धन शोधन मामलों में भी है जमानत का नियम, जेल अपवाद है : सुप्रीम कोर्ट
देश की सर्वोच्च अदालत ने माना कि जमानत एक आदर्श है, जबकि जेल एक अपवाद है, यहां तक कि धन शोधन के मामलों में भी
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-08-28 08:38 GMT
Supreme Court on Bail in PMLA Act: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि धन शोधन के मामलों में भी जमानत का नियम है, जेल अपवाद है. कोर्ट ने बुधवार (28 अगस्त) को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज अवैध खनन मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहयोगी को राहत देते हुए फैसला सुनाया.
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि न्यायालय ने माना है कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों में भी, "जमानत एक नियम है और जेल एक अपवाद है." पीठ ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए और पीएमएलए की धारा 45, जो धन शोधन मामले में आरोपी की जमानत के लिए दोहरी शर्तें निर्धारित करती है, इस सिद्धांत को फिर से नहीं लिखती है कि स्वतंत्रता से वंचित करना आदर्श है.
'व्यक्ति की स्वतंत्रता'
शीर्ष अदालत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से जुड़े धन शोधन और भ्रष्टाचार मामलों में 9 अगस्त के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता हमेशा नियम है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा इससे वंचित करना अपवाद है.
पीठ ने कहा, "पीएमएलए की धारा 45 के तहत दोहरा परीक्षण इस सिद्धांत को खत्म नहीं करता है."
निचली अदालत से सुनवाई में तेजी लाने के लिए कहा
अदालत ने प्रेम प्रकाश नामक व्यक्ति को जमानत दे दी, जिसे प्रवर्तन निदेशालय ने सोरेन का करीबी सहयोगी बताया है और उस पर राज्य में अवैध खनन में शामिल होने का आरोप है.
शीर्ष अदालत ने झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें जमानत देने से इनकार करने के 22 मार्च के आदेश को खारिज कर दिया और निचली अदालत को मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया.
(एजेंसी इनपुट्स के साथ)