चुनावी जंग तो सिर्फ 9 सीट पर, योगी आदित्यनाथ- अखिलेश यादव में इतनी तल्खी क्यों

यूपी में उप चुनाव 9 विधानसभा सीटों के लिए हो रहा है और बयानों की वजह से सियासी फिजा में गरमी है। दो बड़े चेहरे योगी आदित्यनाथ-अखिलेश यादव एक भी मौका नहीं छोड़ रहे।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-11-11 03:44 GMT

UP Assembly By Polls 2024:  इसी साल मई के महीने में जब आम चुनाव 2024 के नतीजे सामने आ रहे थे तो हर किसी की निगाह देश के सबसे बड़े सूबे यूपी पर थी। वजह 80 सीटों पर हुई चुनावी जंग में कौन सबसे आगे रहता है। नतीजा जब आया तो हैरानी हुई कि बीजेपी 2014 और 2019 के प्रदर्शन को क्यों नहीं दोहरा पाई। ऐसा क्या हुआ कि इंडिया गठबंधन(India Alliance) खासतौर से अखिलेश यादव की पार्टी ने कमाल कर दिया। अब करीब 6 महीने बाद यूपी में चुनावी शतरंज में जीत दर्ज करने के लिए पासे फेंके जा रहे हैं, वो पासे बयानों के हैं। बयानों के जरिए संकेतों के जरिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों हमलवार है। लड़ाई सिर्फ 9 सीट की है लेकिन तैयारी कहीं उससे अधिक। चाहे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ हों या सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव(Akhilesh Yadav) तीखे बोल, तंज के जरिए यूपी की जनता को बता रहे हैं किसका राज इस सूबे के लिए बेहतर है। इन सबके बीच पहले यह जानिए कि ये दोनों नेता किस तरह से अपनी बात जनता के सामने पेश कर रहे हैं।

क्या कह रहे हैं योगी आदित्यनाथ

समाजवादी पार्टी रामद्रोही है,समाज को बांटना और धोखा देना सपा की प्रवृत्ति है.

उनकी टोपी लाल लेकिन कारनामे काले,

जहां दिखे सपाई, वहां बिटिया घबराई,

सपा माफिया और अपराधियों को पालने का प्रोडक्शन हाउस है।

मुलायम का सपूत सपा को कांग्रेस के पास गिरवी रखकर पार्टी का सत्यानाश करने पर उतारू है।

सपा प्रमुख की कार्यशैली और सोच बंदरों जैसी है। बबुआ अभी बालिग नहीं हुआ है।

सपा का क्या है कहना

बटेंगे तो कटेंगे ही बीजेपी के राजनीतिक पतन की वजह बनेगा।

बीजेपी की सरकाप सामाजिक सौहार्द को खत्म कर बारुगी सुरंह बिछा रही है। व्यक्ति वस्त्र से नहीं वचन से योगी होता है,

भाजपा की नीति अंग्रेजों वाली, फूट डालो और राज करो

क्यों दिए जा रहे हैं इस तरह के बयान

सियासत के जानकार कहते हैं कि 9 सीटों के लिए होने वाला उपचुनाव अब सिर्फ वोटों की जंग नहीं है बल्कि प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुकी है। लड़ाई 2027 की है। आम चुनाव 2024 में किसी को अंदेशा नहीं था कि बीजेपी 32 सीट पर सिमट जाएगी। वो भी उस फैजाबाद सीट को हार जाएगी जहां चुनाव से महज चार महीने पहले भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। बीजेपी जिसे खुद की जीत के तौर पर पेश कर रही थी। जाहिर सी बात है कि फैजाबाद हारने का असर एक सीट से कहीं अधिक मनोवैज्ञानिक है। लिहाजा आम चुनाव के बाद वोटिंग भले ही 9 सीट पर होने जा रही है उसकी महत्ता 80 सीट से कहीं अधिक है। इसके साथ ही समाजवादी पार्टी का 37 सीटों पर जीत दर्ज करना भी एक बड़ी राजनीतिक घटना है। सपा के सामने चुनौती है कि वो उपचुनाव के जरिए यह साबित कर सके कि आम चुनाव में मिली जीत कोई संयोग नहीं बल्कि उसके विचारों की जीत है। 

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