माल्या, नीरव मोदी को वापस लाने की कोशिश में भारत; तिहाड़ की सुविधाओं का ब्रिटेन की टीम ने किया आकलन

गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा कराई गई यह यात्रा ब्रिटेन की अदालतों में चल रही कानूनी कार्यवाही में एक अहम कदम मानी जा रही है, वरिष्ठ अधिकारियों ने इसकी पुष्टि की।;

Update: 2025-09-07 00:50 GMT
विजय माल्या और नीरव मोदी उन लोगों में शामिल हैं जिनका प्रत्यर्पण के लिए यूके में पीछा किया जा रहा है।

ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) का एक प्रतिनिधिमंडल हाल ही में दिल्ली की तिहाड़ जेल पहुंचा, जहां उन्होंने कैदियों के लिए मौजूद सुविधाओं और परिस्थितियों का आकलन किया। इसका उद्देश्य भारत के प्रत्यर्पण मामलों, विशेष रूप से हाई-प्रोफाइल आर्थिक अपराधियों विजय माल्या और नीरव मोदी को वापस लाने की दलील को मजबूत करना था।

अधिकारियों के अनुसार, भले ही CPS टीम तिहाड़ की देखभाल और सुविधाओं से संतुष्ट दिखी, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि यदि ज़रूरत पड़ी तो तिहाड़ परिसर के भीतर विशेष “एन्क्लेव” बनाया जा सकता है, जिसमें हाई-प्रोफाइल प्रत्यर्पित आरोपियों को रखा जाएगा, ताकि उनकी ज़रूरतें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पूरी हों और उनकी सुरक्षा पर कोई खतरा न हो।

इस निरीक्षण से उम्मीद है कि यूके अधिकारियों तक सकारात्मक रिपोर्ट पहुंचेगी, जिससे भारत की जांच एजेंसियों को भगोड़ों को वापस लाने की कोशिश में मजबूती मिलेगी। तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वतंत्र रूप से जुलाई में हुई इस उच्च-स्तरीय यात्रा की पुष्टि की। हालांकि लंदन स्थित CPS प्रेस ऑफिस और दिल्ली स्थित ब्रिटिश उच्चायोग को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला।

एक अधिकारी ने बताया, “चार सदस्यीय टीम, जिसमें दो CPS विशेषज्ञ और दो ब्रिटिश उच्चायोग अधिकारी शामिल थे, जुलाई में तिहाड़ जेल आई थी। उन्होंने कैदियों को मिलने वाली सुविधाओं का निरीक्षण किया, जिनमें हाई-सिक्योरिटी वार्ड भी शामिल थे। वे अधिकांश व्यवस्थाओं से प्रभावित हुए और उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के बराबर माना।”

दूसरे अधिकारी के अनुसार, CPS टीम ने हाई-सिक्योरिटी वार्ड का बारीकी से निरीक्षण किया और कुछ कैदियों से बातचीत भी की। इसके अलावा उन्होंने MHA, विदेश मंत्रालय, जांच एजेंसियों और तिहाड़ अधिकारियों के साथ बैठकर प्रत्यर्पण से जुड़े कानूनी पहलुओं और CPS अभियोजकों की आवश्यकताओं पर चर्चा की।

हालांकि, कई हाई-प्रोफाइल सफेदपोश भगोड़े—जिनमें हथियार डीलर संजय भंडारी और हीरा व्यापारी नीरव मोदी शामिल हैं—यूके की अदालतों में यह दलील देते आए हैं कि यदि उन्हें भारत प्रत्यर्पित किया गया तो तिहाड़ जेल में उन्हें जबरन वसूली, यातना या हिंसा का खतरा रहेगा।

दरअसल, इसी तर्क के आधार पर 28 फरवरी 2025 को यूके हाई कोर्ट ने भंडारी के प्रत्यर्पण से इनकार कर दिया था। इसके बाद अप्रैल में अदालत ने भारत को सुप्रीम कोर्ट में अपील की इजाज़त भी नहीं दी, जिससे भंडारी लंदन में आज़ाद हो गया।

इसी तर्क का हवाला देते हुए 11 अप्रैल 2025 को वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट्स कोर्ट के मुख्य मजिस्ट्रेट पॉल गोल्डस्प्रिंग ने एक भगोड़े दंपति—विर्करण अवस्ती और उनकी पत्नी रितिका अवस्ती (₹750 करोड़ की धोखाधड़ी के आरोपी)—को बिना शर्त जमानत दे दी। गोल्डस्प्रिंग ने अपने आदेश में भंडारी मामले का ज़िक्र करते हुए कहा—“यदि अवस्ती को तिहाड़ भेजा जाता है और वहां वही परिस्थितियाँ होंगी जैसी भंडारी मामले में बताई गईं, तो वास्तविक खतरा बना रहेगा।”

इन दोनों फैसलों ने दिल्ली में अलार्म बजा दिया। इसके बाद CPS ने भारतीय अधिकारियों को सलाह दी कि वे एक संप्रभु गारंटी (sovereign guarantee) दें कि आरोपियों को न तो यातना दी जाएगी, न ही पूछताछ की जाएगी और भारत यूरोपीय मानवाधिकार संधि (ECHR) के अनुच्छेद 3 का पालन करेगा, जो कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार पर रोक लगाता है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारतीय एजेंसियों के 178 प्रत्यर्पण अनुरोध (आर्थिक अपराधियों, आतंकवादियों और अन्य मामलों के लिए) विभिन्न देशों में लंबित हैं। इनमें से लगभग 20 मामले अकेले यूके में अटके हैं।

यूके में जिनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है उनमें शराब कारोबारी विजय माल्या, नीरव मोदी, अंडरवर्ल्ड डॉन इकबाल मिर्ची की पत्नी हाजरा मेमन, उसके बेटे असिक इकबाल मेमन और जुनैद इकबाल मेमन, और कई यूके-स्थित खालिस्तानी नेता शामिल हैं।

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