बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र की फैक्ट चेक यूनिट को माना 'असंवैधानिक', IT रूल्स के संशोधनों को किया खारिज

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आईटी नियमों में 2023 के संशोधनों को असंवैधानिक मानते हुए खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करते हैं.

Update: 2024-09-20 12:59 GMT

Bombay High Court on IT amendments Rules: बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को आईटी नियमों में 2023 के संशोधनों को असंवैधानिक मानते हुए खारिज कर दिया. आईटी नियमों में किए गए बदलावों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एएस चंदुरकर की टाई-ब्रेकर बेंच ने कहा कि मेरा मानना ​​है कि संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करते हैं.

बता दें कि इन संशोधनों के तहत केंद्र सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने कामकाज के बारे में 'फर्जी और भ्रामक' सूचनाओं की पहचान करने और उन्हें खारिज करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट स्थापित करने की अनुमति दी गई थी. इसके खिलाफ स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने याचिका दायर की थी. इसको लेकर जस्टिस एएस चंदुरकर ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन नियम, 2023, जो केंद्र सरकार को ऑनलाइन फर्जी खबरों की पहचान करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट (एफसीयू) की स्थापना करने का अधिकार देता है, वह संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के खिलाफ है.

उन्होंने कहा कि मैंने इस मामले पर विस्तार से विचार किया है. विवादित नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 19 (1) (जी) (व्यवसाय की स्वतंत्रता और अधिकार) का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने कहा कि आईटी नियमों में "फर्जी, झूठा और भ्रामक" शब्द किसी परिभाषा के अभाव में "अस्पष्ट और इसलिए गलत" है.

बता दें कि जनवरी में खंडपीठ द्वारा विभाजित फैसला दिए जाने के बाद मामला तीसरे जज के पास गया था. जनवरी में जस्टिस गौतम पटेल और नीला गोखले की खंडपीठ ने विभाजित फैसला सुनाया था. जस्टिस पटेल ने नियमों को खारिज कर दिया था. जबकि, जस्टिस गोखले ने उन्हें बरकरार रखा था. जस्टिस पटेल ने कहा था कि नियम सेंसरशिप के समान हैं. लेकिन जस्टिस गोखले ने कहा था कि इनका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई "प्रभाव" नहीं है, जैसा कि तर्क दिया गया था. वहीं, आज तीसरे जज का फैसला आया है.

मार्च में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा अपनी आधिकारिक फैक्ट चेक यूनिट की परिचालन स्थिति की घोषणा करने वाली अधिसूचना पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट मामले की संवैधानिकता पर फैसला नहीं ले लेता, तब तक केंद्र आगे नहीं बढ़ सकता है.

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