NCERT के विभाजन मॉड्यूल पर कांग्रेस ने साधा निशाना, कहा – 'किताब को आग लगा दो'; भाजपा का पलटवार
पवन खेड़ा ने दावा किया कि पुस्तक में कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक तिथियों को छोड़ दिया गया है, जिसमें कांग्रेस को मोहम्मद अली जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन के साथ देश के विभाजन के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है।;
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) शनिवार (16 अगस्त) को कांग्रेस के निशाने पर आ गई, जब उसने "विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस" के लिए एक विशेष मॉड्यूल जारी किया। इसमें विपक्षी पार्टी (कांग्रेस) के साथ-साथ मुस्लिम लीग के पूर्व नेता मोहम्मद अली जिन्ना और ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को 1947 में देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी कांग्रेस पर पलटवार किया, जिससे जुबानी जंग छिड़ गई।
"विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस" 2021 से हर साल 14 अगस्त को मनाया जाता है ताकि विभाजन के दौरान हुए जनसंहार और पीड़ा को याद किया जा सके।
पवन खेड़ा का हमला
दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इसमें कई अहम तथ्यों को नजरअंदाज कर “मनगढ़ंत इतिहास” पेश किया गया है। खेड़ा ने भाजपा के वैचारिक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) को भी "देश के इतिहास का सबसे बड़ा खलनायक" करार दिया।
खेड़ा ने सवाल किया, “क्या 1938 का जिक्र इसमें है?” उन्होंने कहा कि उस साल गुजरात में हिंदू महासभा के अधिवेशन में ऐलान हुआ था कि हिंदू और मुस्लिम एक राष्ट्र के रूप में नहीं रह सकते।
“फिर 1940 का जिक्र है?” खेड़ा ने कहा कि लाहौर अधिवेशन में जिन्ना ने वही विचार दोहराया।
“1942 में कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा से इस्तीफा देकर गांधीजी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया। जबकि हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग ने मिलकर प्रांतीय सरकारें बनाईं। सिंध विधानसभा में विभाजन का प्रस्ताव हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग ने मिलकर रखा। क्या यह एनसीईआरटी मॉड्यूल में लिखा है?”
खेड़ा ने कहा – “अगर ये तथ्य नहीं हैं, तो किताब को आग लगा दो। असल में विभाजन हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की जुगलबंदी थी। और अगर कोई असली खलनायक है, तो वह आरएसएस है, जिसे आने वाली पीढ़ियां कभी माफ नहीं करेंगी।”
मॉड्यूल में क्या है
एनसीईआरटी मॉड्यूल में ‘विभाजन के दोषी’ शीर्षक से कहा गया, “आख़िरकार 15 अगस्त 1947 को भारत का विभाजन हुआ। लेकिन यह किसी एक व्यक्ति का काम नहीं था। इसके लिए तीन तत्व जिम्मेदार थे – जिन्ना, जिन्होंने इसकी मांग की; कांग्रेस, जिसने इसे स्वीकार किया; और माउंटबेटन, जिन्होंने इसे लागू किया।”
इसमें कहा गया कि माउंटबेटन ने बड़ी गलती की। उन्होंने सत्ता हस्तांतरण की तारीख जून 1948 से घटाकर अगस्त 1947 कर दी। इससे विभाजन की तैयारी अधूरी रह गई। सीमांकन का काम जल्दबाज़ी में हुआ और सिर सायरिल रेडक्लिफ़ को केवल पांच हफ्ते दिए गए। पंजाब में 15 अगस्त के दो दिन बाद तक लाखों लोग नहीं जानते थे कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में।
मॉड्यूल में यह भी कहा गया कि विभाजन अपरिहार्य नहीं था, लेकिन जवाहरलाल नेहरू और सरदार वल्लभभाई पटेल ने गृहयुद्ध के डर से इसे स्वीकार किया और महात्मा गांधी ने भी अंततः अपना विरोध छोड़ दिया।
यह सामग्री कक्षा 6–8 और 9–12 के लिए अलग-अलग संस्करणों में तैयार की गई है और यह नियमित पाठ्यपुस्तकों के बाहर एक पूरक सामग्री है।
सुरक्षा समस्याएँ और मोदी का कथन
मॉड्यूल ने कहा कि विभाजन ने भारत के सामने भविष्य की सुरक्षा चुनौतियाँ खड़ी कर दीं। भारत दो तरफ से शत्रुतापूर्ण सीमाओं से घिर गया। सांप्रदायिक वैमनस्य बना रहा। कश्मीर एक नया विवाद बनकर उभरा।
मॉड्यूल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2021 के उस बयान का भी उल्लेख है, जिसमें उन्होंने कहा था –“विभाजन की पीड़ा कभी भुलाई नहीं जा सकती। लाखों बहन-भाई विस्थापित हुए, और अनेक निर्दोषों ने नफरत और हिंसा की आग में अपनी जान गंवाई।”
भाजपा का पलटवार
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता शहज़ाद पूनावाला ने कहा, “आखिरी वक्त पर विभाजन को रोकने की ताक़त किसके पास थी?... दो-राष्ट्र सिद्धांत कांग्रेस और जिन्ना दोनों ने लागू किया। कांग्रेस आज भी मुस्लिम-प्रथम की राजनीति करती है।”
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कांग्रेस को “राहुल-जिन्ना पार्टी” बताते हुए कहा कि कांग्रेस सच सुनकर बौखला गई है। उनके अनुसार जिन्ना की “तुष्टिकरण और सांप्रदायिकता की जहरीली सोच” आज राहुल गांधी और कांग्रेस में दिखाई देती है।