सीजफायर: भारतीय सेनाध्यक्ष ने पश्चिमी कमांडरों को जवाबी कार्रवाई की खुली छूट दी

भारतीय सेना की तरफ से दावा किया गया है कि शनिवार को हुए युद्धविराम के बाद सेना प्रमुख ने पश्चिमी सीमा का जायजा लिया, जिसके बाद सभी कमांडरों को ये निर्देश दिए गए।;

Update: 2025-05-11 12:16 GMT

भारतीय सेना के X हैंडल के सौजन्य से 


India Pakistan Ceasefire : भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने पश्चिमी सीमाओं पर तैनात सभी सेना कमांडरों को निर्देश दिया है कि यदि 10 मई को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल्स ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन्स) के बीच हुई सहमति का उल्लंघन होता है, तो वे "काइनेटिक डोमेन" में पूर्ण जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। "काइनेटिक डोमेन" का मतलब सैन्य भाषा में हथियारों का प्रयोग या प्रत्यक्ष कार्रवाई से होता है। यह निर्णय 10-11 मई की रात हुए संघर्षविराम और वायुसीमा उल्लंघन की पृष्ठभूमि में लिया गया है।


भारतीय सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर जारी बयान में कहा:

"सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने पश्चिमी सीमाओं पर तैनात सेना कमांडरों के साथ सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की है। डीजीएमओ वार्ता के तहत हुई समझ का कोई भी उल्लंघन होने पर सेना कमांडरों को सशस्त्र कार्रवाई के लिए पूरी छूट दी गई है।"

गौरतलब है कि दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बातचीत के बाद से फिलहाल सीमाओं पर कोई नई झड़प नहीं हुई है। हालांकि, इस वार्ता से कुछ घंटे पहले ही भारतीय सूत्रों ने स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान की ओर से भविष्य में होने वाली किसी भी आतंकी गतिविधि को भारत "युद्ध की कार्यवाही" मानेगा और उसी स्तर पर जवाब देगा।


कब क्या हुआ ?

तनाव की शुरुआत 22 अप्रैल 2025 को हुई, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 निर्दोष भारतीय पर्यटकों की हत्या कर दी। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) और पाकिस्तान वाले पंजाब में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर सटीक क्रूज़ मिसाइल हमले किए।

इसके बाद, पाकिस्तान ने भारत के नागरिक इलाकों को ड्रोन से निशाना बनाकर स्थिति को और गंभीर बना दिया। भारत ने फिर पलटवार करते हुए पाकिस्तान की सीमाओं के भीतर गहरे सैन्य ठिकानों पर बेहद सटीक स्ट्राइक की। इन लक्ष्यों में रडार स्टेशनों, कमांड और कंट्रोल सेंटरों और गोला-बारूद डिपो शामिल थे। प्रमुख हमले रफीकी, चकलाला, रहीम यार खान, सुक्कुर और सियालकोट में किए गए।


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