार ने बताया कि इंदिरा जी को शाम चार बजे के करीब सभा संबोधित करनी थी. लेकिन कानपुर से आते वक्त देर हो रही थी. लोग इंतजार करते रहे. कुछ लोग वापस भी जाने लगे कि पता चला कि वो आ रही हैं. जिस समय वो सभा स्थल पर पहुंची उस वक्त रात के करीब 9 बजे थे. लेकिन लोगों के जोश और उत्साह को आप इस बात से समझ सकते हैं कि लोग वापस सभा स्थल की तरफ आने लगे. अफसरों ने अंधेरे की वजह से सुरक्षा का हवाला भी दिया. लेकिन इंदिरा गांधी ने निराश ना करते हुए उनके घर की छत से सभा संबोधित की.  

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