आजम खान की डिमांड क्यों बढ़ गई, यूपी की ये तीन सीटें कर रहीं इशारा
सियासी शख्सियतों का रिश्ता लचीला होता है,जरूरत के हिसाब से संबंध बनते बिगड़ते और संवरते हैं। समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर आजम खान के महत्व को समझना शुरू कर दिया है।
Azam Khan News: आजम खान किसी परिचय के मोहताज नहीं। हालात कुछ भी हो चर्चा होती ही है। सरकार में रहे तो चर्चा, अमर सिंह के खिलाफ आवाज खोली तो चर्चा, नेता जी यानी मुलायम यादव ने समाजवादी पार्टी से बाहर किया तो चर्चा, पार्टी में शामिल हुए तो चर्चा, सिर पर 80 से अधिक मुकदमे लदे तो चर्चा और अब एक बार फिर सुर्खियों में हैं। खबर ये नहीं कि उनके खिलाफ केस कम हो गए हैं, जौहर विश्वविद्यालय का मुद्दा ठंडे बस्ते में अदालत की कार्रवाई से राहत मिल गई है। चर्चा ये है कि अब उनके घर पर समाजवादी पार्टी के नेता चक्कर लगाने हैं। सवाल ये है कि आखिर आजम खान की याद क्यों आ रही है। आजम खान के समर्थकों ने आरोप लगाया था कि अब उनसे कोई फायदा नहीं दिख रहा लिहाजा समाजवादी पार्टी ने मुंह फेर लिया है। लेकिन अब समाजवादी पार्टी(Samajwadi Party) उन्हें मुंह क्यों लगा रही है उसे हम आपको बताएंगे।
आजम खान के बारे में कहा जाता है कि वो बिना लाग लपेट टिप्पणी करते हैं। मसलन जब उनके खिलाफ 80 से अधिक दर्ज मुकदमों में बकरी, भैंस चोरी का जिक्र किया गया तो उन्होंने कहा अब लग रहा है सितारे ढलान पर हैं लेकिन वो हार नहीं मानने वाले। सियासत में उम्मीद एक ऐसा शब्द जो खुद कभी नाउम्मीद नहीं होती। समय, काल के हिसाब से सियासी पारी में उतार चढ़ाव का दौर आता है तो क्या यूपी विधानसभा की जिन 9 सीटों पर उपचुनाव होने जा रहा है वो आजम खान के लिए उम्मीद बनकर आया है। इसका जवाब आप हां में मान सकते हैं। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेताओं का रुख रामपुर यानी आजम खान की तरफ है। दरअसल पार्टी को लगता है कि सीसामऊ, कुंदरकी और मीरापुर में पार्टी की नैया अगर कोई पार लगा सकता है तो वो आजम खान है। ऐसे में सवाल यह कि इन तीनों सीटों का समीकरण किस तरह का है।
मीरापुर सीट
मीरापुर, यूपी के मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में हैं। इस विधानसभा में मुस्लिम आबादी 40 फीसद। 2022 के चुनाव में यह सीट आरएलडी के खाते में थी। उस वक्त सपा के साथ आरएलडी का गठबंधन था। लेकिन जयंत चौधरी की पार्टी अब एनडीए के साथ है। समाजवादी पार्टी के लिए यह सीट इस वजह से भी अहम है क्योंकि 1996 में इस सीट को अपने दम पर जीता था। 2024 के चुनाव में सुम्बुल राणा उम्मीदवार यहां से किस्मत आजमां रही हैं।
सीसामऊ सीट
कानपुर की सीसामऊ सीट की चर्चा इरफान सोलंकी की वजह से है। इस सीट पर सपा का कब्जा 2022 में था। इरफान सोलंकी को विधानसभा की सदस्यता इलाहाबाद हाइकोर्ट ने खारिज की थी। लिहाजा उपचुनाव हो रहा है। इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या करीब 45 फीसद है। समाजवादी पार्टी अपने कोर वोट बैंक की मदद से इस सीट पर कब्जा करती रही है। समाजवादी पार्टी को उम्मीद है कि सोलंकी के खिलाफ एक्शन से उनके पक्ष में सहानुभूति की लहर पैदा हो सकती है। ऐसे में अगर आजम खान का साथ मिला तो जीत दर्ज की जा सकती है।
कुंदरकी
अगर बात कुंदरकी विधानसभा की करें तो इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या 65 फीसद है। इस सीट पर कुल 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं जिनमें 11 मुस्लिम समाज से हैं। बीजेपी ने ठाकुर रामवीर सिंह की तीसरी दफा उम्मीदवार बनाया है। इससे पहले 2017 और 2022 का चुनाव हार चुके हैं। यहां बता दें कि सपा के सामने चुनौती बीजेपी से कहीं अधिक चंद्रशेखर आजाद और एआईएमआईएम के गठबंधन से है। यह अलायंस मजबूती से चुनाव लड़ रहा है जो समाजवादी पार्टी के लिए चिंता की वजह बना हुआ है।