Gajraj Rao ने फिल्म इंडस्ट्री को बताया अनप्रोफेशनल, संघर्षों के बारे में की खुलकर बात
उन्होंने हाल ही में अपने संघर्षों के बारे में खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि करियर के शुरुआती दौर में उन्हें कम पैसे दिए जाते थे.;
मशहूर अभिनेता गजराज राव जो अपनी बेहतरीन फिल्मों जैसे बधाई हो के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने हाल ही में अपने संघर्षों के बारे में खुलकर बात की. उन्होंने बताया कि करियर के शुरुआती दौर में उन्हें कम पैसे दिए जाते थे और सेट पर असिस्टेंट्स व प्रोडक्शन टीम द्वारा सम्मानजनक व्यवहार नहीं मिलता था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और लगन से इंडस्ट्री में एक मजबूत पहचान बनाई.
फिल्म इंडस्ट्री में अनप्रोफेशनल व्यवहार
एक इंटरव्यू में गजराज राव ने इंडस्ट्री में होने वाली बदसलूकी पर बात करते हुए कहा, भीड़ में कई लोग सिर्फ इसलिए बदतमीजी करते हैं क्योंकि उन्हें खुद नहीं पता कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं और सबसे ज्यादा असभ्य कौन होता है? वो लोग जो अशिक्षित होते हैं. असुरक्षित महसूस करते हैं या जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है. ज्यादातर समय ये प्रोडक्शन असिस्टेंट्स या एग्जीक्यूटिव्स होते हैं जो गलत व्यवहार करते हैं.
एक किस्सा जिसने किया इंडस्ट्री की सच्चाई का उजागर
गजराज राव ने अपने शुरुआती दिनों का एक कड़वा अनुभव शेयर किया, मुझे एक ऐड फिल्म के लिए दो दिन के शूट का ऑफर दिया गया था और कहा गया था कि मुझे 20,000 प्रति दिन मिलेंगे. पहले दिन का काम खत्म होने के बाद उन्होंने मुझे 20,000 का चेक पकड़ाया और कहा कि अब मेरी जरूरत नहीं है. जब मैंने उनसे कॉन्ट्रैक्ट की बात की, तो उन्होंने कहा कि मेरा काम एक ही दिन में पूरा हो गया. उन्हें इस बात की परवाह नहीं थी कि मैंने इस प्रोजेक्ट के लिए दूसरा काम ठुकरा दिया था.
संघर्ष के बावजूद कभी हिम्मत नहीं हारी
गजराज राव ने बातचीत में बताया कि उन्होंने हमेशा कर्म पर ध्यान दो, फल की चिंता मत करो के सिद्धांत को अपनाया. मैंने कभी मुख्य भूमिकाओं की लालसा नहीं की और न ही रातोंरात स्टार बनने के सपने देखे. मैं हमेशा इस संस्कृत श्लोक में विश्वास करता हू. 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन. अगर आप सिर्फ अपनी कमी पर ध्यान देंगे, तो जिदगी निराशाजनक लगने लगेगी. इसलिए मैंने जो भी काम किया, उसमें अपनी पूरी मेहनत लगा दी.
अब कोई समझौता नहीं
आज जब गजराज राव इंडस्ट्री में अपनी मजबूत पहचान बना चुके हैं, तो वो अपने मेहनत से कमाए गए नाम और फीस पर कोई समझौता नहीं करते. एक कास्टिंग डायरेक्टर ने मुझसे 20 दिनों के प्रोजेक्ट के लिए फीस कम करने को कहा. मैंने जवाब दिया मैं इन 20 दिनों के लिए पैसा नहीं ले रहा, ये तो फ्री हैं. मेरी फीस उन सालों के संघर्ष के लिए है, जब मैंने 20 कप चाय पर दिन गुजारा, भूखा सोया, अपमान सहा और पैसों की कमी के कारण पैदल अंधेरी से टाउन तक गया. गजराज राव की ये कहानी न केवल उनकी कड़ी मेहनत को दर्शाती है, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री के पीछे छुपी सच्चाइयों को भी उजागर करती है.