Dhurandhar Review: कराची की अंधेरी गलियों में रणवीर की चुप्पी भी चिल्लाती है
रणवीर सिंह की फिल्म ‘धुरंधर’ का आसान भाषा में रिव्यू. कराची की गैंगस्टर दुनिया, आतंकवाद की जड़ें और दमदार स्पाई प्लॉट जानिए कैसा है फर्स्ट हाफ.
फिल्म ‘धुरंधर’ का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही दर्शकों में उत्सुकता बढ़ गई थी. इसकी वजह साफ है. फिल्म के निर्देशक आदित्य धर, जिन्होंने ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसी हिट फिल्म दी थी. ट्रेलर में अक्षय खन्ना, अर्जुन रामपाल और संजय दत्त के किरदार इतने दमदार लगे कि लोगों ने मान लिया था कि इस बार भी कहानी बड़ी और दिलचस्प होने वाली है. हालांकि रणवीर सिंह के किरदार को काफी हद तक सीक्रेट रखा गया था, जिससे फिल्म को लेकर और रहस्य पैदा हुआ. सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों तरह का माहौल बनाया गया, लेकिन एक बात साफ थी. ‘धुरंधर’ को देखने की जनता में बहुत दिलचस्पी है. यही दिलचस्पी हमें भी थिएटर तक ले गई कि देखें आखिर इस फिल्म की खासियत क्या है.
दमदार बिल्ड-अप वाला फर्स्ट हाफ
फिल्म की कहानी भारत के खिलाफ चल रही पाकिस्तान की आतंकी साजिशों से शुरू होती है. प्लेन हाईजैक से लेकर संसद हमले तक, इन घटनाओं ने भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों को अंदर तक हिला दिया. इसके बाद आईबी चीफ अजय सान्याल एक बेहद खतरनाक और महत्वाकांक्षी मिशन तैयार करते हैं. जिसका नाम है धुरंधर. इसका मकसद पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क को अंदर से खत्म करना है और इस मिशन का सबसे बड़ा हथियार है. हमजा अली मजारी, यानी रणवीर सिंह.
फर्स्ट हाफ में हमजा पाकिस्तान में एंट्री लेता है और कराची के कुख्यात इलाके ल्यारी टाउन में अपनी पहचान बनाता है. ये इलाका गैंगस्टरों का अड्डा माना जाता है, जहां डर, हिंसा और अपराध की हवा हमेशा बहती रहती है. यहां उसकी मुलाकात होती है रहमान डकैत (अक्षय खन्ना) से, जो इस इलाके का खौफ है. हमज़ा धीरे-धीरे उसकी गैंग में घुसता जाता है और यहीं से कहानी एक सॉलिड स्पाई थ्रिलर बन जाती है. फिर एंट्री होती है दो और खतरनाक किरदारों की मेजर इकबाल (अर्जुन रामपाल) और एसपी चौधरी असलम (संजय दत्त) दोनों का अंदाज, बॉडी लैंग्वेज और एक्टिंग इतनी दमदार है कि स्क्रीन पर आते ही कहानी भारी हो जाती है.
रणवीर सिंह की चुप्पी भी एक अभिनय है
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है. रणवीर सिंह का किरदार. हमज़ा एक ऐसा जासूस है जो ज्यादा बोलता नहीं है. वो अपने इमोशन्स को, अपना डर और अपनी रणनीति सबको अंदर ही अंदर रखता है. रणवीर ने इस किरदार को जिस कंट्रोल और मजबूती के साथ निभाया है, वो तारीफ के लायक है. कई सीन्स में वो सिर्फ आंखों से एक्टिंग करते दिखते हैं. उनकी खामोशी में एक डर भी है और एक दृढ़ता भी. कई बार दिल करता है कि बस उनके सीन्स को रोककर देखा जाए. ये परफॉर्मेंस उन लोगों के लिए भी खास है जो रणवीर को हमेशा एनर्जेटिक और ओवर-द-टॉप एक्टिंग में देखते आए हैं.
धमाकेदार सेटअप: कराची का अंधेरा सच
फिल्म का सबसे मजबूत हिस्सा इसका सेटअप है. वहां का गैंग वॉर, पाकिस्तान की राजनीतिक चालें, दाऊद और डेविड हेडली जैसे नाम सब बहुत ही रियलिस्टिक तरीके से दिखाए गए हैं. पाकिस्तानी माफिया का भारत की करेंसी की नकल बनाना, मुंबई हमले की प्लानिंग का दिखना आपस में लड़ते गैंग्स ये सभी चीज़ें भारत-पाक रिश्तों और आतंकवाद की सच्चाई को एक नई गहराई देती हैं. फर्स्ट हाफ लगभग दो घंटे लंबा है, लेकिन इसकी धीमी गति आपको बोर नहीं करती. बल्कि ये धीरे-धीरे कहानी को एक बड़े धमाके के लिए तैयार करती है. जैसे दर्शक अपने आप ही इस दुनिया में खिंचते चले जाते हैं. फिल्म के सपोर्टिंग एक्टर्स माधवन, अक्षय खन्ना, अर्जुन रामपाल और संजय दत्त सभी अपने-अपने किरदारों में शानदार लगते हैं. हर एक का स्क्रीन टाइम कम होते हुए भी याद रह जाने वाला है.
असली सवाल: सेकंड हाफ क्या करेगा?
फर्स्ट हाफ खत्म होते-होते फिल्म की जमीन बहुत बड़ी बन चुकी है. कई रहस्य खुलते हैं और कई सवाल खड़े हो जाते हैं. अब दर्शक यही सोचते हैं कि क्या सेकंड हाफ इस सेटअप को सही तरीके से कैश करेगा? क्या ‘धुरंधर’ वाकई कोई धमाका करेगी या फिर कहानी फिसल जाएगी? ये सवाल फिल्म का सबसे बड़ा सस्पेंस बनाते हैं.