आपको निष्पक्ष होना चाहिए! शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ED-CBI पर क्यों कही ये टिप्पणी?

दिल्ली तथाकथित शराब घोटाले में BRS नेता के कविता को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और सीबीआई की 'निष्पक्षता' पर सवाल उठाया.

Update: 2024-08-27 12:05 GMT

BRS Leader K Kavitha Bail: दिल्ली तथाकथित शराब घोटाले में BRS नेता के कविता को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. उनको ⁠जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की पीठ ने सशर्त जमानत दी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ईडी और सीबीआई की 'निष्पक्षता' पर सवाल उठाया. क्योंकि वे इस मामले में विपक्षी नेताओं और अन्य लोगों की जांच कर रहे हैं. पीठ ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियां ​​केवल पूर्व आरोपी व्यक्तियों द्वारा दिए गए बयानों पर भरोसा नहीं कर सकती हैं, जो अब 'अनुमोदक' बन गए हैं या अभियोजन पक्ष के गवाह बन गए हैं. आपको निष्पक्ष होना चाहिए. एक व्यक्ति, जो खुद को दोषी ठहराता है उसे गवाह बनाया गया है? आप चुनकर पिक एंड चूज कर नहीं सकते. यह निष्पक्षता क्या है? सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद कथित दिल्ली शराब नीति मामले में भविष्य की सुनवाई पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है.

बता दें कि यह तब हुआ जब अभियोजन पक्ष ने बीआरएस नेता के कविता की जमानत याचिका को चुनौती दी, जिन्हें मार्च में शराब नीति मामले में ईडी और अगले महीने सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. कविता के खिलाफ बहस करते हुए, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पूर्व आरोपी बुच्ची बाबू और राघव मगुंटा रेड्डी द्वारा दिए गए स्वतंत्र साक्ष्य का हवाला दिया था, जो पिछले साल अप्रैल और इस साल मार्च में क्रमशः सरकारी गवाह बन गए (और उन्हें माफ़ी मिल गई).

हालांकि, कविता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्हीं व्यक्तियों द्वारा दिए गए कई बयानों को संबंधित मामलों में "साक्ष्य" के रूप में बताया गया था. विशेष रूप से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़े मामले में, जिन्हें कविता के कुछ दिनों बाद मार्च में गिरफ्तार किया गया था. आप कहते हैं कि केजरीवाल सरगना हैं. कहते हैं सिसोदिया सरगना हैं. फिर कहते हैं कि के कविता हैं. अनुमोदकों के दागी बयानों के अलावा कोई सबूत नहीं है.

इस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि अनुमोदकों के बयानों को प्रत्यक्ष साक्ष्य द्वारा समर्थित किए जाने की जरूरत है. जस्टिस गवई ने राजू से पूछा कि यह दिखाने के लिए क्या सामग्री है कि वह अपराध में शामिल थी? शराब नीति मामले के संदर्भ में शीर्ष अदालत की टिप्पणी को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जिसमें से ऐसा लगता है, पूर्व अभियुक्त से सरकारी गवाह बने लोगों के बयानों पर निर्भर करता है. केजरीवाल और सिसोदिया द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर जमानत याचिकाओं में सरकारी गवाहों के बयानों का उल्लेख प्रमुखता से किया गया था. सिसोदिया को इस महीने की शुरुआत में शीर्ष अदालत ने जमानत दे दी थी. तब अदालत ने कहा था कि उन्होंने लगभग 18 महीने जेल में बिताए हैं और निकट भविष्य में मुकदमे की कोई संभावना नहीं है. अदालत ने कहा कि उन्हें जेल में रखना "न्याय का उपहास" होगा.

केजरीवाल ने अपने खिलाफ आरोपों का विरोध करते हुए कहा है कि सामग्री सरकारी गवाहों के बयानों पर आधारित है, अभी भी जेल में हैं. उन्हें ईडी मामले में जमानत दी गई थी. लेकिन सीबीआई मामले में अभी तक नहीं.

फोन को फॉर्मेट करना अपराध नहीं

कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि कविता ने मोबाइल फोन को फॉर्मेट करके उनसे आपत्तिजनक सामग्री हटा दी थी. इस पर जस्टिस विश्वनाथन ने अभियोजन पक्ष से कहा कि फोन एक निजी चीज़ है. लोग संदेश डिलीट कर देते हैं. मुझे ग्रुप संदेश डिलीट करने की आदत है. ये स्कूल और कॉलेज समूह कई संदेश पोस्ट करते हैं. यह सामान्य मानवीय आचरण है. इस कमरे में कोई भी ऐसा ही करेगा. केवल फोन को फॉर्मेट करने से किसी भी तरह से अपराध का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. क्या आपके पास स्वतंत्र डेटा है, जो यह दर्शाता है कि कोई भी अपराध साबित करने वाला सबूत है? अन्यथा यह (प्रस्तुत सामग्री) केवल यह दिखाती है कि मोबाइल फोन को फॉर्मेट किया गया था.

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