Emergency Movie Review: सत्ता की इस दिलचस्प कहानी में Kangana Ranaut ने बिखेरी चमक
कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी, जिसे उन्होंने खुद लिखा और निर्देशित किया है. सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है, लेकिन क्या इंदिरा गांधी के जीवन और समय पर आधारित ये राजनीतिक बायोपिक आपके समय और ध्यान के लायक है?;
एक्ट्रेस कंगना रनौत एक बार फिर बड़े पर्दे पर वापसी कर चुकी हैं, जिसकी कहानी उन्होंने खुद लिखी और निर्देशित की है. अपने प्रोडक्शन हाउस मणिकर्णिका फिल्म्स के बैनर तले बनी इमरजेंसी में कंगना रनौत ने ऐतिहासिक बायोपिक में इंदिरा गांधी की भूमिका निभाई है. इस फिल्म में कई दिलचस्प कलाकार भी हैं, जिनमें अनुपम खेर, श्रेयस तलपड़े, विशाक नायर, महिमा चौधरी, मिलिंद सोमन, दिवंगत सतीश कौशिक जैसे नाम शामिल हैं. ये फिल्म इस हफ्ते सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली सिंगर फिल्म नहीं है. एक्टर अमन देवगन और राशा थडानी की फिल्म आजाद, जिसमें अजय देवगन भी हैं. ये फिल्म भी सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. साल 2021 में थलाइवी के बाद, जिसमें उन्होंने एक्ट्रेस से राजनेता बनी जयललिता का किरदार निभाया था. कंगना एक बार फिर एक मजबूत महिला राजनेता की भूमिका निभा रही हैं. लेकिन क्या इमरजेंसी आपके समय और ध्यान की हकदार है?
फिल्म इमरजेंसी एक एंटरटेन फिल्म है जो इंदिरा गांधी के जीवन और समय को दर्शाती है. इसकी शुरुआत उनके बचपन से होती है, जहां उनके दादा ने उनके दिल और दिमाग में सत्ता के बीज बोए थे. ये फिल्म राजनीति में उनके सफर को दर्शाती है, जो 1966 में भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में दिखाई देती दी. ये साल 1975 में आपातकाल लगाने के उनके फैसले और ऑपरेशन ब्लू स्टार के उनके आदेश को भी दर्शाती है, जिसके कारण उनके अपने सुरक्षाकर्मियों द्वारा उनकी दुखद हत्या कर दी गई.
राजनीति, राजनेताओं या ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में फिल्में अक्सर एक खास नजरिए से दिखाई जाती हैं और आपातकाल इसका अपवाद नहीं है. जबकि राजनीतिक हस्तियों और घटनाओं की कहानी और कई बार पक्षपातपूर्ण लग सकता है. कंगना संतुलन बनाने का प्रयास करती हैं. सत्ता की जटिलताओं पर एक नजरिया पेश करती हैं. कंगना रनौत सभी फिल्मों की तरह भले ही कहानी में कुछ कमियां हों, लेकिन उनकी एक्टिंग फिल्म को ऊंचा उठाती है. इंदिरा गांधी एक मजबूत महिला थीं, जिनका बाहरी रूप कठोर था. फिर भी उनकी अपनी कमजोरियां थीं. कंगना अपने आत्मविश्वास और सहज व्यवहार के साथ इस किरदार को बखूबी दर्शाती हैं, जिससे उनका अभिनय देखने लायक बन जाता है.
कंगना द्वारा लिखी गई ये कहानी दिलचस्प है और सत्ता में एक राजनेता की बहुमुखी प्रकृति को दिखाने का प्रयास करती है. कलाकारों का चयन सोच-समझकर किया गया है, जिसमें हर अभिनेता ने स्क्रीन पर अपना बेस्ट प्रदर्शन किया है. फिल्म में दिवंगत एक्टर और फिल्म निर्माता सतीश कौशिक नजर आए. जिन्होंने जगजीवन राम की भूमिका निभाई. अनुपम खेर ने सहजता से जे पी नारायण का किरदार निभाया है, जबकि श्रेयस तलपड़े ने युवा अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका बखूबी निभाई है.
महिमा चौधरी इंदिरा की करीबी दोस्त और पुपुल जयकर की भूमिका में ढलती दिखाई दी. विशाक नायर ने संजय गांधी के किरदार में जान डाल दी. मिलिंद सोमन सैम मानेकशॉ के किरदार में जंचते हैं, लेकिन सैम बहादुर में विक्की कौशल को देखने के बाद किसी और को बहादुर सेना जनरल की भूमिका में पूरी तरह से फिट होते हुए देखना मुश्किल है.
कहानी में इंदिरा गांधी के अपने बेटे संजय गांधी के साथ संबंधों और उनके फैसलों ने प्रधानमंत्री के रूप में उनकी छवि और कार्यकाल को कैसे प्रभावित किया. इस पर विस्तार से चर्चा की गई है, लेकिन राजीव गांधी के साथ उनके संबंधों को अनदेखा कर दिया गया है. जो उनकी हत्या के बाद प्रधानमंत्री बने. फिल्म इमरजेंसी भारत के सबसे निडर और प्रमुख प्रधानमंत्रियों में से एक के बारे में एक आकर्षक फिल्म है, जिसे समान रूप से प्यार और नफरत दोनों मिले थे.