भगवान विष्णु प्रतिमा विवाद पर CJI गवई की सफाई– "मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं"
मुख्य न्यायाधीश ने अपनी टिप्पणी को गलत तरीके से प्रचारित किए जाने पर नाराजगी जताई और कहा कि वे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों में पूर्ण विश्वास रखते हैं।
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति के पुनर्निर्माण की मांग वाली याचिका खारिज करते समय की गई अपनी टिप्पणी की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए गुरुवार को कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि वे सभी धर्मों में विश्वास रखते हैं और सभी का सम्मान करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया, जिससे अनावश्यक विवाद खड़ा हुआ।
सोशल मीडिया पर आजकल कुछ भी फैल सकता है। परसों मुझे किसी ने बताया कि मैंने कोई 'नकारात्मक' बात कही है। मैं सभी धर्मों को मानता हूं, सभी का सम्मान करता हूं।
क्या था मामला?
मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित विश्व धरोहर जवारि मंदिर में भगवान विष्णु की सात फुट ऊंची क्षतिग्रस्त प्रतिमा को फिर से स्थापित करने की मांग को लेकर एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई थी। इस याचिका को 16 मई को मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने "पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन" करार देते हुए खारिज कर दिया था।
CJI की टिप्पणी पर विवाद
CJI गवई ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह एक मात्र पब्लिसिटी पाने की याचिका है। अगर आप सच में भगवान विष्णु के भक्त हैं तो आप पूजा करें, ध्यान करें और उनसे खुद कुछ करने को कहें। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर आपको शैव धर्म से परहेज नहीं है तो वहीं पास में भगवान शिव का बहुत बड़ा लिंग स्थापित है, आप वहां जाकर पूजा कर सकते हैं। इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर कई आलोचनात्मक पोस्ट देखने को मिले, जिसमें CJI के कथन को धर्म के प्रति असंवेदनशील बताया गया।
ASI के अधिकार क्षेत्र में आता है मंदिर
CJI गवई ने यह भी स्पष्ट किया कि जिस मंदिर की बात की जा रही है, वह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन आता है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर जो गलत तस्वीर पेश की जा रही है, वह चिंता का विषय है।
सॉलिसिटर जनरल और कपिल सिब्बल की प्रतिक्रिया
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मजाकिया अंदाज में कहा कि न्यूटन का नियम था – हर क्रिया की समान और विपरीत प्रतिक्रिया होती है। लेकिन आजकल सोशल मीडिया पर हर क्रिया की बेमेल और असंतुलित प्रतिक्रिया होती है। वहीं वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी सोशल मीडिया की अनियंत्रित प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए कहा कि हम रोज इससे परेशान होते हैं। यह एक बेलगाम घोड़ा बन गया है, जिसे काबू करना आसान नहीं है।
नेपाल के हालिया विरोध प्रदर्शन का जिक्र
CJI गवई ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में नेपाल में हालिया हिंसक प्रदर्शनों का भी उल्लेख किया, जो इस बात का संकेत था कि सोशल मीडिया कैसे सामाजिक तनाव को जन्म दे सकता है।