सियासी हवा का रुख बदलने में देर नहीं लगती, अब इन 259 सीटों पर संग्राम

दिल्ली की गद्दी पर काबिज होने के लिए किसी भी दल के पास कमसे कम 272 सांसदों की संख्या होनी चाहिए. मतदाता किस दल पर मेहरबान होंगे फैसला चार जून को आना है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-20 08:59 GMT

Lok Sabha Election 2024:  आम चुनाव 2024 के लिए सात चरणों में हो रहे मतदान के चार चरण पूरे हो चुके हैं. नजर अब आगे के चरणों पर है. यहां पर हम 259 उन सीटों की बात करेंगे जो एनडीए और इंडी ब्लॉक दोनों के लिए अहम हैं. 259 सीटों पर पिछले चुनाव यानी 2019 में किसका जोर था उसे जानना जरूरी है. यहां पर हम पिछले तीन चुनाव में चौथे चरण की तस्वीर आपके सामने रखेंगे. 2009 में जहां बीजेपी को 10 सीट, वहीं 2014 में 38 और 2019 में 42 सीट मिली थी.अगर बात कांग्रेस की करें तो 2009 में 50,2014 में 3 और 2019 में 6 सीट मिली. चौथे चरण में कुल 96 सीटों पर मतदान हो चुका है जिसमें आंध्र प्रदेश और तेलंगाना शामिल हैं.इस चरण के बाद दक्षिण भारत के सभी राज्यों में चुनाव संपन्न होंगे और लड़ाई का केंद्र हिंदी भाषी हिस्से होंगे.

चार चरण के चुनाव समाप्त

लोकसभा(543 सीटों के लिए मतदान) चुनाव के पहले चरण में 102 (मतदान की तारीख 19 अप्रैल), दूसरे में 88 (मतदान की तारीख 26 अप्रैल), तीसरे चरण में 93(मतदान की तारीख 7 मई) के साथ चौथे चरण में 96 सीटों के लिए वोटिंग 13 मई को खत्म हो जाएगा. इस तरह से कुल 379 सीटों के लिए चुनाव संपन्न हो चुका होगा.चौथे चरण के बाद बाकी की तीन चरणों में कुल 164 सीटों के लिए मतदान होगा.

चौथा चरण इस वजह से खास

चौथे चरण में जिन 96 सीटों के लिए मतदान होना है उसमें बीजेपी 2019 नंबर वन पर थी, बीजेपी ने 89 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जिनमें 42 को जीत मिली.अगर चौथे चरण की बात करें तो क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन कांग्रेस से अच्छा रहा था. 2014 और 2019 में आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस को 9 सीटे मिली थीं, तेलंगाना में के चंद्रशेखर राव के दल को 9 सीटें मिलीं थीं.इन आंकड़ों को देखने के बाद आप के दिमाग में सवाल उठ रहा होगा कि क्या बीजेपी को चुनौती देना आसान है.

चौथे चरण की जिन 96 सीटों पर चुनाव हो रहा है उसे ध्यान से देखें तो बीजेपी का ग्राफ 2009 से लेकर 2019 तक बढ़ा है जबकि कांग्रेस का घटा है. अगर आप आंध्र प्रदेश की बात करें तो यह संभव है कि कांग्रेस, वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी को टक्कर दे सके. यही हाल तेलंगाना का है. तेलंगाना में कांग्रेस के खिलाफ मुख्य विपक्ष बीआरएस है हालांकि बीजेपी द्वारा चुनावी लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश की जा रही है. अगर 2019 के 89 सीटों की बात करें जिसमें बीजेपी 42 सीट जीतने में कामयाब रही 40 फीसद से अधिक मत मिले थे. जबकि कांग्रेस को 43 सीटों पर 10 फीसद से भी कम मत मिले थे. इसका अर्थ यह है कि बीजेपी और कांग्रेस के वोट प्रतिशत में बड़ा फर्क है.

बीजेपी के लिए कठिन परीक्षा

96 में से 32 सीटों पर लड़ाई के दिलचस्प संकेत मिल रहे हैं. ये वो सीटें जो किसी भी तरफ जा सकती हैं. 11 सीटों पर जीत और हार के बीच का फासला 1 फीसद से भी कम है. अगर आप चौथे चरण के आगे वाले फेज पर ध्यान दें तो अग्निपरीक्षा के दौर से बीजेपी को गुजरना है क्योंकि 2019 में प्रदर्शन शानदार था. सियासी पंडित कहते हैं कि यह बात सच है कि आंकड़े बहुत कुछ कह जाते हैं, कई तरह के संभावनाओं को जन्म देते हैं लेकिन चुनाव में जीत और हार के लिए सिर्फ अर्थमेटिक नहीं राजनीतिक दलों और मतदाताओं के बीच की केमिस्ट्री पर निर्भर करती है.

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