'अजित पवार गुट को परास्त करो', शरद पवार ने 1980 का क्यों किया जिक्र

महाराष्ट्र विधानसभा की सभी 288 सीटों के लिए 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होना। इस चुनाव में शरद पवार की साख भी दांव पर लगी हुई है।;

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-18 04:26 GMT

Maharashtra Assembly Elections 2024: अजित पवार ही नहीं उनके धड़े को सबक सिखा दो। जिन लोगों ने पार्टी के साथ दगाबाजी की उन सबको पाठ पढ़ा दो। महाराष्ट्र के शोलापुर में एक चुनावी सभा में 83 साल के शरद पवार के ये बोल थे। जैसा कि हम सब जानते हैं कि शरद पवार(Sharad Pawar) की पार्टी दो हिस्सों में हैं जिसके एक हिस्से की अगुवाई कोई और नहीं बल्कि उनके भतीजे अजित पवार कर रहे हैं। अगर दोनों के बीच रिश्ता सिर्फ और कार्यकर्ता और नेता का होता तो शायद इतनी तल्खी नहीं होती। लेकिन यहां तस्वीर अलग है। दोनों के बीच खून का रिश्ता है। महाराष्ट्र की सियासत पर करीब से नजर रखने वाले कहते हैं कि बड़े पवार यानी Sharad Pawar को इस बात का अंदेशा नहीं था कि बगावत इस रूप में उनका भतीजा करेगा। इन सबके बीच वो आज से 44 साल पुरानी घटना का जिक्र कर रहे थे। सवाल यह है कि उस घटना का 2024 से नाता क्या है।

1980 का खास जिक्र
शरद पवार कहते हैं कि साल 1980 में उनके दल से कुल 58 लोग चुनाव जीतने में कामयाब रहे। वो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने। वो कुछ दिनों के लिए विदेश गए, जब वापस लौटे तो पता चला कि उस समय के सीएम ए आर अंतुले साहब ने कुछ जादू कर दिया। 58 में से 52 विधायकों ने पाला बदला और उसका असर ये हुआ कि वो नेता प्रतिपक्ष नहीं रहे। लेकिन उस समय उन्होंने कुछ नहीं किया। उनका सिर्फ एक ही मकसद बना कि ज्यादा से ज्यादा लोगों से मिलो, कठिन मेहनत करो, अपनी बात जनता के बीच रखो। इस पूरी कवायद का फायदा हुआ। अगले चुनाव में उन सभी 52 बागी लोगों के खिलाफ नौजवानों को चुनावी मैदान में उतारा। उन्हें इस बात की खुशी हुई वो सभी 52 विधायक चुनाव हार गए जो उन्हें छोड़ गए थे।

अजित पवार के खिलाफ युगेंद्र पवार
शरद पवार लोगों तक अपनी बात पहुंचाते हुए बताते हैं कि महज 27 साल की उम्र में साल 1967 में वो विधायक बने। वो किसी भी रण में परास्त नहीं हुए। उनका खुद का अनुभव है। जो लोग आपको धोखा देते हैं उनको उनकी जगह दिखा देनी चाहिए। उन्हें सिर्फ हराओ मत बड़ी हार से नवाजो। बता दें कि पिछले साल जुलाई में अजित पवार ने एनसीपी से ना सिर्फ नाता तोड़ा बल्कि कुछ विधायकों के साथ वो महायुति(Mahayuti) यानी एकनाथ शिंदे- देवेंद्र फणनवीस सरकार का हिस्सा बन गए। 2024 के विधानसभा चुनाव में अजित पवार के खिलाफ शरद पवार ने अपने पड़पोते युगेंद्र पवार(Yugendra Pawar) को बारामती सीट से उतारा है। 

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