संविधान बहस में अमित शाह का राहुल गांधी पर तंज- '54 वर्षीय नेता खुद को कहते हैं युवा'

Amit Shah jibe Rahul Gandhi: राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान शाह ने राहुल गांधी पर भारतीय संविधान की प्रतियां लहराने को लेकर भी तंज कसा.;

Update: 2024-12-17 15:37 GMT

Constitution Debate: संविधान को अपनाए जाने के 75 साल पूरे होने पर राज्यसभा में आयोजित बहस में मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारा लोकतंत्र पाताल से भी गहरा है. कांग्रेस (Congress) पर हमला करते हुए अमित शाह ने कहा कि पार्टी को तो परिवार की जागीर समझते हो, संविधान को भी. अपने भाषण के दौरान उन्होंने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर भारतीय संविधान की प्रतियां लहराने को लेकर भी तंज कसा. शाह (Amit Shah) ने कहा कि कांग्रेस (Congress) हार गई. क्योंकि लोगों को पता चला कि वे संविधान की नकली प्रतियां लेकर चल रहे थे. उन्होंने गांधी पर उनके इस दावे के लिए हमला किया कि भाजपा संविधान (Indian Constitution) में संशोधन लाएगी.

शाह (Amit Shah) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लेकर कहा कि 54 वर्षीय नेता जो खुद को 'युवा' कहते हैं, संविधान (Indian Constitution) के साथ घूमते रहते हैं और दावा करते हैं कि हम संविधान को बदल देंगे. मैं बताना चाहता हूं कि संविधान में संशोधन का प्रावधान संविधान के भीतर है. भाजपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस (Congress) ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने के लिए पहला संविधान संशोधन अधिनियम लाया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने के लिए अनुच्छेद 19ए जोड़ा गया और उस समय जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे. 24वां संशोधन उनकी बेटी इंदिरा गांधी ने लाया था. 24 नवंबर 1971 को संसद को नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कम करने का अधिकार दिया गया.

अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि भारत का संविधान (Indian Constitution) लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत लोगों से फीडबैक लेने के बाद अपनाया गया था और किसी ने भी इसे कांग्रेस (Congress) की तरह विकृत नहीं किया है. संसद में संविधान (Indian Constitution) पर बहस भावी पीढ़ियों और देश के लोगों के लिए शिक्षाप्रद रही है. इससे पता चला है कि किस पार्टी ने संविधान का सम्मान किया और किस पार्टी ने नहीं.

उन्होंने कहा कि एक सांसद ने कहा कि संसद में चर्चा का स्तर गिर गया है. क्योंकि हम छवियों (संविधान में) पर चर्चा कर रहे हैं. ये छवियां हमारी यात्रा को दर्शाती हैं. जो लोग हर चीज को पश्चिमी चश्मे से देखते हैं, वे हमारे संविधान की भारतीयता को नहीं देख सकते. लोगों ने समझ लिया कि आप (कांग्रेस नेता) एक नकली, खाली संविधान लेकर चल रहे हैं. यही वजह है कि आप हालिया चुनाव हार गए. परिवर्तन ही जीवन का सत्य और मंत्र है. यह कुछ ऐसा है, जिसे संविधान निर्माताओं (Indian Constitution) ने भी महसूस किया और इसके लिए प्रावधान बनाए.

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कांग्रेस (Congress) ने संविधान (Indian Constitution) में 77 बार संशोधन किया, भाजपा ने केवल 22 बार. संविधान (Indian Constitution) में पहली बार 18 जून 1951 को संशोधन किया गया था. संविधान समिति ने यह संशोधन इसलिए किया. क्योंकि कांग्रेस पार्टी आम चुनावों का इंतजार नहीं करना चाहती थी. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के लिए संविधान में अनुच्छेद 19A जोड़ा गया था. समानता हमारे संविधान (Indian Constitution) के मूल में है. समान नागरिक संहिता क्यों नहीं पेश की गई? क्योंकि पहले प्रधानमंत्री मुस्लिम पर्सनल लॉ लेकर आए थे. एक ही दिन दो चुनाव परिणाम आए. जब ​​वे (विपक्ष) महाराष्ट्र में चुनाव हार गए तो उन्होंने कहा कि ईवीएम खराब थी और जब वे झारखंड में चुनाव जीत गए तो उन्होंने अच्छे कपड़े पहनकर शपथ ली. कुछ शर्म करो. लोग देख रहे हैं हम 3 आपराधिक न्याय कानून लाए.

अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने इन कानूनों को लाकर आपराधिक न्याय प्रणाली का भारतीयकरण किया. अगर किसी ने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करने का काम किया तो वे पीएम मोदी हैं. अनुच्छेद 370 (जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिया था) को खत्म करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत थी. उन्होंने (विपक्ष ने) कहा कि अगर अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया तो खून बहेगा. एक कंकड़ भी नहीं फेंका गया.

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