Aashram 3 Aaditi Pohankar ने बताया अपने रोल का सबसे मुश्किल हिस्सा, कहा– बहुत थका देने वाला'
उन्होंने कहा कि पम्मी का सफर उनके लिए बहुत कठिन और थका देने वाला रहा.;
वेब सीरीज आश्रम में पम्मी का किरदार निभाने वाली आदिती पोहनकर ने सीजन 3 में अपने रोल की सबसे बड़ी चुनौती के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि पम्मी का भावनात्मक सफर उनके लिए बहुत कठिन और थका देने वाला रहा. फरवरी में रिलीज हुए एक बदनाम आश्रम सीजन 3 पार्ट 2 में बॉबी देओल ने बाबा निराला का किरदार निभाया, जबकि आदिती ने पम्मी का रोल किया. पम्मी के इस सीजन में मासूम लड़की से बदले की आग में जलती महिला बनने के सफर को दिखाया गया, जिसे निभाना उनके लिए आसान नहीं था.
पम्मी के किरदार में बदलाव सबसे बड़ी चुनौती
आदिती ने बताया कि इस सीजन में पम्मी का बदला लेने की मानसिकता में बदलाव दिखाना बहुत मुश्किल था. उन्होंने कहा, कई सीन जैसे भाभी के साथ या अक्की की मौत के बाद बहुत छोटे लेकिन असरदार थे. एक एक्टर के लिए इन बदलावों को सही तरह से पकड़ना चुनौती भरा होता है. कभी-कभी ये समझ पाना मुश्किल होता है कि आगे का सीन किस तरह से निकल कर आएगा.
किरदार को निभाने के लिए की गई कड़ी मेहनत
उन्होंने बताया कि प्री-प्लानिंग से ज्यादा ये एक एक्सपीरियंस था, जिसमें हर पल को नया बनाए रखना जरूरी था. इस सीजन में भले ही कुश्ती के सीन नहीं थे, लेकिन फिर भी पम्मी की मजबूती दिखाने के लिए उन्होंने ट्रेनिंग जारी रखी. एक खास सीन का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि जब पम्मी जेल में भीग जाती है और फिर भी उठ खड़ी होती है, तो ये उसकी हिम्मत और दृढ़ता को दर्शाता है. पम्मी के लिए सबसे कठिन पल वो था जब उसकी मां की मौत हो जाती है. इस घटना के बाद वो और भी एक्टिव और मजबूत हो गई. आदिती ने कहा कि ये किरदार निभाना भावनात्मक रूप से बहुत अलग रहा, लेकिन दर्शकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया देखकर उन्हें बेहद खुशी हुई.
आदिती ने निर्देशक प्रकाश झा के साथ काम करने को अपने करियर का महत्वपूर्ण अनुभव बताया. उन्होंने कहा कि झा सर ने उन्हें सिखाया कि भावनाओं को बिना किसी अतिशयोक्ति के भी गहराई से दिखाया जा सकता है. अपनी कास्टिंग के बारे में याद करते हुए आदिती ने बताया कि किरदार के लिए 10 किलो वजन बढ़ाना उनके लिए आसान नहीं था. अपने एथलेटिक बैकग्राउंड के बावजूद उन्हें इसके लिए तीन महीने तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी.
सीजन 3 में पम्मी का सफर बहुत शक्तिशाली बदलाव दिखाता है. शुरुआत में वो आश्रम की विचारधारा में पूरी तरह डूबी रहती है, लेकिन जब सच्चाई सामने आती है, तो उसे बाबा निराला का असली चेहरा नजर आता है. इसके बाद पम्मी आश्रम की अंधभक्ति छोड़कर उसके खिलाफ खड़ी हो जाती है. एक वफादार अनुयायी से बागी बनने की यह यात्रा पूरी सीरीज में रोमांच बनाए रखती है.