मुख्यमंत्री अपने घरों पर कितना करते हैं खर्च, कोई भी किसी से पीछे नहीं

शीश महल,अरविंद केजरीवाल का पीछा नहीं छोड़ रहा। खर्च 8 करोड़,33 करोड, 75 करोड़ या उससे भी अधिक। इन सबके बीच कुछ राज्यों से सीएम आवास पर खर्च के बारे में बताएंगे।;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-01-10 07:40 GMT

दिल्ली के सीएम रहे अरविंद केजरीवाल के सिए 6 फ्लैग स्टॉफ रोड पर स्थित आवास को संवारा और सजाया गया। अब इसमें भला किसी को ऐतराज क्यों हो। जैसे नौकरी करने वाले किसी शख्स को वेतन मिलता और वो अपने घर को रहने लायक बनाता है. ठीक वैसे ही सीएम को भी सैलरी मिलती है वो भी अपने घर को सजा सकता है। लेकिन सजावट के उस काम में जनता की गाढ़ी कमाई खर्च की जाए तो सवाल बनता है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि अनुमानित खर्च 8 करोड़ का था। लेकिन खर्च किए गए 33 करोड़। यही नहीं सीएम के उस आवास में जिसे बीजेपी ने शीश महल नाम दिया है उसमें क्या क्या लगा है उसकी भी सूची आई है।

6 फ्लैग स्टॉफ वाले सीएम के आवास पर 88 इंच वाली OLED TV 8K डिस्प्ले के साथ, 10 दूसरी OLED TV 4K डिस्प्ले के साथ, करीब बॉस के 75 सीलिंग स्पीकर, फ्रेंच रेफ्रिजरेटर जिसकी कीमत 3 लाख से अधिक, एक सिंगल माइक्रोवेव ओवन जिसकी कीमत करीब 2 लाख रुपए, जकुजी, सौना और स्पा जिसकी कीमत करीब 20 लाख। वास्तव में सीएम के उस आवास को भव्य बनाने में कितना खर्च हुआ वो सिर्फ कयास ही है। जैसे बीजेपी ने पहले 45 करोड़ बताया,कांग्रेस के अजय माकन ने 171 करोड़ रुपए, अब बीजेपी की तरफ से पेश अनुमानित खर्च 75 से 80 करोड़ है। इन सबके बीच कैग की रिपोर्ट में अनुमानित खर्च 33 करोड़ का है। हालांकि अरविंद केजरीवाल इन सभी आंकड़ों को गलत ठहराते हैं। अब सवाल यहां ये है बंगले को सजाने संवारने पर जंग पहली बार छिड़ी या इससे पहले किसी सीएम का बंगला चर्चा में रहा है।

इसे समझने के लिए साल 2016 में चलते हैं। नागालैंड की स्थानीय मीडिया में शोर मचा कि सीएम के बंगले को संवारने में 400 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इस तरह की रिपोर्ट को नागालैंड सीएम ऑफिस ने खारिज कर दिया था। हालांकि 57 करोड़ रुपए खर्च करने की बात मानी। अब सवाल यह है क्या 57 करोड़ की राशि मामूली होती है। सबसे बड़ी बात यह कि जिस बिल्डिंग को संवारा गया था वो आग की भेंट चढ़ चुकी थी और उसकी जगह नई इमारत बनाई गई।

हालांकि इससे भी बड़ा विवाद तब सामने आया जब तेलंगाना के सीएम के तौर पर के चंद्रशेखर राव ने गद्दी संभाली थी। चंद्रशेखर राव से पहले अविभाजित आंध्र प्रदेश के सीएम वाई एस राजशेखर रेड्डी हुआ करते थे। उनके समय में यानी साल 2005 में 25 करोड़ खर्च कर सीएम आवास को बनाया गया था। लेकिन वास्तु शास्त्र के हिसाब से के चंद्रशेखर राव को आवास नहीं पसंद आया। लिहाजा हैदराबाद के पॉश इलाके में करीब 9 एकड़ में बनी आईएएस ऑफिसर एसोसिएशन की बिल्डिंग को गिरा दिया गया। करीब एक लाख वर्ग फीट में सीएम के लिए आवास और ऑफिस को बनाया गया। सीएम का आवास 40 हजार वर्ग फीट में बना जिसमें 6 बेडरूम, एक जिम और एक होम थिएटर, बुलेटप्रूफ बॉथरूम थे। पूरे निर्माण के लिए 33 करोड़ का बजट निर्धारित किया गया। लेकिन इमारत के बनते बनते यह खर्च 50 करोड़ के करीब पहुंच गई। इसके पीछे बड़ी वजह यह थी कि केसीआर किसी तरह का वास्तुदोष नहीं चाहते थे। टाइम्स ऑफ इंडिया ने उस समय गार्डेन के ऊपर एक करोड़ खर्च की खबर दी थी।

