'उड़ने की इजाजत मत मांगो....', खड़गे की टिप्पणी के बाद थरूर का जवाब
Shashi Tharoor: खड़गे ने कहा कि हमारे लिए देश पहले है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मोदी पहले! लेकिन थरूर भी चुप नहीं बैठे.;
Shashi Tharoor vs Congress: प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक मंचों पर सराहना करना कांग्रेस सांसद शशि थरूर को भारी पड़ गया है. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने खुले मंच से तंज कसते हुए कहा कि हमारे लिए देश पहले है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मोदी पहले! लेकिन थरूर चुप नहीं बैठे. उन्होंने X पर लिखा कि उड़ने की इजाजत मत मांगो, पंख तुम्हारे हैं और आसमान किसी का नहीं.
मामला क्या है?
विवाद की शुरुआत तब हुई, जब शशि थरूर ने "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद भारत की वैश्विक कूटनीति पर एक लेख The Hindu अखबार में लिखा. उसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की ऊर्जा, सक्रियता और संवाद की तत्परता को भारत की "प्रमुख संपत्ति" बताया और कहा कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और मजबूत समर्थन मिलना चाहिए. कांग्रेस पार्टी, जो इस समय केंद्र सरकार के खिलाफ मुखर है, इस लेख से असहज हो गई और पार्टी के भीतर नेतृत्व और थरूर के बीच दरार और गहरा गई.
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने थरूर के बयान से पार्टी को अलग करते हुए कहा कि यह उनकी निजी राय हो सकती है, लेकिन यह कांग्रेस पार्टी की राय नहीं है. हमने तथ्यों और प्रमाणों के साथ अपनी बात रखी है. कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने भी व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि थरूर की अंग्रेज़ी बहुत अच्छी है, मैं तो ठीक से पढ़ भी नहीं पाता. उनकी भाषा इतनी अच्छी है, इसलिए उन्हें कांग्रेस कार्यसमिति में जगह दी गई.
‘देश पहले या मोदी पहले?’
पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरे विपक्ष ने सेना के समर्थन में एकजुटता दिखाई थी. खड़गे ने कहा था कि हमने कहा कि पहले देश, बाद में पार्टी. लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि पहले मोदी, बाद में देश. अब हम क्या कर सकते हैं?
थरूर की सफाई
मॉस्को में एक कार्यक्रम के दौरान थरूर ने सफाई देते हुए कहा कि उनका लेख बीजेपी में शामिल होने की मंशा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और भारत के हितों को लेकर था. उन्होंने कहा कि यह भारत की स्थिति को स्पष्ट करने का प्रयास था, ना कि किसी दल का समर्थन.
कांग्रेस की उलझन
थरूर ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में पहलगाम हमले और "ऑपरेशन सिंदूर" के बाद भारत का पक्ष मुखर रूप से रखा, जिससे उन्हें आलोचकों से भी सराहना मिली. हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने पहले सरकार को समर्थन दिया था, लेकिन बाद में युद्धविराम के पीछे अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाते हुए सरकार से पारदर्शिता की मांग की. ऐसे समय में थरूर का सरकार के पक्ष में खड़ा होना और उन्हें भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपा जाना, विपक्ष के कुछ धड़ों को नागवार लगा.