सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहीं कंपनियां, कोल्ड ड्रिंक्स में मिला रहीं 5 गुना अधिक चीनी
भारत में बिक रही कोल्ड ड्रिंक्स में आईसीएमआर के मापदंडों से 5 गुना ज्यादा चीनी मिलाई जा रही है और यह बात पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनियां छिपा रही हैं.
Cold Drink Sugar Content: गर्मियों का मौसम चरम पर है. ऐसे में पानी के साथ लोग कोल्ड ड्रिंग्स का जमकर सेवन करते हैं. लेकिन कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन करने वाले लोगों को सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि भारत में बिक रही कोल्ड ड्रिंग्स में आईसीएमआर के मापदंडों से 5 गुना ज्यादा चीनी मिलाई जा रही है और यह बात पेय पदार्थ बनाने वाली कंपनियां छिपा रही हैं. जहां अमेरिका कोल्ड ड्रिंग्स की एक बोतल 330 एमएल की होती है, ताकि वहां के लोग अधिक मात्रा में चीनी का सेवन न कर पाएं. लेकिन भारत में यही कंपनियां 750 एलएल की बोतल बेचती हैं, जिसमे 80 ग्राम चीनी होता है. यानी कि भारत में कोल्ड ड्रिंग्स पीने वाला इंसान जरूरत से ज्यादा चीनी का सेवन कर रहा है, जो उसके सेहत को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में कोल्ड ड्रिंग्स बेचने वाली कंपनियां बोतल में छोटे से लेवल पर चीनी, कैलोरी आदि की जानकारी दे रही है, ताकि लोगों की नजर आसानी से इस पर न पड़ सके. वहीं, ये कंपनियां अपने देश में बड़े लेबल में इंग्रेडिएंट्स और कैलोरी की जानकारी देती हैं. अमेरिका में कंपनियां बोतल में साफतौर पर लिखती है कि यह कोई हेल्थ ड्रिंक नहीं है और इससे कोई पोषण नहीं मिलता है. जबकि भारत के मामले में ऐसा नहीं करती हैं. भारत में 750 एमएल की बोतल में 79.5 ग्राम चीनी पाई गई. जबकि, आईसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार, हर 100 ml के ड्रिंक में 2 ग्राम से ज्यादा चीनी नहीं होनी चाहिए.
एक स्वस्थ व्यक्ति को एक दिन में 25 ग्राम से ज्यादा चीनी नहीं खानी चाहिए. अधिक मात्रा में चीनी मोटापे के जोखिमों को बढ़ा देती है, साथ ही टाइप-2 डायबिटीज, हृदय रोग और लिवर में फैट जमा होने जैसी गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकती है. अगर कोई इंसान हफ्ते में दो बार भी कोल्ड ड्रिंक पीता है तो 50% तक हृदय रोगों का खतरा बढ़ सकता है.
वहीं, इन कोल्ड ड्रिंग्स में न तो फाइबर होता है न ही शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्व. बल्कि हर बोतल के साथ शरीर में ऐसे तत्व जाते हैं, जो कई बीमारियों को जन्म दे सकते हैं. ये ड्रिंग्स फ्रुक्टोज से भरपूर होते हैं, जिससे शरीर का लिवर ठीक तरीक से ब्रेकडाउन नहीं कर पाता है और समय के साथ इसमें फेट जमा होने लगता है.