Kannada cinema: सिनेमाघरों की शांति को दूर करने के लिए दोबारा रिलीज हो रही हैं कई पुरानी फिल्में

लोकसभा चुनाव और आईपीएल के कारण कोई बड़ी रिलीज की योजना नहीं होने के कारण, प्रदर्शकों को इसका सहारा लेना पड़ रहा है बीते सालों की ब्लॉकबस्टर फिल्मों को दोबारा रिलीज करने के लिए; वे अब भी बॉक्स-ऑफिस पर राज कर रहे हैं, जैसा कि वे पहले करते थे

Update: 2024-05-21 09:19 GMT

कन्नड़ सिनेमा स्टार विष्णुवर्धन और उपेन्द्र की पुरानी फिल्में पिछले शुक्रवार को फिर से रिलीज की गई. ऐसा कहा जाता है ना 'ओल्ड इज गोल्ड' ही बेस्ट है. इन फिल्म को रिलीज करके कर्नाटक फिल्म इंडस्ट्री के लिए बेस्ट ऑप्शन लगता है, जो 90वें दशक को सेलिब्रेट करता दिखाई दे रहा है. साल 1998 में रिलीज हुई फिल्म A जिसे रिवर्स स्क्रीनप्ले के लिए लिया गया है. इस फिल्म को उपेन्द्र ने लिखा और निर्देशित भी किया था, जिन्होंने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई थी. इस फिल्म को 17 मई को पूरे कर्नाटक के सिनेमाघरों में रिलीज की गई थी. ये एक रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है.

90 के दशक में रिलीज़ हुई इस फिल्म ने सिनेमाघरों में कमाल की कमाई की थी. इस फिल्म ने सिनेमाघरों में पूरे 100 दिनों तक रिकॉर्ड बनाए थे. साथ ही उपेन्द्र को भी स्टारडम तक पहुंचाया. इसी की तरह कृष्णा नी बेगाने बारो को प्राप्त हुई थी. साल 1986 में एच.आर.भार्गव द्वारा निर्देशित और विष्णुवर्धन, भव्या, बॉलीवुड स्टार किम और मुख्यमंत्री चंद्रू द्वारा अभिनीत फिल्म थी. फिल्म में बप्पी लाहिरी ने अपना संगीत दिया था.

इन दोनों स्टार की फिल्मों की दोबारा रिलीज बीते सालों की ब्लॉकबस्टर फिल्मों को आगे बढ़ाने की ओर इशारा करती है. कर्नाटक फिल्म के अध्यक्ष के.वी.चंद्रशेखर कहते हैं, 'दुबारा फिल्म रिलीज करने का मौसम है. नई फिल्मों की कमी के कारण पुरानी ब्लॉकबस्टर फिल्मों को दोबारा रिलीज करने के चलन को लोग खूब पसंद कर रहे हैं. सात चरणों में चल रहे लोकसभा चुनावों के साथ-साथ आईपीएल सीजन के कारण कई बड़ी फिल्मों की रिलीज़ डेट टल गई है और कर्नाटक फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (केएफसीसी) के अध्यक्ष एम.एन. सुरेश कहते हैं, 'ऐसा लगता है कि भारत में फिल्म इंडस्ट्री खासकर साउथ भारत में कुछ दशकों पुरानी सफल फिल्मों को फिर से रिलीज करने का अवसर का फायदा उठाया चाहिए.

बॉलीवुड के विशेषज्ञों के अनुसार, फिल्म को देखने के लिए कम दर्शक बाहर जा रहे हैं. कई सिनेमाघरों ने पुरानी फिल्मों को रिलीद करने के लिए सहमति नहीं जताई. उनका मानना ये है कि दोबारा फिल्म रिलीज को करने से नई फिल्में दर्शकों को आकर्षित नहीं कर पा रही हैं. यही कारण है कि मुंबई के कुछ मल्टीप्लेक्स में इस पर सहमति नहीं जताई, लेकिन साउथ इंडिया में ऐसा नहीं है.

कर्नाटक फिल्म प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश भारत भर के थिएटर में फिल्मों को दोबारा रिलीज करने के लिए अप्रोच कर रहे हैं. ऐसा उनका मानना है कि पुरानी फिल्में रिलीज करने से दर्शकों को पुरानी यादों में लेकर जाएगी. राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म लेखक बी.एन. सुब्रमण्यम का कहना है कि 2023 और 2024 में कई फिल्में दोबारा रिलीज हुई हैं. बड़ी संख्या में फैंस सिनेमाघरों में पहुंचे थे. इन दिनों पूरे देश में यही हो रहा है, क्योंकि दर्शक अपने समय की दोबारा रिलीज हुई फिल्मों से अपने पुराने समय को याद कर पा रहे हैं.

