देश पर भारी पड़ सकते हैं राहुल गांधी के वादे, महालक्ष्मी योजना पर ही खर्च होंगे 5 लाख करोड़

राहुल गांधी के बड़े वादों में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार हर साल सरकार द्वारा घोषित एमएसपी को कानूनी गारंटी देना, हर गरीब परिवार को बिना शर्त हर साल 1 लाख रुपये देने के लिए महालक्ष्मी योजना शुरू करना शामिल है.

Update: 2024-05-27 18:17 GMT

Congress Manifesto: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के चुनावी वादों को पूरा करने के लिए देश का आम बजट भी कम पड़ सकता है. उन्होंने इतने बड़े चुनावी वादे कर डाले हैं कि कई अर्थशास्त्रियों के गले नहीं उतर रहा है. राहुल के इन वादों को कांग्रेस ने इस बार के घोषणा पत्र में भी शामिल किया है. उनके बड़े वादों में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार हर साल सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी गारंटी देना, हर गरीब परिवार को बिना शर्त हर साल 1 लाख रुपये देने के लिए महालक्ष्मी योजना शुरू करना शामिल है.

चुनावी वादे

वहीं, अन्य वादों की बात की जाए तो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत मजदूरी बढ़ाकर 400 रुपये प्रतिदिन करना, राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी 400 रुपये प्रतिदिन की गारंटी देना, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत पेंशन 200-500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 1,000 रुपये करना और छात्र ऋण माफ़ करना भी शामिल है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी को सत्ता में आने पर वादों को वास्तविकता बनाने के लिए कड़ी चुनौतियाों का सामना करना पड़ेगा. क्योंकि वादे और उनको लागू करने के बीच बहुत बड़ा अंतर है.

पेंशन

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उदाहण के लिए जैसे राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत पेंशन को बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रति माह किया जाना है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2017 और 2021 के बीच सालाना औसतन 2.83 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया गया था. जबकि संयुक्त केंद्रीय और राज्य योजनाओं ने इस अवधि के दौरान सालाना 4.65 करोड़ लाभार्थियों को कवर किया. अकेले इस पर प्रति वर्ष 40,000 करोड़ रुपये की लागत आ सकती है, जो मौजूदा लागत से लगभग दोगुनी है.

महालक्ष्मी योजना

वहीं, कांग्रेस की महालक्ष्मी योजना की बात करें, जिसमें हर गरीब परिवार की सबसे बुजुर्ग जीवित महिला सदस्य को 1 लाख रुपये हर साल देने का वादा किया गया है. वहीं, साल 2011 की सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना के अनुसार, भारत में 24.49 करोड़ घर हैं, जिनमें से 17.97 करोड़ गांवों में रहते हैं. इनमें से 10.74 करोड़ परिवार वंचित माने जाते हैं. 69.43 लाख महिला मुखिया वाले घर हैं. अगर कांग्रेस पार्टी महालक्ष्मी योजना को पांच साल तक जारी रखने का फैसला करती है तो उसे एक साल में कम से कम 2.148 करोड़ परिवारों को 1 लाख रुपये देने होंगे. ऐसे में गरीब परिवारों की संख्या के आधार पर यह आंकड़ा 5 लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है.

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