एमए बेबी बने CPI(M) के नए महासचिव, क्या वे पार्टी को फिर से ऊंचाइयों पर ले जाएंगे?
पश्चिम बंगाल इकाई के विरोध के बीच शीर्ष पद पर उनका चुनाव चुनौतियों से निपटने की उनकी क्षमता में पार्टी के विश्वास का संकेत है।;
MA Baby new general secretary of CPI (M): भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने 6 अप्रैल को एमए बेबी को अपना नया महासचिव चुना। यह पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। एमए बेबी, जो केरल के प्रमुख नेता हैं, तीसरे मलयाली और दूसरे केरलाइट नेता हैं, जिन्होंने यह महत्वपूर्ण पद संभाला है। उनका चुनाव पार्टी की केरल जड़ों में वापसी को दर्शाता है, जहां पार्टी का हमेशा से मजबूत आधार रहा है।
इससे पहले, ईएमएस नंबूदरीपाद, जो केरल के पहले मुख्यमंत्री थे, ने भी पार्टी का नेतृत्व किया था। इसके अलावा, प्रकाश करात और सीताराम येचुरी जैसे नेता भी इस पद पर रह चुके हैं। हालांकि, प्रकाश करात ने दिल्ली में अपना घर बसाया था, जिससे उनकी केरल से दूरी बढ़ गई। एमए बेबी का चुनाव एक तरह से केरल के राजनीति से जुड़ी पार्टी की परंपरा को मजबूत करने जैसा माना जा रहा है।
राजनीतिक सफर की शुरुआत
एमए बेबी का राजनीति में सफर कई दशकों पहले शुरू हुआ था। 1954 में केरल के कोल्लम जिले में जन्मे बेबी ने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के सक्रिय सदस्य के रूप में राजनीति में कदम रखा। 1970 के दशक में जब केरल में राजनीतिक हलचल थी और इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया था, तब बेबी छात्र नेता के रूप में उभरे। उन्होंने जल्द ही SFI में अपनी पहचान बनाई और केरल के कॉलेजों में छात्रों के अधिकारों और समान शिक्षा के लिए आंदोलन किया।
राज्य और राष्ट्रीय राजनीति में योगदान
बेबी ने DYFI (डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया) के साथ भी काम किया और केरल में वामपंथी विचारधारा का प्रचार किया। इसके बाद, उन्होंने 1986 से 1998 तक राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्य किया। 2006 से 2016 तक वह केरल विधानसभा के सदस्य रहे और 2006 से 2011 तक शिक्षा मंत्री रहे। इस दौरान उन्होंने केरल की शिक्षा प्रणाली में सुधार किए, जिससे राज्य के शिक्षा क्षेत्र में बदलाव आया।
आने वाली चुनौतियां
एमए बेबी का महासचिव बनने का रास्ता आसान नहीं था। हाल के वर्षों में CPI(M) को चुनावी हार का सामना करना पड़ा था, खासकर केरल के बाहर। हालांकि, केरल में पार्टी की स्थिति मजबूत बनी हुई है। पिछले लोकसभा चुनाव में पार्टी को बड़ी हार मिली थी, जिससे पार्टी के भविष्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई थी। कुछ नेताओं ने नए नेतृत्व की बात की, जबकि कुछ ने पार्टी की पुरानी विचारधारा से जुड़ा रहने का समर्थन किया।
नई उम्मीदें और शुरुआत
एमए बेबी का महासचिव बनना पार्टी के लिए एक नई शुरुआत का संकेत है। उनकी उम्र 71 साल है। लेकिन उनका अनुभव और नीतिगत दृष्टिकोण पार्टी को नई दिशा दे सकता है। बेबी के नेतृत्व में, CPI(M) को उम्मीद है कि वह अपनी पुरानी विचारधारा को समकालीन भारत के बदलते हालात से जोड़ेंगे। यह एमए बेबी के लिए उनके संघर्ष की परिणति और एक नई यात्रा की शुरुआत है।