Ground Zero: एक सैनिक की चुप्पी, एक राष्ट्र की आवाज़
‘ग्राउंड ज़ीरो’ देश के लिए मरने की नहीं, देश के लिए जीने की कहानी है और इससे भी ज़्यादा उन चुप बलिदानों की कहानी है, जिन्हें किसी हेडलाइन की ज़रूरत नहीं होती...;
फिल्म 'ग्राउंड ज़ीरो' सच्ची घटनाओं पर आधारित है और इसमें बीएसएफ अधिकारी नरेंद्र नाथ धर दुबे के नेतृत्व में एक साहसिक मिशन को दर्शाया गया है, जिसमें साल 2003 में खूंखार आतंकवादी और कई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड 'गाज़ी बाबा' को पकड़ा गया था। फिल्म में बीएसएफ अधिकारी नरेंद्र नाथ धर दुबे का किरदार इमरान हाशमी ने अदा किया है और अपने कैरेक्टर के साथ पूरी तरह न्याय करते हुए, इसे बहुत खूबसूरती से निभाया है। इमरान बीएसएफ अधिकारी के रोल में काफी जंचे हैं। कुछ दृश्यों को छोड़ दिया जाए तो इमरान सहित फिल्म की पूरी कास्ट की जबरदस्त ऐक्टिंग ने फिल्म को कहीं भी बोरिंग या टाइप्ड नहीं होने दिया। शुरू से लेकर अंत तक फिल्म दर्शकों को बांधे रखती है।
इमरान की पत्नी के रूप में साई तम्हानकर अपनी ऐक्टिंग और एक्सप्रेशन्स से काफी रियल फील देती हैं। सीनियर आर्मी ऑफिसर के रूप में मुकेश तिवारी जैसे पुराने कलाकार को देखना फिल्म और स्क्रीन पर रिऐलिटी का तड़का लगाता है। फिल्म की एक बात, जो इसे बेहद खास बनाती है और साथ ही देशभक्ति पर बनी अब तक की अन्य फिल्मों से अलग करती है, वो ये कि इसमें अंध-राष्ट्रवाद को दिखाकर दर्शकों में भावनाओं का सैलाब लाने का प्रयास नहीं किया गया है, बल्कि सेना के जवानों के सामने आने वाली वास्तविक चुनौतियां, वर्दी के साथ जुड़ी जिम्मेदारियों का अहसास, जवानों के परिवारों का भावनात्मक संघर्ष, जवानों की पत्नियों और बच्चों के मनोभाव बहुत ही खूबसूरती से दिखाए हैं। कुल मिलाकर फिल्म अपने नाम की ही तरह 'ग्राउंड जीरो' की सच्चाई दिखाती है और दिखाती है कि कैसे एक जिम्मेदार और देशभक्त सेना का जवान अपने इमोशन्स का प्रैक्टिकल लाइफ में यूज करता है।
निर्देशक तेजस प्रभा विजय देवस्कर ने साबित किया है कि डायरेक्शन पर पकड़ अच्छी हो तो एक जैसी-सी कहानियों पर बनी फिल्म भी दिल में उतर जाती है। इस फिल्म के दृश्य दर्शकों में देश प्रेम के साथ ही अलर्टनेस का भाव भी जगाते हैं। कुल मिलाकर फिल्म अच्छी बनी है और वीकऐंड पर पैसा बसूल फील देगी। बीएसएफ के साहस और देशभक्ति को दर्शाती ये फिल्म इस शुक्रवार सिनेमाघरों में रिलीज़ हो चुकी है।