संजय सिंह का राज्यसभा में सरकार पर हमला: एसआईआर, वोट कटौती और ईवीएम पर तीखी बहस
आप सांसद ने शहीदों का स्मरण करते हुए मतदाता सूची में गड़बड़ी, एसआईआर की कानूनी स्थिति, ईवीएम, घुसपैठ और बीएलओ मौतों पर सरकार व आयोग को घेरा।
By : The Federal
Update: 2025-12-11 13:11 GMT
AAP MP Sanjay Singh In Rajyasabha : राज्यसभा में आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह ने गुरुवार को चुनावी सुधारों, मतदाता सूची की समीक्षा (SIR), ईवीएम और कथित वोट कटौती को लेकर सरकार व चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला। उनका पूरा वक्तव्य वोट के अधिकार, लोकतांत्रिक ढांचे और चुनावी पारदर्शिता पर केंद्रित रहा।
शहीदों का सम्मान, अंबेडकर का हवाला
संजय सिंह ने अपने भाषण की शुरुआत देश की आज़ादी में जान देने वाले भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, रामप्रसाद बिस्मिल, खुदीराम बोस और अशफाकउल्ला खान जैसे शहीदों को याद कर की।
उन्होंने कहा कि आज भारतीयों को जो वोट का अधिकार मिला है, वह लाखों कुर्बानियों का परिणाम है और इसकी रक्षा करना संसद की ज़िम्मेदारी है।
इसके साथ ही उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर को उद्धृत करते हुए कहा कि भारत में मतदान का सिद्धांत “एक इंसान – एक वोट” की बराबरी पर आधारित है।
SIR पर बड़ा सवाल: क्या चुनाव आयोग के पास अधिकार है?
उन्होंने संविधान की धारा 327, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, और चुनाव आयोग के अधिकारों का विस्तृत हवाला देते हुए कहा कि “पूरे देश में SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) चलाने का अधिकार चुनाव आयोग के पास नहीं है। कानून स्पष्ट रूप से कहता है कि मतदाता सूची और परिसीमन के नियम संसद तय करेगी।”
उन्होंने आरोप लगाया कि SIR के नाम पर व्यापक वोट कटौती हो रही है और यह लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ है।
दिल्ली में वोट कटौती के उदाहरण
संजय सिंह ने कहा कि दिल्ली में हालिया समीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर वोट हटाए गए। नई दिल्ली विधानसभा सीट से 42,000 वोट गायब हुए।
कई इलाकों में हेरफेर के आरोप, जिनमें नेताओं के घरों में वोटों की असामान्य वृद्धि भी शामिल। उन्होंने आरोप लगाया कि यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इसका इस्तेमाल चुनावी लाभ के लिए किया जा रहा है।
बिहार में 65 लाख वोट हटाने का दावा
संजय सिंह ने बिहार के SIR का हवाला देते हुए कहा कि वहाँ लगभग 65 लाख वोट हटाए गए, लेकिन उसी प्रक्रिया में केवल 315 विदेशी नागरिक मिले। उन्होंने कहा कि सरकार ‘घुसपैठ’ का मुद्दा चुनावों में उठाती है, लेकिन वास्तविकता में आंकड़े इसके उलट हैं।
घुसपैठियों पर राजनीति, कार्रवाई शून्य
उन्होंने सदन में प्रश्न उठाया कि “सरकार 11 साल से बता रही है कि देश में घुसपैठिए हैं। लेकिन कितनों को वापस भेजा? कितनों की नागरिकता रद्द की? कितनों को पकड़कर निकाला?”
उन्होंने कहा कि घुसपैठ का मुद्दा सिर्फ चुनावी राजनीति का हथियार बन गया है।
डिटेंशन सेंटर पर हमला
संजय सिंह ने कहा कि सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा में निवेश नहीं बढ़ाती, लेकिन डिटेंशन सेंटर बनाने की बात करती है। “अगर घुसपैठिए मिलें तो उन्हें उनके देश भेजो; जनता के पैसे से उन्हें घर, बिजली, पानी क्यों दो?”
ईवीएम पर पुराने सवाल फिर उठे
उन्होंने ईवीएम पर कई देशों द्वारा प्रतिबंध का हवाला देते हुए कहा कि यह मशीन पारदर्शी नहीं है और संदेह से भरी रहती है।
उन्होंने तंज करते हुए कहा कि “अगर प्रधानमंत्री देश में इतने लोकप्रिय हैं, तो बैलेट पेपर से चुनाव कराने में परेशानी क्या है?”
बीएलओ की मौतों पर गंभीर चिंता
संजय सिंह ने SIR प्रक्रिया में भारी दबाव की वजह से अब तक 35 बीएलओ की मौत का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इतने बड़े पैमाने पर अधिकारी तनाव में हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना सरकार की ज़िम्मेदारी है।
चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की भूमिका लोकतंत्र की रक्षा करने की है, लेकिन SIR और वोट कटौती के मामलों से आयोग की विश्वसनीयता पर गहरा सवाल उठता है। संजय सिंह ने आरोप लगाया कि आयोग राजनीतिक दबाव में काम कर रहा है।