शंघाई उत्पीड़न के बाद अरुणाचल की महिला का एकता संदेश, ट्रोल्स को करारा जवाब

थोंगडोक ने आरोप लगाया था कि 21 नवंबर को लंदन से जापान की यात्रा के दौरान तीन घंटे के ट्रांजिट के लिए रुकी थीं, लेकिन चीनी अधिकारियों ने उन्हें शंघाई एयरपोर्ट पर 18 घंटे तक रोके रखा।

Update: 2025-11-26 06:36 GMT
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चीन में उत्पीड़न का सामना कर चुकी अरुणाचल प्रदेश की महिला पेम़ा वांग थोंगडोक ने शंघाई एयरपोर्ट घटना के बाद ट्रोल करने वालों पर कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने साफ कहा कि भारत सरकार जो भी कार्रवाई करती है, वह पूरे देश के हित में होती है, किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं। उनका यह बयान देश में एकजुटता का संदेश देता है।

थोंगडोक ने आरोप लगाया था कि 21 नवंबर को लंदन से जापान की यात्रा के दौरान तीन घंटे के ट्रांजिट के लिए रुकी थीं, लेकिन चीनी अधिकारियों ने उन्हें शंघाई एयरपोर्ट पर 18 घंटे तक रोके रखा। आरोप है कि इमिग्रेशन अधिकारियों ने उनके भारतीय पासपोर्ट को मानने से इनकार कर दिया और दावा किया कि उनका जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश 'चीन का हिस्सा' है। बीती रात उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा कर उन लोगों का धन्यवाद किया, जिन्होंने उनके पक्ष में आवाज उठाई। साथ ही उन ट्रोल्स को भी संदेश दिया, जिन्होंने शंघाई की घटना को लेकर उन्हें निशाना बनाया।

उन्होंने लिखा कि मैं इस कूटनीतिक मुद्दे पर समर्थन करने वाले सभी लोगों का धन्यवाद करती हूं। मैं यहां नई हूं और ‘एक्स’ पर बहुत सक्रिय नहीं रहती, क्योंकि मैं वित्तीय सेवाओं में एक हाई-प्रोफाइल पद संभालती हूं और ट्रोलर्स को जवाब देने का समय नहीं है। थोंगडोक ने कहा कि जो लोग सही बात समझते हैं, वे उनके बयान का अर्थ समझ गए हैं और जो नहीं समझते, उनसे वह बातचीत करने में रुचि नहीं रखतीं। उन्होंने देशवासियों से एकजुट रहने की अपील की। उन्होंने लिखा कि मैं भारत में नहीं रहती, इसलिए भारत सरकार जो भी कार्रवाई करेगी, वह यहां रहने वाले मेरे भारतीय और अरुणाचली भाइयों-बहनों के हित और सम्मान के लिए होगी, मेरे लिए नहीं। हम एक राष्ट्र हैं और एक-दूसरे के लिए खड़े रहते हैं।

शंघाई में क्या हुआ था

थोंगडोक ने शंघाई की घटना को 'भारत की संप्रभुता पर सीधा अपमान' बताया। उनके अनुसार, चीनी अधिकारियों ने उनके पासपोर्ट को 'अमान्य' बता दिया। क्योंकि उस पर जन्मस्थान के रूप में अरुणाचल प्रदेश दर्ज था। इमिग्रेशन डेस्क पर उन्हें बताया गया कि चूंकि उनका जन्म अरुणाचल में हुआ है, इसलिए उनका पासपोर्ट मान्य नहीं है। उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और जापान की आगे की उड़ान में चढ़ने नहीं दिया गया, जबकि उनके पास वैध जापानी वीज़ा था। थोंगडोक का कहना है कि अधिकारी और ‘चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस’ के कर्मचारी उनका मजाक उड़ाते रहे और उन्हें 'चीनी पासपोर्ट लेने' की सलाह तक दे दी।

इसके अलावा, उन्हें भोजन और एयरपोर्ट सुविधाओं तक पहुंच भी नहीं दी गई। टिकट रीबुक करने की अनुमति न मिलने पर उन्हें यूके में मौजूद अपने एक मित्र की मदद से शंघाई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास से संपर्क करना पड़ा। देर रात जाकर वह अपनी यात्रा आगे बढ़ा सकीं।

भारत का कड़ा विरोध

भारत सरकार ने कल एक बार फिर स्पष्ट किया कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य हिस्सा है और यह स्वयं स्पष्ट सत्य है। चीन की किसी भी तरह की अस्वीकृति इस तथ्य को नहीं बदल सकती। उन्होंने पुष्टि की कि भारत ने इस घटना को लेकर बीजिंग और नई दिल्ली, दोनों स्थानों पर चीन के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया है।

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