एयर इंडिया क्रैश 2025: मृत पायलट के पिता की सुप्रीम कोर्ट में गुहार
मृत पायलट के पिता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह विमान दुर्घटना जांच नियम, 2017 के नियम 12 के तहत एक नई, स्वतंत्र और पेशेवर जांच कराए और AAIB रिपोर्ट को “अस्थायी रूप से निरस्त” किया जाए।
एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 दुर्घटना की जांच को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट में कॉकपिट से एक मात्र पंक्ति ने पूरे मामले का रुख बदल दिया है। “कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डिंग में एक पायलट दूसरे से पूछता है कि उसने कट-ऑफ क्यों किया, जिस पर दूसरा जवाब देता है कि उसने ऐसा नहीं किया।” इस एक वाक्य ने हादसे में मारे गए कैप्टन सुमीत सबरवाल पर दोष मढ़ने की कहानी गढ़ दी है। 260 से अधिक लोगों की जान लेने वाले इस हादसे के बाद सुमीत के पिता पुष्कराज सबरवाल, जो खुद डीजीसीए के पूर्व अधिकारी हैं, इसे “मृत पायलटों को दोषी ठहराने की कोशिश” बताते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में पिता की याचिका
पुष्कराज सबरवाल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया कि AAIB ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया, महत्वपूर्ण सबूत छिपाए और बोइंग व जनरल इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियों को जांच से बचाया। उन्होंने मांग की है कि कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR) की पूरी दो घंटे की रिकॉर्डिंग या तो सार्वजनिक की जाए या फिर कुछ भी नहीं जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि AAIB ने बिना संदर्भ के एक पंक्ति उठाई, यह नहीं बताया कि किस पायलट ने क्या कहा और कब कहा।
मृत पायलट को निशाना बनाना अन्याय
कैप्टन सुमीत के सहपाठी कैप्टन रजनीश शर्मा ने कहा कि सुमीत हमेशा टॉप पर रहता था, तकनीकी ज्ञान में अतुलनीय, सौम्य और विनम्र व्यक्ति। अब उसकी छवि खराब की जा रही है। फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) के अध्यक्ष सीएस रंधावा ने भी रिपोर्ट को “अधूरी और चयनात्मक” बताया और कहा कि “इस तरह की रिपोर्ट न तो निष्पक्ष है, न ही संपूर्ण।”
विदेशी मीडिया में ‘पायलट एरर’ की कहानी
रॉयटर्स, बीबीसी और वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) जैसी विदेशी मीडिया रिपोर्टों ने दुर्घटना का ठीकरा पायलट पर फोड़ा। WSJ की रिपोर्ट में दावा किया गया कि कैप्टन सुमीत ने उड़ान भरने के कुछ सेकंड बाद फ्यूल स्विच को “कटऑफ” स्थिति में कर दिया। सबरवाल ने सवाल उठाया कि मीडिया को कॉकपिट बातचीत की जानकारी कैसे मिली, जबकि भारत में वह सार्वजनिक नहीं की गई है। एक पूर्व NTSB अधिकारी ने भी “पायलट की गलती” का दावा किया, लेकिन वे कॉकपिट की पृष्ठभूमि आवाज, इंजन की स्थिति या ATC कॉल्स जैसी तकनीकी बातों पर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे सके।
‘बोइंग और GE की उपस्थिति हितों का टकराव’
याचिका में कहा गया कि जांच में बोइंग और GE के तकनीकी सलाहकारों की मौजूदगी “हितों का टकराव” है। AAIB रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के NTSB ने बोइंग, GE और FAA के विशेषज्ञों को जांच में शामिल किया। सबरवाल ने कहा कि जिन कंपनियों के उपकरण संदेह के घेरे में हैं, वे ही जांच मेज पर बैठकर रिपोर्ट गढ़ रही हैं।
‘जांच टीम में कोई पायलट नहीं’
सबरवाल ने बताया कि AAIB की जांच टीम में कोई पायलट, एयरोनॉटिकल इंजीनियर या एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस विशेषज्ञ नहीं था — सभी डीजीसीए के प्रशासनिक अफसर थे। उन्होंने ICAO डॉक्यूमेंट 9756 का हवाला देते हुए कहा कि जांच टीम में पायलट अनुभव वाले विशेषज्ञ होना आवश्यक है। उन्होंने 2010 की मेंगलुरु क्रैश जांच (एयर मार्शल बीएन गोखले द्वारा) और 2020 की कोझिकोड जांच (कैप्टन सुरेंद्र सिंह चाहर द्वारा) का उदाहरण दिया।
AAIB की रिपोर्ट अधूरी और पक्षपातपूर्ण
AAIB की 12 जुलाई की रिपोर्ट न तो हस्ताक्षरित थी और न ही दिनांकित, फिर भी उसमें यह निष्कर्ष दिया गया कि “B787-8 और GE GEnx 1B इंजनों के ऑपरेटरों या निर्माताओं के लिए कोई अनुशंसा आवश्यक नहीं।” सबरवाल ने इसे “विमान और इंजन कंपनियों को क्लीन चिट देने का प्रयास” बताया। उनका कहना है कि रिपोर्ट ने तथ्यात्मक डेटा देने के बजाय “पायलट एरर” की ओर संकेत किया, जो ICAO Annex 13 का उल्लंघन है।
डोमेन एक्सपर्ट को बाद में जोड़ना संदिग्ध
21 जुलाई 2025 को मीडिया के जरिए पता चला कि एयर इंडिया के वरिष्ठ पायलट कैप्टन आरएस संधू को रिपोर्ट जारी होने के बाद डोमेन एक्सपर्ट के रूप में जोड़ा गया। सबरवाल ने कहा कि रिपोर्ट जारी होने के बाद विशेषज्ञ को जोड़ना जांच की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
स्वतंत्र कोर्ट-निगरानी वाली जांच की मांग
सबरवाल ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि वह विमान दुर्घटना जांच नियम, 2017 के नियम 12 के तहत एक नई, स्वतंत्र और पेशेवर जांच कराए और AAIB रिपोर्ट को “अस्थायी रूप से निरस्त” किया जाए। इसको लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 14 नवंबर को होगी, जब यह याचिका अन्य दो संबंधित मामलों के साथ सूचीबद्ध है।