परिवारवाद सिर्फ सुनने कहने की बात, महाराष्ट्र की इस तस्वीर को देखिए

भारत की राजनीति में परिवारवाद अब कहने के लिए मुद्दा है। राजनीति दल विरोध तो करते हैं लेकिन सांकेतिक तौर पर। महाराष्ट्र इसका जीता जागता उदाहरण है

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-05 07:50 GMT

Maharashtra Assembly Polls 2024:  भारतीय राजनीति की बड़ी खासियत यह है कि यहां पर सभी दल परिवारवाद के मुद्दे पर निशाना साधते हैं। लेकिन हकीकत में परिवार से मोहब्बत कम नहीं होती। दूसरा दल परिवार को आगे बढ़ाए तो खराबी ही खराबी लेकिन जब खुद उसी नक्शेकदम पर चले तो सबकुछ जायज। बात यहां हम महाराष्ट्र की करेंगे। 2024 के चुनाव में किसी भी दल ने अपने बेटे बेटियों, रिश्तेदारों को टिकट देने में कंजूसी नहीं बरती है। क्या बीजेपी, क्या कांग्रेस, क्या शिवसेना के दोनों धड़े या एनसीपी के दोनों गुट। इस चुनाव में शरद पवार (Sharad Pawar)हों या अशोक चव्हाण, या विलासराव देशमुख(Vilas Rao Deshmukh) या नारायण राणे इनसे जुड़ा कोई ना कोई शख्स चुनावी मैदान में है।

शरद पवार फैमिली

बारामती विधानसभा(Baramati Assembly) लोकसभा चुनाव की तरह एक बार फिर हॉट सीट बन गई है। लोकसभा चुनाव में ननद और भाभी यानी सुप्रिया सुले और सुनेत्रा पवार चुनावी मैदान में थीं। वहीं इस दफा अजित पवार और उनके भतीजे युगेंद्र पवार आमने सामने हैं। बारामती सीट से अजित पवार सात बार विधायक रह चुके हैं। यह सीट शरद पवार की खास सीट हुआ करती थी। बारामती से मुंबई का सफर तय कर चार दफा महाराष्ट्र के सीएम बने। अजित पवार के सामने कोई और नहीं बल्कि उनके भतीजे युगेंद्र पवार हैं। 

ठाकरे परिवार

शरद पवार से हटकर अब नजर डालते हैं ठाकरे परिवार यानी उद्धव ठाकरे की तरफ। इस दफा इस परिवार से दो सदस्य चुनावी किस्मत आजमा रहे हैं। पहला चेहरा आदित्य ठाकरे का है जो एक बार फिर वर्ली से चुनावी मैदान में हैं। उद्धव ठाकरे नवंबर 2019 से जून 2022 तक करीब ढाई साल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहे। जून 2022 में उनके ही कैबिनेट सहयोगी एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। आदित्य ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के एक प्रमुख नेता और युवा सेना के अध्यक्ष हैं। इस चुनाव में पूर्व मंत्री का सामना पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा से है। देवड़ा एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के टिकट पर मैदान में उतरे हैं। इसके अलावा, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने राज ठाकरे के करीबी सहयोगी माने-जाने वाले संदीप देशपांडे को अपना उम्मीदवार बनाया है।

मध्य मुंबई की माहिम विधानसभा सीट तीन सेनाओं के मुकाबले में फंसी हुई है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के मुखिया राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। भतीजे अमित के सामने पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने महेश सावंत को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने अमित ठाकरे को समर्थन देने का वादा किया है, जबकि उसकी सहयोगी एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने अपने मौजूदा विधायक सदा सरवणकर को मैदान में उतारा है। इसके चलते माहिम में मनसे, शिवसेना (EkNath Shinde Faction) और शिवसेना (Uddhav Thackeray) के बीच त्रिकोणीय लड़ाई मानी जा रही है।

नारायण राणे के दोनों बेटों को टिकट

पूर्व मुख्यमंत्री और रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग के सांसद नारायण राणे के दोनों बेटे चुनावी मैदान में हैं। राणे, मनोहर जोशी के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हुए थे। कणकवली सीट से एक बार फिर से नारायण राणे के छोटे बेटे नीतेश राणे को मौका दिया है।  वहीं नारायण के बड़े बेटे नीलेश राणे को समझौते के तहत शिवसेना से टिकट दिया गया है। नीलेश राणे हाल ही में एकनाथ शिंदे की पार्टी में शामिल हुए थे। उनका मुकाबाला शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार वैभव नाइक से होगा।

विलासराव देशमुख के दो बेटे चुनावी मैदान में 

इस दफा विलासराव देशमुख के दो बेटों अमित देशमुख,  धीरज देशमुख को कांग्रेस की ओर से टिकट दिए गए हैं। विलासराव देशमुख दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं। विलासराव के बड़े बेटे अमित को लातूर शहर से प्रत्याशी बनाया है। खास बात है कि  लातूर शहर में कांग्रेस के अमित देशमुख का मुकाबला दिग्गज कांग्रेस नेता और यूपीए सरकार में केंद्रीय गृह मंत्री रह चुके शिवराज पाटिल की बहू अर्चना पाटिल(बीजेपी उम्मीदवार  से होगा। विलासराव देशमुख के छोटे बेटे धीरज देशमुख को कांग्रेस ने लातूर ग्रामीण से टिकट दिया है।

अशोक चव्हाण की बेटी को टिकट

मराठवाड़ा क्षेत्र की भोकर विधानसभा सीट पर बीजेपी ने अशोक चव्हाण की बेटी श्रीजया चव्हाण को उम्मीदवार बनाया है।  अशोक चव्हाण और दादा शंकरराव चव्हाण दोनों ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे हैं। इस परिवार का दबदबा लातूर जिले में रहा है। भोकर  ऐसी विधानसभा सीट है जहां बीजेपी आज तक खाता नहीं खोल सकी है। इस चुनाव से पहले यहां से बीजेपी की सहयोगी शिवसेना के उम्मीदवारा ही किस्मत आजमाते रहे हैं।  यह सीट चव्हाण खानदान की परंपरागत सीट रही है।  2008 से 2010 तक अशोक चव्हाण महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। 

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