समझने का है फेर 'एक हैं तो सेफ हैं' जनता के लिए ही नहीं राजनितिक दलों के लिए भी रखता है मायने
महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के रुझानों में कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुक्सान. महायुती को अभूतपूर्व सफलता मिलती दिख रही है. लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि अगर शिव सेना और NCP में फूट न पड़ी होती और ये एक होकर लड़ते तो इनकी संख्या बल भी ज्यादा होती.
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-11-23 11:01 GMT
Maharashtra Assembly Elections Result 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एक हैं तो सेफ है नारा काफी प्रसारित किया गया. इस नारे का लाभ भी महायुती को मिलता दिखा लेकिन विस्तार से देखा जाए तो अब जब चुनाव परिणाम आते जा रहे हैं तो रुझानों से एक और सन्देश मिल रहा है, वो ये कि एक हैं तो सेफ सिर्फ जनता के लिए नहीं बल्कि महाराष्ट्र के दो क्षेत्रीय दलों के लिए भी काफी हद तक कारगर साबित होता, अगर ये दोनों ही क्षेत्रीय दल अपनी फूट को दूर करते हुए एक हो जाते तो. हम यहाँ बात कर रहे हैं शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ( NCP ) की. ये दोनों ही दल बंट चुके हैं लेकिन परिणाम ये कहते हैं कि ये एक होते तो आज इनका संख्या बल और भी ज्यादा होता.
पहले बात करते हैं रुझानों में कौन सी पार्टी कितनी सीटों पर आगे है
चुनाव आयोग के अनुसार सत्तारूढ़ महायुति की बात करें तो भाजपा 126 सीट पर, शिवसेना 54 और NCP 40 सीट पर आगे चल रही है. वहीँ MVA में शामिल NCP (शरदचंद्र पवार) 12 सीटों पर, कांग्रेस 21 और शिवसेना (UBT) 17 सीट पर आगे चल रही है.
क्यों कहा शिवसेना और NCP एक होते तो सेफ होते
महाराष्ट्र में कुल 288 विधानसभा सीट हैं. सभी सीटों पर रुझान आ चुके हैं. महायुती 231 सीटो पर आगे चल रही हैं, वहीँ महाविकास अघाड़ी सिर्फ 53 सीटों पर ही आगे है. अब बात करें तो पार्टी अनुसार बीजेपी 131, शिवसेना 54 और NCP 40 सीटों पर आगे है. वहीँ MVA में कांग्रेस 19, शिवसेना ( UBT ) 20 और NCP (शरद पवार ) 11 पर आगे चल रहे हैं. यहाँ अगर देखा जाए तो प्रदेश की दो क्षेत्रीय पार्टी शिवसेना और NCP अगर एक होकर चुनाव में हिस्सा लेती तो उनका संयुक्त संख्या बल काफी अच्चा होता.
शिवसेना
शिव सेना की बात करें तो दोनों को मिला दिया जाए तो कुल संक्या 74 बैठती है. इसमी शिवसेना शिंदे की 54 और उद्धव ठाकरे की शिवसेना 20 सीट पर है. अगर पिछले चुनाव की बात की जाए तो शिवसेना जब संयुक्त थी तो उसे 56 सीटें ही मिली थी. यानी पिछली बात से ज्यादा सीट इस बार हो जाती आगे ये संयुक्त होकर लड़ती. इतना ही नहीं वोट शेयर भी ज्यादा होता.
NCP
NCP की बात करें तो अजीत पवार की पार्टी 40 सीट पर तो शरद पवार की पार्टी 11 पर आगे है. दोनों मिलकर 51 होता है. लेकिन ये आंकड़ा 2019 की संख्या 54 से कम जरुर है फिर भी वोट शेयर इस बार ज्यादा है. अगर ये दोनों संयुक्त होकर लड़ते तो शायद संख्याबल भी ज्यादा हो जाता.
कांग्रेस को हुआ काफी नुकसान
अब बात करते हैं कांग्रेस की, जिसने लोकसभा चुनाव में काफी अच्चा किया था और प्रदेश में सबसे ज्यादा सांसद इसी पार्टी के चुन कर आये थे. वो पार्टी इस बार सिर्फ 19 सीटों पर ही आगे चल रही है, जबकि 2019 में कांग्रेस को 44 सीट मिली थी. वोट शेयर की बात करें तो इस बार कांग्रेस का वोट शेयर 16 प्रतिशत से घाट कर 10 प्रतिशत पर पहुँच गया है.