SC का आदेश: एयर इंडिया क्रैश में पायलट को नहीं ठहराया जाएगा जिम्मेदार
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अहमदाबाद एयर इंडिया हादसे के लिए पायलट पर कोई ठोस आरोप नहीं है और जांच की निष्पक्षता सुनिश्चित करना आवश्यक है। अदालत ने कहा कि सत्य की खोज के लिए स्वतंत्र और पारदर्शी जांच ही पीड़ित परिवारों के प्रति न्याय का सही रास्ता है।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहमदाबाद में जून महीने में हुए एयर इंडिया लंदन फ्लाइट हादसे पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस दुर्घटना के लिए पायलट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। यह टिप्पणी उस समय की गई, जब अदालत इस हादसे की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
यह याचिका कमांडर सुमीत सभरवाल के पिता पुष्कर राज सभरवाल ने दायर की है। सुमीत सभरवाल उस दुर्भाग्यपूर्ण विमान के पायलटों में से एक थे, जो उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने इस मामले में केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ता का आरोप
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने तर्क दिया कि एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) द्वारा की जा रही जांच स्वतंत्र नहीं है, क्योंकि जांच दल में उन्हीं DGCA अधिकारियों को शामिल किया गया है, जिनकी कार्यप्रणाली स्वयं संदेह के घेरे में है।
उन्होंने अदालत से कहा कि मैं उस विमान के कमांडर का पिता हूं... मेरी उम्र 91 वर्ष है। यह जांच स्वतंत्र नहीं है। इसे स्वतंत्र होना चाहिए था, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी ऐसा नहीं हुआ। वरिष्ठ वकील शंकरनारायणन ने अदालत से अनुरोध किया कि विमान (दुर्घटनाओं और घटनाओं की जांच) नियम, नियम 12 के तहत न्यायिक पर्यवेक्षण (judicial supervision) में नई जांच कराई जाए, क्योंकि इस नियम के तहत निष्पक्षता अनिवार्य है।
इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि यह हादसा वाकई दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन आपको यह बोझ नहीं उठाना चाहिए कि आपके बेटे को दोषी ठहराया जा रहा है। कोई भी उस पर दोष नहीं डाल सकता। न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची ने भी समान राय व्यक्त करते हुए कहा कि AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहीं यह नहीं कहा गया है कि पायलट की गलती थी। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में केवल यह उल्लेख है कि एक पायलट ने पूछा था कि क्या ईंधन सप्लाई काट दी गई है और दूसरे ने ‘नहीं’ कहा। इसमें किसी गलती का कोई संकेत नहीं है।
शंकरनारायणन ने यह भी कहा कि बोइंग विमान से जुड़ी सुरक्षा समस्याएं वैश्विक स्तर पर बनी हुई हैं और अहमदाबाद हादसे को उसी व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। इस पर न्यायमूर्ति बागची ने टिप्पणी की कि अगर आप जांच की वैधता को चुनौती देना चाहते हैं तो आपको कानून की प्रावधानों को ही चुनौती देनी होगी।
भ्रामक रिपोर्टिंग’ पर कोर्ट की टिप्पणी
याचिकाकर्ता ने अदालत का ध्यान वॉल स्ट्रीट जर्नल की उस रिपोर्ट की ओर भी दिलाया, जिसमें एक अनाम भारतीय सरकारी सूत्र के हवाले से कहा गया था कि यह पायलट की गलती थी। इस पर पीठ ने स्पष्ट किया कि भारतीय न्यायिक प्रक्रिया विदेशी मीडिया रिपोर्टों से प्रभावित नहीं होगी।
न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि हम विदेशी रिपोर्टों की परवाह नहीं करते। अगर आपकी शिकायत विदेशी रिपोर्ट से है तो उपाय विदेशी अदालत में ढूंढिए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने इसे “निंदनीय रिपोर्टिंग (nasty reporting)” करार देते हुए कहा कि भारत में कोई नहीं मानता कि यह हादसा पायलट की गलती से हुआ। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर के लिए तय की है और इसे संबंधित मामलों के साथ जोड़ा है।