यूपी में पूर्वांचल को मिलेंगे 6 नए सांसद, जानें-कैसे

पूर्वांचल की सभी सीटों पर चुनाव 6 वें और 7वें चरण में होना है. यहां की 6 सीटों पर सभी दलों ने मौजूदा सांसदों का टिकट काट नए चेहरों पर भरोसा जताया है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-19 04:25 GMT

Uttar Pradesh Lok Sabha Election News:  यूपी में आम चुनाव 2024 सात चरणों में कराया जा रहा है. चार फेज के चुनाव संपन्न हो चुके हैं और आने वाले तीन चरणों के लिए राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. किसी के सामने 2019 के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है तो किसी के सामने अपने वजूद को बचाए रखने की. इन सबके बीच हम बात करेंगे कि यूपी के पूर्वी हिस्से की जिसे पूर्वांचल भी कहा जाता है. पूर्वांचल में वाराणसी मंडल,आजमगढ़ मंडल, गोरखपुर मंडल, बस्ती मंडल और मिर्जापुर मंडल हैं. अगर बात 2019 के चुनावी की करें तो इस इलाके में बीजेपी का डंका बजा था.हालांकि यहां हम बात कुछ अलग करेंगे.

इन लोकसभा को मिलेंगे नए सांसद

पूर्वांचल की 6 ऐसी सीटें हैं जिसमें कोई दल चुनाव जीते क्षेत्र को नए सांसद मिलेंगे.आपको जानने की उत्सुकता हो रही होगी कि वो संसदीय क्षेत्र कौन से हैं. इलाहाबाद, फूलपुर, भदोही, देवरिया, घोसी और राबर्टसगंज की सीट पर सभी प्रमुख दलों यानी एनडीए, इंडी ब्लॉक और बीएसपी ने नए चेहरों को मौका दिया है.इसका मतलब साफ है कि जीत चाहे किसी भी दल की क्यों ना हो सांसद नया मिलेगा.

  • प्रयागराज
  • फूलपुर
  • भदोही
  • रॉबर्ट्सगंज
  • घोसी
  • देवरिया

मौजूदा सांसदों के टिकट कटे

बीजेपी ने प्रयागराज,फूलपुर, भदोही, देवरिया से अपने मौजूदा सांसदों का टिकट काटा है. वहीं एनडीए की सहयोगी अपना दल ने रॉबर्ट्सगंज सीट से मौजूदा उम्मीदवार को बदल दिया है. घोसी से बीएसपी के वर्तमान सांसद अतुल राय को टिकट नहीं मिला है. खास बात यह है कि सभी तीनों प्रमुख दलों ने अपने मौजूदा उम्मीदवारों को बदल दिया है लेकिन जाति से मोह नहीं छूटा है. उदाहरण के लिए एनडीए के घटक दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अरविंद राजभर को घोसी सीट से उतारा है जहां राजभर समाज की संख्या अधिक है.

जाति से मोह अब भी बरकरार

पूर्वांचल की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि यह पूरा इलाका जाति के बंधन में जकड़ा हुआ है. कोई भी राजनीतिक दल भले ही आदर्शों की बात क्यों ना करे हकीकत में वो जाति के बंधन से बाहर नहीं निकलना चाहता है. मसलन ओम प्रकाश राजभर की पार्टी में राजभर नेताओं से इतर भी नेता हैं लेकिन उन्होंने अपने बेटे को चुनाव लड़ाना उचित समझा. आजमगढ़ की बात करें तो बीजेपी में उस इलाके में गैर यादव नेताओं की कमी नहीं है लेकिन दिनेश लाल यादव पर भरोसा किया. मायावती की पार्टी ने बालकृष्ण चौहान पर भरोसा किया क्योंकि इस जाति की आबादी घोसी और बलिया दोनों जिलों में हैं. खैर चुनावी विश्लेषण तो अपनी जगह है लेकिन निश्चित तौर पर पूर्वांचल को 6 नए सांसद मिलेंगे भले ही वो किसी भी दल के हों.

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