जम्मू-कश्मीर चुनाव: सरकार बनाने के लिए पीडीपी का समर्थन लेने को तैयार हैं फारूक अब्दुल्ला

अब्दुल्ला ने खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड़ से बाहर बताया और कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए ताकि नई सरकार के पास लोगों की समस्याओं का समाधान करने की शक्ति हो।

Update: 2024-10-07 16:26 GMT

Jammu Kashmir Assembly Elections : जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव कुछ ही घंटों बाद आने वाले हैं. ऐसे में हर किसी की नज़र नतीजों पर ही है कि आखिर केंद्र शाशित प्रदेश बनने के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में जनता ने किसी को पूर्ण बहुमत दिया है या नहीं. वहीँ इस बात को लेकर भी कयास है कि गठबंधन में लड़ रही कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस को अगर पीडीपी की जरुरत पड़ती है तो क्या नेशनल कांफ्रेंस इसके लिए तैयार होगी या नहीं? इस सवाल का जवाब मतगणना की पूर्व संध्या पर खुद फारुख अब्दुल्ला ने दे दिया है, जिन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए महबूबा मुफ्ती की पीडीपी से समर्थन लेने के विचार के लिए तैयार है.


ये कहा फारुख अब्दुल्ला ने
मतगणना की पूर्व संध्या पर फारुख अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा की पांच आरक्षित सीटों पर सदस्यों को नामित करने का अधिकार उपराज्यपाल को देने के कदम की भी आलोचना की और कहा कि अगर भाजपा नीत केंद्र इस पर आगे बढ़ता है तो उनकी पार्टी सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी.

मुख्यमंत्री की दौड़ में नहीं है फारुख अब्दुल्ला
फारुख अब्दुल्ला ने स्पष्ट करते हुए कहा कि मैं मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हूं. 86 वर्षीय अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद की दौड़ से खुद को बाहर रखते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए ताकि नई सरकार के पास लोगों की समस्याओं का समाधान करने की शक्ति हो.

पूर्ण राज्य का दर्जा हो बहाल
फारुख अब्दुल्ला ने कहा, "राज्य का दर्जा बहाल होना चाहिए, पूर्ण राज्य का दर्जा, जहां सरकार के पास काम करने की शक्ति हो. मैं मुख्यमंत्री नहीं रहूंगा. यह एक बात स्पष्ट होनी चाहिए. मैंने अपना मुख्यमंत्री का काम कर दिया है. मेरी समस्या यह होगी कि हम एक मजबूत सरकार कैसे बनाते हैं और हम लोगों के सामने जो एजेंडा रखते हैं उसे कैसे पूरा करते हैं."
यह पूछे जाने पर कि क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन जरूरत पड़ने पर पीडीपी से समर्थन लेगा, अब्दुल्ला ने कहा, "क्यों नहीं?" "इससे क्या फर्क पड़ता है? अगर हम सभी एक ही चीज के लिए काम करते हैं, राज्य के लोगों की स्थिति में सुधार, बेरोजगारी को दूर करना, पिछले 10 सालों में हुई सभी परेशानियों को दूर करना। सबसे पहली चीज जो हमें करनी चाहिए, वह है प्रेस की स्वतंत्रता को बहाल करना. हमें यह कहने का अधिकार होना चाहिए कि क्या सच है और क्या झूठ। हम चुनावों में प्रतिद्वंद्वी हो सकते हैं लेकिन मुझे कोई आपत्ति नहीं है और मुझे यकीन है कि कांग्रेस को भी कोई आपत्ति नहीं होगी," उन्होंने कहा.

'अनावश्यक अटकलें': पीडीपी प्रमुख की बेटी इल्तिजा
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने कहा कि गठबंधन के बारे में बातचीत "अनावश्यक" है और पार्टी के वरिष्ठ नेता इस पर फैसला लेंगे.
उन्होंने अपने 'X' हैंडल पर लिखा, "अनावश्यक अटकलें. मैं सच कह दूं. पीडीपी का वरिष्ठ नेतृत्व धर्मनिरपेक्ष मोर्चे को समर्थन देने के बारे में तभी फैसला करेगा जब नतीजे आ जाएंगे. यह हमारा आधिकारिक रुख है."

