नितीश और चन्द्र बाबू के साथ साथ विशेष राज्य का दर्जा भी है चर्चा में

जानते हैं क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा? कैसे शुरू हुआ इस दर्जे को देने का सिलसिला? अभी देश में कितने राज्य हैं विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त, क्या मिलता है लाभ

Update: 2024-06-07 18:02 GMT

NDA Coalition Update: देश में 18वीं लोकसभा का गठन होने जा रहा है. नरेन्द्र मोदी को लगातार तीसरी बार देश का प्रधानमंत्री चुना गया है. एनडीए के घटक दलों ने सर्वसम्मति से उन्हें अपना नेता चुन लिया गया है. साथ ही संसदीय दल ने भी मोदी को अपना नेता चुन लिया है, जिसके बाद रविवार शाम सवा सात बजे राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन रखा गया है. इस बीच एनडीए के दो घटक जेडीयू और तीडीपी को लेकर विपक्ष की ओर से संशय जताया जा रहा है. इतना ही नहीं ये भी कहा जा रहा है कि नितीश कुमार बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग करेंगे. ठीक ऐसा ही चन्द्र बाबू नायडू के लिए भी कहा जा रहा है कि वो भी आंध्र प्रदेश के लिए विशेष विशेष राज्य के दर्जे की मांग करेंगे.

अब जानते हैं कि विशेष राज्य के दर्जे का अर्थ क्या होता है और इसके क्या लाभ होते हैं? कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा और देश में अभी कितने राज्यों के पास ये दर्जा है.

पहले जानते हैं क्या होता है विशेष राज्य का दर्जा

देश के संविधान में ऐसे स्पेशल स्टेटस का कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन, साल 1969 में गाडगिल कमेटी की सिफ़ारिशों के तहत भारत के संविधान में विशेष राज्य के दर्जे की संकल्पना अस्तित्व में आई. इसी साल असम, नगालैंड व जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था.गाडगिल कमेटी के फॉर्मूले के तहत विशेष श्रेणी का स्टेटस पाने वाले राज्य के लिए संघीय सरकार की सहायता और टैक्स छूट में प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया था. सिर्फ इतना ही नहीं स्पेशल स्टेटस पाने वाले राज्य के लिए उत्पाद शुल्क में भी महत्वपूर्ण छूट दिए जाने का प्रावधान किया गया था, ताकि वहां बड़ी संख्या में कंपनियां मैनुफैक्चरिंग फैसिलिटीज़ स्थापित की जा सकें.

स्पेशल स्टेटस का दर्जा देने के लिए सामाजिक व आर्थिक, भौगोलिक कठिनाइयां आदि को ध्यान में रखा जाता है, जिन राज्यों में इस तरह की समस्याएं होती हैं, उनके विकास में मदद के लिए विशेष दर्जा दिया जाता है. जिसके लिए अलग-अलग मापदंड निर्धारित किए गए हैं.

क्या हैं विशेष श्रेणी का दर्जा पाने के मानदंड

- पहाड़ी और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्र

- कम जनसंख्या घनत्व या पर्याप्त जनजातीय आबादी

- अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगने वाला एक रणनीतिक स्थान

- आर्थिक एवं ढांचागत दृष्टिकोण से पिछड़ा हुआ

- राज्य की वित्तीय स्थिति का ठीक न होना


फिलहाल 11 राज्यों के पास है विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा

अभी की बात करें तो देश में 11 राज्यों के पास विशेष श्रेणी के राज्य का दर्जा हासिल है. इनमें अधिकतर पूर्वोत्तर के राज्य हैं. जैसे मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और असम. इनके अलावा उत्तर भारत के पहाड़ी राज्य उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश को भी ये दर्जा मिला हुआ है.

क्या होते हैं फायदे?

जिस राज्य को विशेष श्रेणी का दर्जा मिलता है. उस राज्य को बहुत सारे लाभ होते है. केंद्र सरकार की ओर से उस राज्य को विशेष छूट दी जाती है. इसके साथ ही अन्य राज्यों के मुकाबले में ज्यादा अनुदान भी दिया जाता है. केंद्र सरकार के बजट का कुल 30% का हिस्सा विशेष राज्यों पर खर्च किया जाता है. इन राज्यों को दी जाने वाली राशि अगर एक साल में खर्च नहीं होती, तो अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड कर दी जाती है. वहीं सामान्य राज्यों में ऐसा नहीं होता है.





Tags:    

Similar News