जानें क्या कहता है कालीन भैया का शहर 'मिर्जापुर', किसके सिर सजेगा सांसदी का ताज?

मिर्जापुर एक सांसद को लगातार दो बार से अधिक मौका नहीं देने के लिए जाना जाता है. लेकिन अपना दल (सोनेलाल) की उम्मीदवार अनुप्रिया पटेल इस बार इस मिथक को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं.

Update: 2024-05-30 16:24 GMT

Mirzapur Lok Sabha Election: मिर्जापुर की सूखी धरती चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए बारिश का बेसब्री से इंतजार कर रही है. यही हाल इसके चुनावी मैदान का भी है, जहां पानी निर्णायक कारक साबित हो सकता है. गंगा नदी के तट पर स्थित, पीने योग्य और गैर-पीने योग्य पानी की कमी जिले का मुख्य मुद्दा है. मिर्जापुर के मड़िहान उप-विभाग के तीन दर्जन से अधिक गांवों में फसलों की खेती के लिए सिंचाई का प्राथमिक स्रोत स्लुइस गेट है. लेकिन अब इस नहर का प्रारंभिक बिंदु सूख गया है और शैवाल ने इसके तल को ढक लिया है.

पानी के लिए संघर्ष

स्थानीय निवासी बताते हैं कि पिछले दो वर्षों से हम हर फसल के मौसम में संघर्ष कर रहे हैं. क्योंकि नहर से पानी नहीं आता है. मिर्जापुर के दूरदराज के इलाकों में हर परिवार आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है. जनवरी और फरवरी में धान की खेती से पहले बिजली की आपूर्ति भी अनियमित थी, जिसके कारण बोरवेल संचालित नहीं हो सके. मिर्जापुर राज्य के सबसे सूखा क्षेत्रों में से एक है और इसके किसान खेती के लिए मानसून से प्रभावित बांधों और जलाशयों पर बहुत अधिक निर्भर हैं. हालांकि, लाल बलुआ पत्थर और चट्टानी इलाकों की उपस्थिति राज्य के अन्य हिस्सों के विपरीत बोरवेल की ड्रिलिंग को मुश्किल बनाती है.

दो बार से ज्यादा नहीं मिलता मौका

मिर्जापुर एक सांसद को लगातार दो बार से अधिक मौका नहीं देने के लिए जाना जाता है. लेकिन अपना दल (सोनेलाल) की उम्मीदवार अनुप्रिया पटेल इस बार इस मिथक को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं. लेकिन साल 2014 से जिस सीट का वह प्रतिनिधित्व कर रही हैं, वहां उनके लिए यह कठिन लड़ाई है. 43 वर्षीय अनुप्रिया का मुकाबला भाजपा से अलग हुए और भदोही से मौजूदा सांसद 50 वर्षीय रमेश चंद बिंद से है. मिर्जापुर में छानबे, मिर्जापुर, मझवां, चुनार और मरिहान पांच विधानसभा क्षेत्र हैं. यहां के रहने वाले कालीन व्यापारी ऐसे सांसद की चाहत रखते हैं, जो उनकी कारोबारी चिंताओं को दूर कर सके.

उद्योगों को नहीं सपोर्ट

स्थानीय लोगों का कहना है कि एक जिला एक उत्पाद योजना ने भदोही-मिर्जापुर कालीनों के लिए एक ब्रांड वैल्यू जरूर बनाई है. लेकिन उद्योग को वह समर्थन नहीं मिल रहा है, जिसकी उसे जरूरत है. हालांकि, रमेश बिंद के लिए मुस्लिम, यादव और बिंद समुदायों से परे मतदाताओं को एकजुट करना एक कठिन काम है. बिंद ऊंची जातियों के खिलाफ अनुचित टिप्पणी करने के कारण भी विवादों में घिरे रहे हैं और चुनावों में उनके खिलाफ इसका खूब इस्तेमाल किया जा रहा है. लेकिन बिंद की राजनीति में गहरी पैठ है. वह बिंद, दलित और ब्राह्मणों के वर्चस्व वाली सीट मझवां से लगातार तीन बार (2002, 2007 और 2012) बसपा के विधायक रहे हैं.

अनुसूचित जाति हो सकती है निर्णायक

अनुसूचित जाति के मतदाता किसी भी पार्टी के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं. ऐसे में बसपा ने यहां से मनीष कुमार त्रिपाठी को मैदान में उतारा है और मायावती ने 23 मई को उनके समर्थन में एक रैली को भी संबोधित किया था. अनुसूचित जातियों की आबादी 26 फीसदी है और उनमें से आधे जाटव हैं, जो बसपा के पुराने वफादार हैं. मिर्जापुर में पासी की तुलना में कोल मतदाताओं की आबादी भी ज्यादा है. ओबीसी, खासकर पटेल, जिले में सबसे बड़ा हिस्सा हैं और उम्मीद है कि वे तीसरी बार अनुप्रिया के पीछे मजबूती से खड़े होंगे.

बुलडोजर का इस्तेमाल

लोगों का कहना है कि जनवरी और फरवरी में हमें अपनी फसलों के लिए पानी और बिजली की जरूरत थी, तब कोई कदम नहीं उठाया गया. पानी का संकट हमेशा से है और हमें उम्मीद है कि अनुप्रिया अपने तीसरे कार्यकाल में इसका स्थायी समाधान निकाल लेंगी. पिछले साल जनवरी में दांती में 40 ग्रामीण परिवारों के घरों को गिराने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया गया था. किसी ने हमारी गुहार पर ध्यान नहीं दिया और अब स्थानीय विधायक और सांसद को सबक सिखाने का समय आ गया है. स्थानीय प्रशासन ने विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए दांती में जमीन की पहचान की थी और जमीन खाली करने के लिए घरों को गिरा दिया था. हालांकि, बाद में परियोजना को देवरी कलां में स्थानांतरित कर दिया गया था.

अनुप्रिया पटेल को मिल सकता है फायदा

मिर्जापुर के शहरी मतदाताओं का कहना है कि आगामी विंध्यवासिनी तीर्थ गलियारे, प्रस्तावित निवेश परियोजनाओं और राष्ट्रीय राजमार्गों के माध्यम से बेहतर कनेक्टिविटी पर काम भाजपा-अपना दल (एस) गठबंधन के पक्ष में जा सकता है. वहीं, स्थानीय लोगों का यह कहना है कि पिछले तीन वर्षों के दौरान मरम्मत कार्यों के लिए गंगा पर लाल बहादुर शास्त्री पुल (पक्का पुल) को बार-बार बंद करना था. हालांकि, जल्द ही छह लेन की कनेक्टिविटी मिल जाएगी. क्योंकि योगी आदित्यनाथ ने इसकी घोषणा की है और इसके निर्माण के लिए बजट प्रदान कर दिया है.

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