निर्दलियों का समर्थन भी मंजूर लेकिन भीख नहीं मांगूंगा
एनसी अध्यक्ष अब्दुल्ला ने कहा कि वह निर्दलीयों का समर्थन लेने के भी खिलाफ नहीं हैं, लेकिन वह इसके लिए भीख नहीं मांगेंगे.
उन्होंने कहा, "मैं उनके सामने भीख मांगने नहीं जाऊंगा. अगर उन्हें लगता है कि वे राज्य को मजबूत कर सकते हैं, तो उनका स्वागत है. यह उनकी पहल होनी चाहिए. उन्हें लोगों के लिए अच्छा करने की इच्छा होनी चाहिए."

पूर्व मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल को सदस्यों को मनोनीत करने की दी गई शक्ति की भी आलोचना की
अब्दुल्ला ने श्रीनगर में संवाददाताओं से कहा, "सबसे पहले एलजी को इस प्रक्रिया से दूर रहना चाहिए क्योंकि सरकार बन रही है. लोगों को नामित करना और उसे (नामांकन को) एलजी के पास भेजना सरकार का काम है. यह सामान्य प्रक्रिया है. वे क्या करना चाहते हैं, मुझे नहीं पता. हालांकि, अगर वे ऐसा करते हैं (एलजी को अधिकार देते हैं), तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. अगर लार्ड साहब यहीं रहेंगे तो सरकार बनाने का क्या मतलब है? हमें इन सबके खिलाफ लड़ना होगा."
पांच आरक्षित सीटें दो महिलाओं, दो कश्मीरी प्रवासियों और एक पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर के शरणार्थियों के लिए हैं.
अब्दुल्ला ने कहा कि हालांकि उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं है जिससे पता चल सके कि भाजपा इस कदम को आगे बढ़ाएगी या नहीं, लेकिन वे अपने मंसूबों में सफल नहीं होंगे.
उन्होंने कहा, "काश, मेरे पास कोई जादू की छड़ी होती जिससे मैं जान पाता कि वे ऐसा करेंगे या नहीं. मैं जानता हूं कि उनके इरादे क्या हैं, लेकिन वे सफल नहीं होंगे, चाहे वे जितना भी प्रयास कर लें."

एग्जिट पोल से नहीं हैं उत्साहित
एग्जिट पोल के बारे में अब्दुल्ला ने कहा कि वह इनसे उत्साहित नहीं हैं. उन्होंने कहा, "एग्जिट पोल गलत भी हो सकते हैं और सही भी. जब बक्से खुलेंगे और वोटों की गिनती होगी, तब ही सच्चाई सामने आएगी। हमें उम्मीद है कि गठबंधन एक स्थिर सरकार बनाएगा। हम यही चाहते हैं."
नई सरकार से लोगों की अपेक्षाओं के बारे में उन्होंने कहा कि अपेक्षाएं इतनी अधिक हैं कि "केवल भगवान ही जानता है कि नया मुख्यमंत्री सो भी पाएगा या नहीं."
अब्दुल्ला ने जम्मू की अनदेखी करने के लिए भाजपा नीत केंद्र पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, "मैं अभी जम्मू से वापस आया हूं, मैंने जम्मू की खस्ता हालत देखी है. मैंने वहां खराब सड़कें देखी हैं, उनके पास स्ट्रीट लाइट नहीं हैं और फिर वे (भाजपा) सोचते हैं कि जम्मू उनकी जेब में है. जम्मू के लोगों को समझना चाहिए कि उन्हें कहां ले जाया गया है. वे हमें गाली देते थे कि एनसी सरकार ने जम्मू के साथ भेदभाव किया है. आज, उनके लोग दिल्ली में बैठे हैं. वे जम्मू को कैसे भूल गए?"


(एजेंसी इनपुट्स के साथ)


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