अपनी पहली फिल्म फ्लॉप होने पर ड्राई फ्रूट बेचने के लिए हुए मजबूर, फिर कैसे बने मुकेश ‘शोमैन’ राज कपूर की 'रूह'

Mukesh Birth Anniversary: मुकेश सिर्फ गायक ही नहीं बल्कि ऐसे कलाकार हैं, जिनके दर्द भरे गाने आज भी लोगों की पहली पसंद हैं.

Update: 2024-07-22 13:49 GMT

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एक समय जब महान केएल सहगल ने पहली बार दिल जलता है तो जलने दो गाना सुना तो वो हैरान हो गए और पूछने पर मजबूर हो गए. उन्होंने ये याद करने की कोशिश की ये गाना उन्होंने कब रिकोर्ड किया था. उन्होंने उनसे पूछा, इसे कब रिकॉर्ड किया था? ऐसा पूछा जाने पर मुकेश के लिए इससे बड़ी तारीफ कुछ नहीं हो सकती थी. उस दौर में हर शख्स केएल सहगल को फॉलो करता था, तो मुकेश पीछे कैसे रहते. केएल सहगल के तरीके को नकल करके अपने सिंगिंग करियर को बनाने वाले मुकेश अपनी नेजल वॉइस और मेलोडियस गानों के लिए जाने जाते हैं.

मुकेश ने अपनी अवाज और गानों से अपनी अलग पहचान बनाई थी. वो शायद दूसरे केएल सहगल बनना चाहते थे, लेकिन वो अपने समय के चलते महान गायकों में से एक मुकेश बन गए. उनकी आवाज लोगों के दिलों तक गूंजती थी. उनकी अवाज ने लोगों को दीवाना बना दिया. उनके पास दर्द और उदासी को बयां करने की एक अनोखी कला थी, जिसने लोगों को प्रभावित किया.

उनके गाने अक्सर प्रेम, हानि और लालसा को छूते थे, जिससे वो क्लासिक बन गए. 1976 में अपनी मौत से कुछ महीने पहले उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, अगर मुझे 10 हल्के गाने और एक उदास गाना मिले तो मैं उस एक उदास गाने के लिए उन 10 गानों को छोड़ दूंगा.

22 जुलाई, 1923 को दिल्ली में मुकेश चंद माथुर के रूप में जन्मे मुकेश, जिन्होंने हिंदी फिल्मों में अभिनेता बनने का सपना देखा था, उनके जीवन में एक अलग मोड़ आया. अभिनेता मोतीलाल ने अपनी अपनी बहन की शादी में मुकेश को गाते हुए सुना था. उनके पिता एक बड़े परिवार वाले बिजनेसमैन थे. वो नहीं चाहते थे कि मुकेश फिल्मों में काम करें. उस समय फिल्म इंजस्ट्री को अच्छे परिवार के बच्चों के लिए खराब माना जाता था.

40 के दशक में हिंदी सिनेमा में गायक और अभिनेता होना बेस्ट कॉम्बिनेशन माना जाता था. मुकेश के अच्छे लुक का फायदा उठाते हुए, मोतीलाल ने उन्हें 1941 की फिल्म निर्दोष में नलिनी जयवंत के साथ एक भूमिका दी. दुर्भाग्य से ये फिल्म असफल रही और मुकेश के पहले गीत, दिल ही हो बुझा हुआ तो का भी ऐसा ही हश्र हुआ. प्रोडक्शन हाउस ने अपने दरवाजे बंद कर लिए, मुकेश ने खुद को बेरोजगार पाया. इंटरव्यू के दौरान मुकेश ने कहा था, इसके बाद मैं शेयर ब्रोकर, ड्राई-फ्रूट बेचने वाला बन गया और एक के बाद एक काम करता रहा. क्योंकि उस दौर में प्लेबैक सिंगिंग एक प्रोफेशन के रूप में 1942 तक अस्तित्व में ही नहीं था. मुकेश के बेटे और सिंगर नितिन मुकेश के अनुसार, महान गायक ने फिल्म डिस्ट्रीब्यूशन का काम भी किया, लेकिन वो भी काम नहीं आया. उन्हें एक बार फिर से एहसास हुआ कि मुझे दोबारा सिंगिंग में ट्राई करना चाहिए. इसलिए उन्होंने संगीत पर ध्यान केंद्रित किया.

मुकेश को एक गायक बनना था, जिसे उनके जाने के दशकों बाद भी याद किया जाएगा. हो सकता है कि उनके पास मोहम्मद रफी, तलत महमूद, किशोर या मन्ना डे जैसी शास्त्रीय शिक्षा या आवाज न हो, लेकिन जिस तरह से वो अपने गीतों के माध्यम से दर्द को बयां करते थे, उससे वो दिलों को छू जाते थे. टूटे हुए दिलों के लिए मरहम का काम करते थे.

मुकेश का जादू फिल्म बंदिनी के ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना में एसडी बर्मन के साथ उनके गाने को अलग पहचान दिलाई. मुकेश ने दिलीप कुमार और मनोज कुमार के लिए सबसे ज्यादा गाने गाए. वो राज कपूर ही थे जिन्होंने उन्हें सही मायने में स्टार बनाया. दिलीप कुमार के साथ उन्होंने बहुत काम किया. मुकेश और राज कपूर के सहयोग से एक नए दौर का जन्म हुआ. उनकी पार्टनरशिप आग (1948) से शुरू हुई, जब मुकेश ने राज कपूर के लिए ‘ज़िंदा हूं इस तरह’ गाना गाया. जब राज कपूर ने मुकेश को सुना तो उन्होंने उनसे कहा, ‘अब तुम सिर्फ मेरे लिए गाओगे.’ राज कपूर ने एक बार एक इंटरव्यू से कहा था, मैं मुकेश से न केवल इसलिए प्यार करता था क्योंकि वो मेरी आत्मा थे, बल्कि इसलिए भी क्योंकि वो कंधे थे जिस पर मैं निर्भर था. मैं जिन लोगों को जानता हूं उनमें मुकेशचंद सबसे मिलनसार व्यक्ति थे, जो कभी किसी के बारे में बुरा नहीं बोलते थे. दुखद बात ये है कि 1976 में लता मंगेशकर के साथ अमेरिका दौरे के दौरान 53 साल की छोटी उम्र में मुकेश का निधन हो गया. उनकी मृत्यु फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक गहरा सदमे जैसी थी.

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