बिटक्वाइन का बाण किसे करेगा जख्मी, अब तो अजित पवार vs सुप्रिया सुले
बिटक्वाइन करेंसी के मुद्दे पर महाराष्ट्र में सियासत गरमायी हुई है। सुप्रिया सुले जहां अपनी आवाज को एआई जेनरेटेड बता रही हैं। वहीं अजित पवार का दावा है कि आवाज सुले की है.
Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र विधानसभा के लिए मतदान से ठीक पहले बड़ी खबर बिटक्वाइन करेंसी को लेकर आई। बीजेपी ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेस के जरिए एनसीपी शरद पवार गुट की सांसद सुप्रिया सुले और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष को घेरा तो सियासी भूचाल आ गया। जैसे किसी भी आरोप पर नेता सफाई देते हैं कि उनका कोई वास्ता नहीं, बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। कुछ वैसा ही बयान सुप्रिया सुले और नाना पटोले की तरफ से आया। सुप्रिया सुले ने कहा सोशल मीडिया एप सिग्नल पर जिस ऑडियो का दावा किया जा रहा है वो उनकी नहीं है। ठीक वैसे ही नाना पटोले ने कहा कि वो तो किसान के बेटे हैं बिटक्वाइन का नाम नहीं जानते। लेकिन क्या बात सिर्फ इतनी सी है।
बारामती में वोट डालने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए सुले के चचेरे भाई अजित पवार ने कहा कि वह ऑडियो क्लिप में मौजूद टोन से आवाज़ों को पहचान सकते हैं। भाजपा ने मंगलवार (19 नवंबर) को महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले और एनसीपी (सपा) नेता सुप्रिया सुले के कथित वॉयस नोट्स चलाकर आरोप लगाया था कि राज्य विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने के लिए बिटकॉइन को भुनाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने दावा किया कि इससे स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराने पर गंभीर सवाल उठता है।
अजीत पवार ने मीडिया से कहा, "उनमें से एक मेरी बहन है और दूसरी वह है जिसके साथ मैंने काफी काम किया है। कुछ लोग ऐसे होते हैं जो दूसरों की आवाज़ की नकल करते हैं। हालांकि, मैं पटोले को लंबे समय से जानता हूं क्योंकि वह विधानसभा में मेरे साथ थे और मैं कह सकता हूं कि उन वॉयस नोट्स में जो आवाज़ें हैं, वे वाकई सुप्रिया और पटोले की हैं।" अजीत पवार ने कहा कि जांच की जाएगी और सच्चाई सामने आएगी। अब सवाल यह है कि बिटक्वाइन का बाण किसे अधिक जख्मी करेगा। जानकार कहते हैं कि मतदान से ठीक पहले जिस तरह कैश फॉर वोट का मामला सामने आया और उसके बाद बिटक्वाइन की बात आई वो दोनों कहीं न कहीं दोनों गठबंधनों की तरफ से डैमेज करने की कोशिश हो सकती है।
हालांकि जिस तरह से सुप्रिया सुले के बारे में अजित पवार ने दावा किया है उससे राजनीतिक तौर पर नफा नुकसान किस दल को होगा उसका फैसला २३ नवंबर को सामने आ जाएगा। लेकिन एक बात साफ है कि अभी तक शरद पवार खुल कर अजित पवार के खिलाफ बात नहीं करते रहे हैं। अगर राजनीतिक आरोप लगाया तो भी कहीं न कहीं लिहाज करते नजर आए। लेकिन इस घटना के बाद तल्खी बढ़ेगी। हालांकि राजनीति में उचित समय मलहम की तरह काम करता है जो सभी जख्मों को भर देता है।