तेलंगाना थिएटर एसोसिएशन (टीटीए) ने अगले दस दिनों के लिए सिंगल स्क्रीन बंद करने की घोषणा की है. तेजी से घटती दर्शकों की संख्या के कारण राज्य में 450 से अधिक सिंगल-स्क्रीन थिएटर 26 मई तक बंद रहेंगे. वितरक जी. वी. रेड्डी के अनुसार सिंगल-स्क्रीन का खर्च लगभग 10,000 रुपये है, लेकिन हाल के दिनों में थिएटर 4,000 रुपये भी नहीं कमा रहे हैं. उन्होंने द फेडरल को बताया, छोटी फिल्मों के लिए ये संख्या और कम होने की संभावना है.

दशकों पुरानी फिल्में दोबारा रिलीज हो रही हैं. दोबारा रिलीज़ करने का चलन तब शुरू हुआ जब साल 2012 में धनुष स्टारर 3 का गाना, कोलावेरी डी पूरे देश- विदेश में फेमस हो गया. क्योंकि उस समय थिएटर पर कोई भी फिल्म रिलीज करने के लिए नहीं थी. धरानी द्वारा निर्देशित और तृषा और विजय की मुख्य भूमिकाओं वाली गिल्ली ने 20 अप्रैल को सिनेमाघरों में धूम मचाई और सिर्फ दो हफ्ते में 30 करोड़ रुपये से अधिक की कमाई की. तमिल, तेलुगु और मलयालम फिल्मों को स्वीकार करने वाले लोगों के साथ दुबारा फिल्म रिलीज में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसी तरह भद्रन की 1995 में आई फिल्म स्पदिकम को भी लोगों ने दिल से स्वीकार किया. दर्शकों ने साबित कर दिया है कि वाकई 'Old Is Gold’ है.

चेतन नादिगर के अनुसार पुरानी फिल्मों को दोबारा रिलीज करने से पुरानी यादें ताजा होगी. आम तौर पर जब आप कोई फिल्म देखते हैं, तो आप कुछ नए की उम्मीद करते हैं. अगर आप सोचते हैं कि आपको पता है कि आगे क्या होगा, तो फिल्म उबाऊ हो जाती है. पुरानी फिल्म को रिलीज की सफलता के पीछे का कारण बहुत सरल है. जब आप जानते हैं कि क्या उम्मीद करनी है, तो निराश होना कठिन होता है.

गौरतलब है कि केरल फिल्म इंडस्ट्री को इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है. पिछले 15 सालों में मलयालम सिनेमा में काफी बदलाव देखा गया है. हाल के दिनों में मलयालम सिनेमा के लिए फैंस की भीड़ देखने को मिल रही है. जी. वी. रेड्डी का कहना है कि 90 के दशक की फिल्मों का प्रिंट 10,000 रुपये में लेते थे और सुबह के शो के दौरान रिलीज करते हैं. अब हम कम से कम चार शो के लिए मलयालम फिल्में दिखा रहे हैं. मंजुम्मेल बॉयज़ ने 4 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया.

उपेन्द्र पूछा गया सवाल कि 28 साल के बाद फिल्म A को दोबारा रिलीज करने के लिए उन्होंने क्या किया? उपेन्द्र ने कहा, जब मैंने A बनाई, तो ये फिल्म अपने समय पर सुपरहिट थी. मैं ये देखना चाहता था कि आज की पीढ़ी इस फिल्म को कैसे अपनाती है. आज के दर्शक बहुत समझदार हैं.

नादिगर के अनुसार, सिनेमाघरों को चालू रखने के लिए कोई फिल्में नहीं हैं. शिवराज कुमार और प्रभुदेवा कराटक-दमनाका को छोड़कर कोई फिल्म रिलीज़ नहीं हुई है. शिवराज कुमार भैरथी रानागल के निर्माता का कहना है कि फिल्म 15 अगस्त को स्क्रीन पर रिलीज हो सकती है. दर्शकों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है. हालांकि छोटे बजट की फिल्में रिलीज हो रही हैं, लेकिन वे दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींचने में नाकाम रही. नादिगर का मानना है, कन्नड़ सिनेमा को चालू रखने के लिए पुराने जमाने की ब्लॉकबस्टर फिल्मों को दोबारा रिलीज करना ही समाधान है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, चेन्नई के कुछ सिनेमाघरों में प्रिंट प्रोजेक्टर की वापसी हो रही है. पिछले कुछ महीनों में दोबारा रिलीज़ होने वाली फिल्मों की गनती बढ़ने के बाद फिल्म प्रोजेक्टर वापसी कर रहे हैं.

(ये स्टोरी कोमल गौतम द्वारा अनुवाद की गई है)

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