Pill Movie Review: इंडियन फार्मा में भ्रष्टाचार की कहानी धरी की धरी रह गई

Movie Review: ‘नो वन किल्ड जेसिका’ फेम राजकुमार गुप्ता की सीरीज, जिसमें रितेश और पवन मल्होत्रा लीड रोल में दिखाई दिए हैं. सीरीद की स्टोरी एक कमजोर और बढ़ा-चढ़ाकर दिखाई गई.

Update: 2024-07-15 11:47 GMT

कोविड के बाद की इस दुनिया में पिल का समय इससे बेहतर नहीं हो सकता था. ये आठ एपिसोड की एक जांच है जिसमें बड़ी भारतीय फार्मा कंपनियों की गलत प्रथाओं की जांच की गई है जो मानव जीवन को खतरे में डालती हैं. ये वेब शो अब Jio Cinema पर स्ट्रीम हो रहा है. ये सीरीज फिल्म निर्माता राजकुमार गुप्ता द्वारा निर्मित है. पहली नजर में नौकर करने वाले भ्रष्टाचार और चिकित्सा लापरवाही की जड़ों की जांच करने की पिल के बारे में है. ये एक थ्रिलर सीरीज है, जो सटीकता और गहराई के साथ लिंग और शक्ति असंतुलन को उजागर करती है. कोई ये भी सोच सकता है कि लंबे फॉर्मेट की आसानी गुप्ता को कहानी और किरदार की बारीकियों पर नए सिरे से ध्यान देने की अनुमति देगी. हालांकि ये बिल्कुल वैसा नहीं है. पिल के साथ कई कदम पीछे चले जाते हैं.

आठ एपिसोड में पिल चार ईमानदार मुखबिरों का अनुसरण करता है जो फॉरएवर क्योर की ज्यादतियों को उजागर करते हैं. एक लाभ-भूखी दवा कंपनी जो संख्याओं को गढ़ती है और ये सुनिश्चित करने के लिए रिश्वत देती है कि उनकी घटिया दवाएं बाजार में पहुंचें. इस प्रक्रिया में व्यवसायियों, डॉक्टरों, सरकारी अधिकारियों और राजनेताओं के बीच गठजोड़ को दिखाती है. जो उस तरह के चिकित्सा भ्रष्टाचार को सक्षम बनाती है जो जीवन के लिए खतरा साबित होती है.

शो में सिस्टम इफेक्ट की मार को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों में कमी दिखाई देती है. शो के पात्र या तो बुरे लोग हैं या फिर वो बुरे लोगों के लिए काम करने वाली कठपुतलियां हैं. मेरा मतलब है कि ये आठ एपिसोड ठोस कहानी कहने पर आधारित जांच के लिए नहीं बल्कि भारी-भरकम संयोगों और परिस्थितियों पर आधारित हैं.

एक गलती की तो हद ही पार हो जाती है. एक कारण को उतनी ही आसानी से मिटा दिया जाता है जितनी आसानी से परिणामों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है. सीरीज काफी स्लो है. फिर भी ये विचार कि भ्रष्ट और शक्तिशाली व्यवस्था को उसके मूल में हराने के लिए शायद कोई डिज़ाइन नहीं है, सिवाय किस्मत के झटके के ये मानना आसान होता अगर पिल ने अपने प्रदर्शनों के साथ पूरा किया होता. शो में रितेश देशमुख दिखाई देते हैं जो कॉमिक टाइमिंग के साथ काफी अच्छे एक्टर भी हैं. इस सीरीज में उन्होंने प्रकाश चौहान की भूमिका निभाई है, जो एक चश्मा पहने, मध्यम वर्गीय सरकारी कर्मचारी है जो शक्तिशाली पुरुषों के एक समूह के खिलाफ मुखबिरी का नेतृत्व करता है.

ऐसा नहीं है कि मल्होत्रा शो के लगभग हर सेकंड में एक सीन चुराने वाले कलाकार हैं, बल्कि ये भी है कि निर्माता इतना सम्मान नहीं करते कि उन्हें एक मजबूत स्टोरी दे सकें. देशमुख शो के भाग में फीके दिखाई देते हैं, उनका प्रदर्शन वास्तविक चीज़ के बजाय एक ड्रेस-रिहर्सल जैसा लगता है और इससे बुरा कुछ नहीं हो सकता.

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