Maharashtra Election 2024: असली शिवसेना किसकी, जनता ने सुना दिया फैसला
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की खास बात कि शिवसेना शिेंदे गुट के पास एमवीए की सीटों से अधिक संख्या है। यही नहीं ठाकरे गुट से सीटों की संख्या तीन गुनी है।
Eknath Shinde News: महाराष्ट्र की राजनीति में एक सवाल अक्सर पूछा जाता है कि असली वाली शिवसेना किसकी। यहां बता दें कि चुनाव आयोग की नजर में असली शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट है। शिवसेना के झंडे-दंडे का वो इस्तेमाल कर सकते है। हालांकि यह मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन है। आप सोचेंगे कि असली-नकली पर बात करने की जरूरत क्यों पड़ी। दरअसल वो साल 2022 का था, महीना जून का। उद्धव ठाकरे के खिलाफ उनके विश्वस्त एकनाथ शिंदे बगावत कर चुके थे। शिंदे की बगावत को ठाकरे दबा नहीं सके और उसकी वजह से शिवसेना दो हिस्सों में बंट गई और वहीं से असली नकली का खेल शुरू हो गया। अब उस बगावत का झंडा उठाने वाले शिंदे क्या बीजेपी के मोहरा थे। दरअसल इस तरह का सवाल उद्धव ठाकरे का खेमा उठाता है। हालांकि बीजेपी ने 2022 में जब शिंदे को सीएम बनाया तो यह संदेश गया कि शिंदे की बगावत ठाकरे की नीतियों के खिलाफ थी ना कि बीजेपी ने उकसाया था। अब इस पृष्ठभूमि में बात करेंगे कि असली शिवसेना कौन है।
सबसे पहले महाराष्ट्र के रुझानों और नतीजों को समझिए। महायुति में बीजेपी 130 सीटों के साथ बड़ी पार्टी, एकनाथ शिंदे गुट को 55 सीट, एनसीपी अजित पवार को 40 सीट। इसी तरह से महाविकास अघाड़ी की पार्टी शिवसेना यूबीटी 20, एनसीपी 12 और कांग्रेस 18 सीट और अन्य 3। अगर आप शिवसेना एकनाथ शिंदे गुटे की संख्या को देखें तो एमवीए की पूरी संख्या से अधिक है। यही नहीं अगर शिवसेना उद्धव गुट से तुलना करें तो तो यह संख्या तीन गुनी है। यानी कि आप यह कह सकते हैं कि महाराष्ट्र की जनता ने शिंदे गुट को उद्धव गुट की तुलना में प्राथमिकता दी है। अब सवाल यह है कि एकनाथ शिंदे क्यों भारी पड़े। इसके बारे में सियासी जानकार अलग अलग नजरिया पेश करते हैं।
कुछ लोगों का यह मानना है कि पिछले ढाई साल में शिंदे की जो नीतियां जनता के मुताबिक रही। चुनाव से कुछ महीने पहले जैसे सीएम लाड़की योजना को जमीन पर उतारा गया उसका फायदा मिला। इसके साथ ही बीजेपी की तरफ से सरकार चलाने में पूर्ण सहयोग मिला। इसके अलावा जिस तरह से चुनाव में एक होकर महायुति के दल चुनावी संग्राम में जुटे उसका फायदा मिला। वहीं महाविकास अघाड़ी में जिस तरह से शिवसेना उद्धव गुट और कांग्रेस के बीच बयानबाजी का दौर चला। खासतौर से सीएम पद के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ सहमति नहीं बनी उसका असर यह हुआ कि शिवसेना उद्धव गुट के कोर वोटर बड़ी संख्या में एकनाथ शिंदे गुट की तरफ झुक गया और उसका असर यह हुआ शिंदे की सेना उद्धव ठाकरे की सेना से तीन गुना अधिक सीट पाने में कामयाब हुई।