UPSC Lateral Entry: अब BJP के सहयोगी ने ही खड़े किए सवाल, भर्ती प्रक्रिया को बताया गलत

केंद्र सरकार 45 नौकरशाहों की भर्ती लेटरल एंट्री के जरिए करने के फैसले को लेकर विपक्ष की तीखी आलोचना का सामना कर रही है.

Update: 2024-08-19 15:15 GMT

UPSC Lateral Entry Criticised: ऐसे समय में जब केंद्र सरकार 45 नौकरशाहों की भर्ती लेटरल एंट्री के जरिए करने के फैसले को लेकर विपक्ष की तीखी आलोचना का सामना कर रही है. केंद्र में भाजपा के सहयोगी चिराग पासवान ने भी इस कदम की आलोचना करते हुए इसे 'पूरी तरह से गलत' बताया है.

लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग ने कहा है कि उनकी पार्टी आरक्षण को दरकिनार करके नियुक्तियां करने के केंद्र के फैसले का समर्थन नहीं करती है और कहा कि वह इस मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाएंगे. चिराग नरेंद्र मोदी कैबिनेट में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री हैं. उनकी यह प्रतिक्रिया संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा हाल ही में अनुबंध के आधार पर पार्श्व प्रवेश के माध्यम से पदों को भरने के लिए जारी विज्ञापन पर आई है, जिसके बारे में विपक्ष ने आरोप लगाया है कि यह वंचित समुदायों के लिए आरक्षण छीनता है.

आरक्षण पर कोई अगर-मगर नहीं

उन्होंने कहा कि किसी भी सरकारी नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए. इसमें कोई शक-शुबहा नहीं है. निजी क्षेत्र में कोई आरक्षण नहीं है और अगर इसे सरकारी पदों पर भी लागू नहीं किया जाता है. यह जानकारी रविवार को मेरे सामने आई और यह मेरे लिए चिंता का विषय है. चिराग ने कहा कि सरकार के सदस्य के तौर पर उनके पास इस मुद्दे को उठाने का मंच है और वह ऐसा करेंगे. केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि जहां तक उनकी पार्टी का सवाल है, वह इस तरह के कदम के बिल्कुल समर्थन में नहीं है.

बता दें कि यूपीएससी ने पिछले शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया था - 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव - जिन्हें अनुबंध के आधार पर पार्श्व प्रवेश मोड के माध्यम से भरा जाना है. एक अधिकारी ने कहा कि यह केंद्र द्वारा की जा रही पार्श्व भर्ती का सबसे बड़ा हिस्सा है. विपक्षी दलों ने इस कदम की आलोचना करते हुए दावा किया कि इससे एससी, एसटी और ओबीसी से आरक्षण छिन जाएगा. इस पर लभाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि एनडीए सरकार कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए द्वारा शुरू की गई भर्ती की इस पद्धति में पारदर्शिता ला रही है.

कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी आरोप लगाया कि यह भाजपा द्वारा अपने वैचारिक सहयोगियों को पिछले दरवाजे से उच्च पदों पर नियुक्त करने की "साजिश" है.

केंद्र का खंडन

हालांकि, सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि वरिष्ठ नौकरशाही में पार्श्व प्रवेश प्रणाली की कांग्रेस की आलोचना उसका "पाखंड" दर्शाती है. एक्स पर एक पोस्ट में वैष्णव ने कहा कि एनडीए सरकार द्वारा लागू किए गए सुधार उपाय शासन में सुधार करेंगे. उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री मामले में INC (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) का पाखंड स्पष्ट है. यह UPA सरकार थी, जिसने लेटरल एंट्री की अवधारणा विकसित की थी.

उन्होंने कहा कि वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में गठित और 2005 में तत्कालीन कांग्रेस नीत यूपीए सरकार द्वारा स्थापित द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (एआरसी) ने "विशेष ज्ञान की आवश्यकता वाली भूमिकाओं में रिक्तियों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी. मंत्री ने कहा कि एनडीए सरकार ने एआरसी द्वारा की गई सिफारिश को लागू करने के लिए एक पारदर्शी पद्धति बनाई है.

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