पंचायत सीज़न 4 रिव्यू : गाँव की मासूमियत से राजनीति की चालाक गलियों तक, फुलेरा में आया उथल-पुथल का दौर
गांव की यह कॉमेडी-ड्रामा सीरीज़ अपने चौथे सीज़न में अब पूरी तरह राजनीतिक मोड़ ले लेती है। सत्ता की चालें, भ्रष्टाचार, विश्वासघात और प्रेम, ये सभी मिलकर फुलेरा की शांत ज़िंदगी में तूफान ला देते हैं। फिर भी, इस बदलाव के बावजूद फुलेरा का अपना आकर्षण बना रहता है।;
अगर कुछ दर्शक 'पंचायत' सीज़न 3 से निराश हुए थे, तो सीज़न 4 उनके लिए एक बड़ा सरप्राइज़ है। मंगलवार (24 जून) से अमेज़न प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हो रहा यह नया सीज़न फुलेरा की शांत और ग्रामीण ज़िंदगी में जबरदस्त राजनीतिक उथल-पुथल ले आता है।
अब यह केवल एक साधारण गांव नहीं, बल्कि राजनीति, भ्रष्टाचार, धोखे और अचानक तेज़ी से पनपे रोमांस का मैदान बन चुका है।
फुलेरा में चुनावी बवंडर
चुनाव अभियान, भ्रष्टाचार विरोधी छापा, गद्दारी और एक वाटर टैंक पर पनपा प्रेम... सीज़न 4 हर भाव में डूबा हुआ है। जहाँ एक तरफ़ सचिव जी और रिंकी के बीच का रिश्ता तेज़ी से आगे बढ़ता है, वहीं दूसरी ओर राजनीति इतनी गंदी हो जाती है कि प्रधानजी तक टूट जाते हैं।
"खेल सकते हो तो खेलो," प्रधानजी का यह संवाद इस बार की राजनीति की कड़वी सच्चाई को बयां करता है।
हास्य, व्यंग्य और गंभीर मोड़
हालांकि कुछ हिस्से खिंचे हुए और बनावटी लगते हैं, जैसे बदबूदार टॉयलेट की सफाई दौड़ या बनराकस का प्रेशर कुकर वाला दृश्य — लेकिन बम बहादुर की कॉमिक टाइमिंग और फुलेरा गैंग की इलेक्ट्रिशियन खोज इन खामियों को संतुलित कर देती है।
दलबदल और नए चेहरे
सीज़न में दो नए किरदार आते हैं. प्रधान जी के ससुर और एक बच्चा जिसका नाम है बिल क्लिंटन कुमार। हालांकि ये दोनों किरदार ज़्यादा देर टिकते नहीं।
विनोद (अशोक पाठक) की मासूमियत से भरी दलबदल की कहानी एक पूरा एपिसोड लेती है, जहाँ वो बनराकस और उनकी पत्नी के द्वारा पूड़ी-सिवइयों से लुभाया जाता है, लेकिन कहता है, "मैं गरीब हूं, पर गद्दार नहीं।"
सचिव जी और रिंकी: लव स्टोरी एक्सप्रेस
सचिव जी और रिंकी के बीच का प्यार आखिरकार आगे बढ़ता है, लेकिन बहुत तेज़ी से। दर्शक जिन सीन की उम्मीद कर रहे थे जैसे उनके बीच की दिल की बातें या इमोशनल क्षण वो कम पड़ जाते हैं, जिससे ये रोमांस थोड़ा अधूरा-सा लगता है।
अभिनय और प्रस्तुति
जीतेन्द्र कुमार (सचिव जी) अपने किरदार को मजबूती से निभा रहे हैं। नीना गुप्ता (मंजू देवी) इस बार थोड़ी थकी-थकी सी लगती हैं। दुर्गेश कुमार (बनराकस) और सुनीता राजवार (क्रांति देवी) की जोड़ी ने प्रधान जी को हर कदम पर पछाड़ा।
तकनीकी पक्ष: संगीत और सिनेमैटोग्राफी
संगीत अभी भी जोशीला और टोन से मेल खाता है। नाइट शॉट्स में कैमरा वर्क बहुत परिपक्व और कलात्मक हो गया है।
क्या आएगा सीज़न 5?
आख़िरी एपिसोड में सचिव जी साफ कहते हैं कि उन्हें गांव छोड़ने में तीन महीने बाकी हैं, जो इस बात का संकेत है कि सीज़न 5 तय है।