करहल की लड़ाई तो खास हो गई, बीजेपी ने अखिलेश यादव के परिवार में ही लगा दी सेंध

यूपी विधानसभा उप चुनाव के लिए बीजेपी ने भी उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। सबकी नजर करहल सीट पर थी। इस सीट से अनुजेश यादव को उतारा है जिनका रिश्ता अखिलेश यादव से है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-24 07:24 GMT

UP Assembly By Poll 2024: नवंबर के महीने में महाराष्ट्र और झारखंड़ में विधानसभा चुनाव के साथ ही कई राज्यों में उप चुनाव भी होने हैं। लेकिन यूपी की 9 सीटों पर विधानसभा के लिए होने वाला उपचुनाव बेहद खास है। समाजवादी पार्टी ने पहले ही अपने सात उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया था। बाकी कि दो सीटें जो कांग्रेस के लिए छोड़ी थी उन सीटों पर साइकिल के सिंबल पर चुनाव लड़ा जाना है। इन सबके बीच बीजेपी ने सात उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी जिसमें करहल सीट पर हर किसी की नजर बरबस जा रही है। सवाल ये कि आखिर बीजेपी ने किस उम्मीदवार में भरोसा जताया है। बता दें कि बीजेपी में अनुजेश यादव को चुनावी समर में उतारा है और इस तरह से सैफई के यादव परिवार में सेंध लगा दी है।

अनुजेश, धर्मेंद्र यादव के सगे जीजा

अनुजेश यादव, रिश्ते में अखिलेश यादव के जीजा लगेंगे। अनुजेश, अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के बहनोई है। बता दें कि धर्मेंद्र यादव खुद इस समय आजमगढ़ से सांसद हैं। अब सपा उम्मीदवार तेज प्रताप के साथ अनुजेश का रिश्ता क्या है तो बता दें ये दोनों रिश्ते में फूफा और भतीजा का रिश्ता है। अब करहल की सीट इतनी खास क्यों है। दरअसल करहल सीट को भी समाजवादी पार्टी की पारिवारिक सीट मानी जाती है। अखिलेश यादव खुद सांसद बनने से पहले यहीं से विधायक थे। 

पहले समाजवादी पार्टी के थे हिस्सा

अनुजेश यादव और उनकी पत्नी संध्या दोनों समाजवादी पार्टी के हिस्सा थे। संध्या यादव मैनपुरी जिला पंचायत की अध्यक्ष रही हैं। हालांकि समाजवादी पार्टी ने जब दोनों को निकाल दिया उसके बाद इन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया। संध्या के बारे में कहा जाता है कि वो यादव खानदान यानी मुलायम सिंह परिवार की पहली बेटी रहीं जिन्होंने सियासत में कदम रखा था।
करहल का जातीय समीकरण

करहल विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरण की बात करें तो  कुल मतदाताओं की संख्या 375000 है। इनमें से 130000 यादव हैं। अनुसूचित जाति के 60,000 मतदाता भी हैं. इसके साथ ही 50 000 शाक्य, 30 000 ठाकुर, 30000 के करीब पाल और बघेल, 25,000 मुस्लिम, 19000 लोधी, 21 000 ब्राह्मण और 16,000 बनिया समाज के मतदाता हैं। यानी कि यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में होते हैं। आम तौर पर यह सीट समाजवादी पार्टी की रही है। लेकिन जिस तरह से बीजेपी ने दांव चला है और जमीनी स्तर पर बीजेपी ने अपने बूथ प्रबंधन को दुरुस्त रखा तो नतीजा किसी भी तरफ पलट सकता है।

यहां के स्थानीय लोग कहते हैं कि इसमें कोई दो मत नहीं कि मुलायम परिवार ने इस इलाके के लिए बहुत कुछ किया है। लेकिन सियासत बहते हुए पानी की तरह है। समय के साथ चीजें बदलती हैं। हालांकि इस दफा अब जब बीजेपी का उम्मीदवार सामने है और वो भी अखिलेश यादव परिवार के साथ रिश्ता है तो समाजवादी पार्टी के लिए लड़ाई एकतरफा रहने की उम्मीद कम है।

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