महाराष्ट्र का नतीजा इस वजह से भी होगा रोचक, संजय राउत के बयान से समझिए

महाराष्ट्र विधानसभा की सभी 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा। नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे। इस बीच शिवसेना यूबीटी ने बड़ी बात कही है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-20 09:07 GMT

Maharashtra Assembly Polls 2024:  महाराष्ट्र विधानसभा के सियासी रण में इस दफा महाविकास अघाड़ी और महायुति एक दूसरे के आमने सामने होंगे। इस दफा की लड़ाई दोनों पक्षों के लिए करो या मरो की है। 288 सीटों की इस लड़ाई में दोनों पक्ष अपनी अपनी जीत के दावे कर रहे हैं। इन सबके बीच शिवसेना यूबीटी के प्रवक्ता संजय राउत ने निशाना साधा है। उनका निशाना फिलहाल ईवीएम या आचार संहिता के उल्लंघन का नहीं है। बल्कि चुनावी नतीजे की तारीख को लेकर है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे और इस सरकार का मौजूदा कार्यकाल 26 नवंबर है। इसका अर्थ यह है कि किसी भी गठबंधन को सरकार बनाने के लिए 2 दिन का समय ही मिलेगा और इसी मुद्दे पर शिवसेना को ऐतराज है। 

सरकार गठन के लिए सिर्फ 48 घंटे
संजय राउत कहते हैं कि सरकार गठन के लिए केवल 48 घंटे का समय दिया गया है। यह बीजेपी की चाल है ताकि एमवीए दावा करने में असमर्थ हो। राज्यसभा सांसद ने आरोप लगाया कि अमित शाह के साथ भाजपा ने यह स्वीकार कर लिया है कि पार्टी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाएगी। ऐसा लगता है कि महा विकास अघाड़ी के लिए सरकार गठन के बारे में चर्चा और निर्णय लेने के लिए उपलब्ध समय को सीमित करने की रणनीति है। यदि एमवीए घटक दावा करने में विफल रहते हैं, तो राज्यपाल छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करेंगे। उन्होंने दावा किया कि भाजपा एमवीए को सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए सक्रिय कदम उठा रही है।

चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल
चुनाव आयोग ने चुनावी कार्यक्रमों को इस तरह से निर्धारित किया है कि यह एमवीए के प्रभावी रूप से सरकार बनाने के अवसर को प्रतिबंधित करता है। शिवसेना (यूबीटी) नेता ने यह भी बताया कि मतगणना 23 नवंबर को होगी, जिसका मतलब है कि एमवीए के सहयोगी - शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस, एनसीपी (एसपी) और अन्य छोटी पार्टियों के पास सरकार बनाने के लिए केवल 48 घंटे होंगे, और यह अनुचित है। चुनाव आयोग, बीजेपी की प्रवक्ता की तरह है। यह ईवीएम का समर्थन करता है, लेकिन जब हम हरियाणा राज्य चुनावों में इन मशीनों के साथ कथित छेड़छाड़ के बारे में बोलते हैं तो यह चुपचाप चुप हो जाता है। आयोग ने लोकसभा चुनावों के दौरान धन के दुरुपयोग की शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

क्या कहते हैं जानकार

सियासी पंडित कहते हैं कि अगर महाविकास अघाड़ी से जुड़े दल या नेता इस तरह की बात करेंगे तो उसका संदेशा अच्छा नहीं जाएगा। बीजेपी और उससे जुड़े घटक दल प्रचारित करेंगे कि विपक्ष पहले से ही हार मान चुका है। विपक्ष को यकीन है कि जनता उनमें भरोसा नहीं कर रही है। लेकिन इसका एक पक्ष जिसे संजय राउत उठा रहे हैं उसमें दम है। अगर दोनों धड़े जादुई आंकड़े से पीछे रह जाते हैं तो यह बात सच है कि किसी के पास खरीद फरोख्त करने का मौका रहेगा। लेकिन वैसी सूरत में गवर्नर रूल का लगना संवैधानिक बाध्यता होगी। अब यदि ऐसी स्थिति का निर्माण होता है कि तो ऊंट किस करवट बैठेगा वो इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन सा दल बेहतर ढंग से बारगेन करने में कामयाब होता है। 

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