इसी तरह वास्तु और भुतहा होने का हवाला देकर अरुणाचल प्रदेश के सीएम के आवास (60 करोड़ खर्च हुए थे) को गेस्ट हाउस में बदल दिया गया। यहीं नहीं 16 करोड़ की लागत से बने उत्तराखंड सीएम आवास वर्षों तक खाली रहा। कर्नाटक में इस तरह की कोई नई आलीशान इमारत बनाना मुश्किल होगा, क्योंकि इसमें तीन बंगले हैं, जिनमें से मुख्यमंत्री चुन सकते हैं- कृष्णा, कावेरी और अनुग्रह। 2009 के आसपास, बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने अनुग्रह को वास्तु के अनुरूप बनाने के लिए लगभग 56 लाख रुपये खर्च किए थे। उनसे पहले, एचडी कुमारस्वामी ने इसी चीज़ पर करीब 70 लाख रुपये खर्च कर दिए थे- घर को और अधिक "सही" बनाने के लिए। लेकिन येदियुरप्पा कभी उसमें नहीं गए। इसके बजाय, उन्होंने एक और सरकारी बंगले पर काम करवाया और उस पर 1.7 करोड़ रुपये खर्च किए: जिसमें उनके बेडरूम पर 35 लाख रुपये और संगमरमर के फर्श पर 10 लाख रुपये खर्च किए गए।

बुरी भावनाओं का हवाला देकर इन निरंतर जीर्णोद्धार और उन्नयन ने इतना बिल तैयार कर दिया कि विधानसभा झारखंड में जब अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री थे, तो सरकार ने आधिकारिक आवास के वास्तु सुधार पर 22 लाख रुपए खर्च किए थे - उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर कोने में एक मंदिर की जरूरत है, ताकि बुरी आभा को दूर किया जा सके। अशुभ घर की कहानी में विश्वास इतना मजबूत था कि जब उनके पार्टी के सहयोगी रघुबर दास मुख्यमंत्री बने, तो यह तथ्य कि वे बिना वास्तु समायोजन के घर में चले गए, खबर बन गई। ताजा मरम्मत में अभी भी लगभग 22 लाख रुपए खर्च हुए हैं।

महाराष्ट्र में भी, विलासराव देशमुख ने वास्तु आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कमरों को फिर से बनवाने के लिए लाखों खर्च किए थे। उनके उत्तराधिकारी अशोक चव्हाण ने जाहिर तौर पर भव्यता को बढ़ाया और 5 करोड़ रुपए की मेकओवर योजना के साथ काम किया। लेकिन फिर उनके उत्तराधिकारी पृथ्वीराज चव्हाण ने भव्यता को कम कर दिया। सिर्फ पेंट का एक ताजा कोट और नए सोफा कवर। इसके बाद के जीर्णोद्धार उतने मामूली नहीं रहे हैं। 2020 में एक रिपोर्ट के बाद कि आधिकारिक निवास वर्षा को 3 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से फिर से बनाया जा रहा था,। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि वास्तविक आंकड़ा बहुत कम 92 लाख रुपये था। यह अब लगभग छोटी रकम की तरह लगता है।

आंध्र प्रदेश में, चंद्रबाबू नायडू ने खराब वास्तु का हवाला देकर 2014 के आसपास 15 करोड़ रुपये की लागत से अपने कार्यालय का पुनर्निर्माण कराया। हालांकि, जब यह हो गया, नायडू को लगा कि माहौल अभी भी ठीक नहीं है और उन्होंने 20 करोड़ रुपये में एक अन्य इमारत की दो मंजिलों का फिर से निर्माण कराया।  राज्य सरकार ने 2019 में रेड्डी के अपने आवास पर काम रद्द कर दिया, 3 करोड़ से ज़्यादा - जिसमें से 73 लाख रुपये दरवाज़ों और खिड़कियों के लिए और करीब 40 लाख रुपये फ़र्नीचर के लिए रखे गए थे। कुल मिलाकर, उनके प्रतिद्वंद्वी चंद्रबाबू नायडू ने तब आरोप लगाया था कि रेड्डी आवास पर 15 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रहे थे, जिसमें 5 करोड़ रुपये की लागत से वहां तक जाने वाली सड़क भी शामिल थी।

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